Monday 15 October 2018

हमको अब तक आशिकी का वो जमाना याद है!


अब भी याद आ रहा है पुणे में कुछ तीन दशक पहले हुआ गझल शहेनशाह गुलाम अली खां का बडा संगीत जलसा..जिसमे नजदीक से उन्हे देखने-सुनने का सुनहरा मौका मुझे मिला!

रूमानी गझल गाते हुए गुलाम अली साहब!
"चुपके चुपके रात दिन आसू बहाना याद है.." यह बी. आर. चोप्रा कि फिल्म 'निकाह' (१९८२) के लिये गुलाम अली ने गायी हुई गझल बडी मशहूर हुई थी और उसके बाद उनकी आवाज की संगीत कि दुनिया में धूम मची थी!

''कल चौदवी की रात थी..
शब भर रहा चर्चा तेरा.." 
ऐसी उनकी रुमानी गझल जवानी की देह्लीज पर कदम रखते समय हमे सुनने को मिली थी !

तो उस मेहफिल में "ये दिल ये पागल दिल मेरा.." और "पारा पारा हुआ.." ऐसी गझलो के साथ कई जानेमाने शायरो के नगमे सुनने को मिले थे..जिसमे गझल के बीच रुककर उनका शेर सुनांना और फिर "आहा..आहा.." आलाप देना लाजवाब था!

"बहोत खूब खांसाहब!!" ऐसी गुंज तालीयो के साथ तब बार बार उठती थी!

उनकी गायी हुई खातिर गजनवी कि गझल याद आती है..

"कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में.."

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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