अनिल गांगुली निर्देशित 'तपस्या' में परीक्षित साहनी और राखी! |
कहो ले के चले हैं कहाँ..
ये बनायेंगे एक आशियां.!"
चालीस साल पुरानी फिल्म 'तपस्या' (१९७६) का एम. जी. हशमतजी ने लिखा यह गाना ऐसेही याद आया!
हालाकि इतनी तरल भावुकता आज बहुत कम हो गयी है...और सब तरफ जादा तर तोडने की भाषा हो रही है.!
कहा जाए तो इसका अर्थ परिवार तक सीमित नहीं है...आज के हालातों को देखते हुए इसका व्यापक 'रूपक' हो सकता है!..चाहे तो पडोसी (फिरसे) एक होकर एक नया आशियाना बना सकते है.!!
- मनोज कुलकर्णी
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