मेरे इस ब्लॉग पर हमारे भारतीय तथा पूरे विश्व सिनेमा की गतिविधियों पर मैं हिंदी में लिख रहा हूँ! इसमें फ़िल्मी हस्तियों पर मेरे लेख तथा नई फिल्मों की समीक्षाएं भी शामिल है! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
Wednesday, 10 September 2025
Monday, 8 September 2025
"मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को.."
स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के साथ आशा भोसले जी ने गाया हुआ यह गीत मेरे मन में गूँजा! इन दोनों ने गाएं गीतों में मुझे यह अभिजात तथा लाजवाब लगता हैं!!
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संगीतकार प्यारेलाल शर्मा जी! |
इसकी ख़ासियत यह थी..शुरु गुनगुनाते लताजी करती हैं और हर पंक्ति का पहला भाग वो गाती हैं, फिर दूसरा भाग आशाजी गाती हैं, जैसे "मन क्यूँ बहका.." लताजी ने और "बेला महका.." आशा जी ने गाया! यह दोनों ने अपने अंदाज़ में गाया!
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'उत्सव' (१९८४) में ख़ूबसूरत रेखा! |
आज आशाजी के ९२ वे जन्मदिन पर, जब की अब लतादीदी इस दुनिया में नहीं हैं, ऐसे वक़्त मुझे यह गीत याद आया हैं। इसके संगीतकार (लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल में से) प्यारेलाल शर्मा जी का ८५ वा जन्मदिन पिछले हफ्ते ही संपन्न हुआ!..और यह गीत जिनपर फ़िल्माया गया वो रेखा जी अब ७० की उम्र में भी वही रुतबा संभाली हुई हैं! मेरा सौभाग्य की मैं इन सबको मिला हूँ!!
- मनोज कुलकर्णी
Saturday, 16 August 2025
नमस्कार!
एक वर्ष पहले मेरे "मनोज 'मानस रूमानी' - शायराना" इस यूट्यूब चैनल का आग़ाज़ हुआ मैंने श्रीकृष्ण जी पर लिखे "सबके मन भाये ओ बाँसुरीवाले श्याम.." इस अनोखे गीत से जिसे गाया था जानेमाने भजन गायक श्री. अनुप जलोटा जी ने!
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर, आप यह वीडियो मेरे यूट्यूब चैनल के इस लिंक में देखें: https://www.youtube.com/watch?v=ePNaQxzrYps...
दिग्गज गायक अपना लिखा गीत गाकर प्रशंसा करते हैं यह मेरे लिए अहम बात थी!
कृपया आप इसे पूरा सुने!
शुभकामनाएं!!
- मनोज कुलकर्णी
(मानस रूमानी)
Friday, 8 August 2025
Monday, 4 August 2025
जिगर मा बड़ी आग है.."
इस तरह के गुलजार जी के गाने अपनी ('ओंकारा' जैसी) फिल्मों में बख़ूबी चलानेवाले संगीतकार-फ़िल्मकार विशाल भारद्धाज जी का आज ६० वा जनमदिन!
गुलज़ार जी की फिल्म 'माचिस' (१९९६) से संगीतकार की हैसियत से विशाल भारद्धाज का उनसे साथ रहा है..जो फिर खुद फ़िल्मकार बनने के बाद उनके गीत अपने फिल्मों में लेकर उसने बरक़रार रखा! शेक्स्पीरियन ट्राइलॉजी की उसकी ('मक़बूल'/२००३ और 'ओंकारा'/२००६ के बाद) तीसरी फ़िल्म 'हैदर' (२०१४) के "बिस्मिल बिस्मिल.." इस मशहूर गाने से वह जारी रहा! इन दोनों को मैं फ़िल्म फेस्टिवल्स और संबंधित कार्यक्रमों में मिलता आ रहा हूँ।
इस तस्वीर में कई साल पहले हमारे फ़िल्म फेस्टिवल 'इफ्फी' में विशाल भारद्धाज जी के साथ मैं हूँ!
उन्हें सालगिरह मुबाऱक!!
- मनोज कुलकर्णी
Wednesday, 9 July 2025
वो आफ़ताब थे!
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'प्यासा' (१९५७) फ़िल्म में गुरुदत्त! |
विश्वसिनेमा की मेरी सबसे पसंदीदा फ़िल्मों में उनकी 'प्यासा' सबसे ऊँचे स्थान पर हैं और उसपर मैं हमेशा बहोत लिखता आ रहा हूँ। उसके अलावा शायराना रूमानीपन पसंद होने के कारन, आज मैं उनकी दूसरी मेरी पसंदीदा फ़िल्म पर ख़ासकर लिख रहां हूँ, जिसे ६५ साल पुरे हुएँ हैं..वो हैं १९६० की 'चौदहवीं का चाँद'!
उससे एक साल पहले उन्होंने बनायी थी 'कागज़ के फूल' (१९५९)..जो गुरुदत्त जी के दिल के क़रीब थी। लेकिन उसे सफ़लता न मिलने पर, उन्होंने अपनी अगली फ़िल्म रोमैंटिक 'मुस्लिम सोशल' करने का सोचा! इसके साथ ही उन्होंने निर्देशन ख़ुद के बजाय मोहम्मद (एम्) सादिक़ जी को सौंपा। और बिरेन नाग़ को उस माहौल के कलानिर्देशन के लिए चुना!
इससे पहले गुरुदत्त जी की क्लासिक फ़िल्में लिखे अबरार अल्वी जी को सिर्फ़ पटकथा लिखनी थी; क्योंकि सग़ीर उस्मानी जी ने लिखी थी इस 'चौदहवीं का चाँद' की कहानी! तहज़ीब, नज़ाकत और नफ़ासत के शहर लखनऊ में फ़ूलनेवाली यह त्रिकोणीय प्रेमकथा थी। इसमें नवाब (रेहमान) और उसके अज़ीज दोस्त अस्लम (गुरुदत्त) का दिल एक ही हसीना जमीला (वहीदा रहमान) पर आता हैं। फ़िर दोस्त के लिए क़ुर्बानी और बीच में प्यार का होता बुरा हाल इसमें बड़ी संवेदनशीलता से दिखाया हैं।
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'चौदहवीं का चाँद' (१९६०) फ़िल्म में गुरुदत्त और वहीदा रहमान! |
इस फ़िल्म में गुरुदत्त और वहीदा रहमान का इश्क़ बड़ी उत्कटता से सामने आता हैं। ख़ासकर रफ़ीजी ने बड़ी रूमानियत से गाए इसके शीर्षक गीत में देखिएं.. "चौदहवीं का चाँद हो.." कहते गुरुदत्त की आँखें प्यार बयां करती हैं और बाद में वहीदा जिस सहजता से उसके गले लगती हैं..यह इज़हार-ए-मोहब्बत स्वाभाविकता से उभर आया था!
यह फ़िल्म बड़ी क़ामयाब रही और इसे पुरस्कार भी मिले। साथ ही '२ रे मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह' में इसे दिखाया गया।
इस तरह का नज़ाकतदार शायराना रूमानीपन मुझे तो बड़ा भाता हैं!
आख़िर में मुझे यह कहना हैं, वहीदा जी को इसमें चाँद कहा गया हैं..तो हमारे लिए..गुरुदत्त आफ़ताब हैं!!
गुरुदत्तजी को सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Saturday, 14 June 2025
Saturday, 24 May 2025
दिल के आस पास..
फिरती है कोई शह
निगाह-ए-यार की तरह.."
शायर और गीतकार मजरूह सुलतानपुरी जी की याद आज उनके २५ वे स्मृतिदिन पर आयी!
''तुम जो हुए मेरे हमसफर रस्ते बदल गये.." या "तुमने मुझे देखा होकर मेहरबान.." जैसे रुमानी गीत हो, "हम हैं मता-ए-कुचा ओ बाजार कि तरह.." जैसी नज्म हो.. उनकी शायरी को हमेशा सराहा है!
याद आ रहा है..मजरूह साहब को एक मुशायरे के दौरान मैं मिला था..तब प्यार से उन्होने सर पर हाथ रखा था!
🙏
- मनोज कुलकर्णी
(मानस रूमानी)
Wednesday, 21 May 2025
हरदम याद करता हैं हिंदुस्तान!
- मनोज 'मानस रूमानी'
हमारे धर्मनिरपेक्ष देश के अज़ीज़ पूर्व प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' श्री. राजीव जी गांधी का आज ३४ वा स्मृतिदिन!
इसी समय अब की कठिन घड़ी में याद आती हैं उनकी माताजी, हमारे देश की पूर्व शक्तिशाली एवं प्रभावशाली प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' श्रीमती इंदिरा जी गांधी की!
इनको मेरी विनम्र श्रद्धांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Wednesday, 14 May 2025
Thursday, 8 May 2025
Monday, 28 April 2025
Wednesday, 23 April 2025
Saturday, 5 April 2025
अलविदा मनोजकुमार साहब!
भारत की बात सुनाता हूँ.."
ऐसा कहकर देशभक्तीपर फ़िल्में बनाने और आदर्शवादी किरदार निभाने के लिए मशहूर थे 'भारतकुमार' याने हमारे अज़ीज़ मनोज कुमार साहब! उनके निधन की खबर बहुत दुखदायी हैं।
इस वक्त याद आ रही हैं मैंने उनकी मेरी 'चित्रसृष्टी' के दो विशेषांकों के लिए ली हुई मुलाकातें! मेरा नाम उनके नाम से रखा गया इससे वे ख़ुश हुए थे! उनपर मैंने बहुत लिखा। उनका मुझे मिला स्नेह और प्यार ताउम्र मेरे दिल में रहेगा!
उन्हें मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Wednesday, 2 April 2025
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा!
अपने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री श्री. राकेश शर्मा जी को इसी दिन (२ अप्रैल) १९८४ में उनकी अन्तरिक्ष उड़ान के दौरान अपनी तत्कालिन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा जी गांधी ने जब पूछा, "ऊपर से भारत कैसा दिखता है?" तब राकेश शर्मा जी ने जवाब दिया था "सारे जहाँ से अच्छा!"
उन्हे भारत के सर्वश्रेष्ठ 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया गया!!
अब ४० साल हुए इस सुनहरे पल को!
उन्हें सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
Monday, 31 March 2025
Sunday, 23 March 2025
जब भगत सिंह जी की माताजी से मिले मनोज कुमार!
अपने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद हुए भगत सिंह जी, सुखदेव जी और राजगुरु जी इनकी स्मृति को नमन करने का यह दिन!
हर साल इस दिन उन्हें सलाम करते हुए, मुझे उनपर बनी फ़िल्म 'शहीद' (१९६५) याद आती हैं। अब इसे ६० साल हो गए हैं। इसमें मनोज कुमार जी ने भगत सिंह जी का किरदार निभाया था, जो यादगार रहा। उनसे मेरी मुलाकातों में इसके बारें में उन्होंने ख़ूब कहा था!
१९६६ में राष्ट्रीय पुरस्कार से यह फ़िल्म 'शहीद' सम्मानित होते हुए, एक बड़ा सम्मान मनोज कुमार जी और "ऐ वतन हमको तेरी कसम.." जैसे इसके गीत लिखकर संगीतबद्ध करनेवाले प्रेम धवन जी को मिला..वह था भगत सिंह जी की माताजी श्रीमती विद्यावती जी को मिलकर गौरवान्वित होने का!
उसी सुनहरे पल की यह दुर्लभ तस्वीर!!
उन्हें मेरा विनम्रता पूर्वक सलाम!!!
- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी')
Wednesday, 19 March 2025
Friday, 14 March 2025
ऐ मेरे हमसफ़र..! दोनों अब ६० पर!!
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'मामी' के शुरूआती 'मुंबई फिल्म फेस्टिवल' के दौरान मैं और अभिनेता आमिर ख़ान! |
कल हमारे रूमानी फ़िल्मकार नासिर हुसैन जी का २३ वा स्मृतिदिन था! उन्ही का भतीजा आमिर पहली बार एक बालकलाकार के रूप में उनकी फ़िल्म 'यादों की बारात' (१९७३) से परदेपर आया। बाद में उन्ही के बेटे मंसूर ख़ान की फ़िल्म 'क़यामत से क़यामत तक' से वो नौजवान हीरो बना।
मैंने आमिर की नौजवान होने के बाद की फ़िल्म कैरियर रूबरू देखी हैं! १९८४ में केतन मेहता की आर्ट फ़िल्म 'होली' की शूटिंग पुणे के फ़िल्म इंस्टिट्यूट ('एफटीआयआय') में हुई थी और इसमें आमिर एक अहम भूमिका में काम कर रहा था। तब मै कॉलेज में पढता था और मैंने सिनेमा पर लिखना शुरू किया था! फ़िल्म इंस्टिट्यूट में मेरा अक्सर जाना होता था। तब मैंने वहां उस फ़िल्म की शूटिंग देखी। साथ में केतन जी और आमिर से बातें भी हुई!
इसके चार साल बाद, मैंने जर्नलिज्म '(बीसीजे') कोर्स होते ही..आमिर की बतौर हीरो पहली मेनस्ट्रीम बॉलीवुड फ़िल्म देखी 'क़यामत से क़यामत तक' (१९८८) जो हिट रही। फिर इंटरव्यूज भी हुए, उसके गायक उदित नारायण के साथ भी! इसी दौरान मैंने फ़िल्म इंस्टिट्यूट में ('एनएफएआई' द्वारा) 'फ़िल्म एप्रिसिएशन कोर्स' किया और मैं फ्री लांस फ़िल्म जर्नलिस्ट हुआ!
तब से लेकर आमिर ख़ान का परफेक्शनिस्ट एक्टर होने तक सफर सराहनीय रहा हैं! उसके फ़िल्म कैरियर के ५० साल पुरे हुएँ और उम्र ६०! मुझे भी फ़िल्म जर्नलिज्म में ४० साल हो गएँ और उम्र ६० हैं!!
ख़ैर, आमिर खान को सालगिरह मुबारक़!!
- मनोज कुलकर्णी