विशेष लेख:
आया सावन झुमके!
- मनोज कुलकर्णी
"आया सावन झूम के" (१९६९) गाने में धर्मेंद्र और आशा पारेख. |
झूले पड़ गए हाय
कि मेले लग गए
मच गई धूम रे.."
'आया सावन झूम के' (१९६९) फ़िल्म का आनंद बक्षी का यह गाना हर साल दस्तक़ देता है सावन महिना आने की..जिसकी रंगीन गतिविधियाँ इसमें समायी हुई हैं!..धर्मेंद्र, आशा पारेख और साथियों ने बारीश का पूरा लुत्फ़ उठातें हुए इसे साकार किया हैं!
'परख' (१९६०) के "ओ सजना बरख़ा बहार आयी.." गाने मे साधना. |
बरसात की बूँदों सें खिलीखिली हरियाली और फुलों के साथ रूमानी दिल भी खिल उठतें हैं इन दिनों में! यह चित्र हमारे सिनेमा के कई प्रसंग एवं गानों में प्रतिबिंबित हुआ हैं!
'मि. एंड मिसेस ५५' में छाता लेकर गाती हसती 'ब्यूटी क्वीन' मधुबाला! |
'काला बाज़ार' (१९६०) के "रिमझिम के तरानें लेके आयी बरसात" में वहिदा रहमान और देव आनंद. |
'उसने कहा था' (१९६०) के "मचलती आरजू.." गाने मे नंदा का झुलना! |
"दिल तेरा दीवाना.." (१९६२) गाने में शम्मी कपूर और माला सिन्हा. |
'मिलन' (१९६७) के "सावन का महिना.." गाने मे नूतन और सुनिल दत्त. |
सावन के कुछ तरल फिल्म प्रसंग तथा गाने भी हैं..जैसे की 'मिलन' (१९६७) का, जिसके "सावन का महिना पवन करे शोर.." गाने में नूतन को "शोर नहीं सोर" ऐसा समझाता हुआ सुनिल दत्त का भोलाभाला देहाती!..और फिल्म 'अंजाना' (१९६९) के "रिमझिम के गीत सावन गाएं.." में जुबली स्टार राजेंद्र कुमार और ख़ूबसूरत बबीता का भावुक होना! इसी दौरान पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का अनोखा अंदाज़ था..फिल्म 'दो रास्तें' के "छुप गएँ सारें नज़ारें ओए क्या बात हो गई.." ऐसा नटखट मुमताज़ के साथ व्यक्त होने का! उसके बाद का सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने तो फिल्म 'मंज़िल' (१९७९) के "रिम झिम गिरें सावन.." गाने में मौशमी चटर्जी के साथ बम्बई के बारीश में भीग कर खूब मस्ती की थी!
'दो रास्तें' (१९६९) के "छुप गएँ सारें नज़ारें.." गाने में राजेश खन्ना और मुमताज़. |
फिर 'राजश्री प्रोडक्शन' की सीधी सरल फिल्म 'सावन को आने दो' (१९७९) से..'यशराज फिल्म्स' की 'दिल तो पागल हैं' (१९९७) के "ओ सावन राजा कहाँ से आये तुम..चक दुम दुम.." ऐसे गाने में शाहरुख़ खान और माधुरी दीक्षित के आज के डांस तक..सावन के रूमानीपन को अपने सिनेमा ने दर्शाया..और जारी रखा!
- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]
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