"मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को.."
स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के साथ आशा भोसले जी ने गाया हुआ यह गीत मेरे मन में गूँजा! इन दोनों ने गाएं गीतों में मुझे यह अभिजात तथा लाजवाब लगता हैं!!
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| संगीतकार प्यारेलाल शर्मा जी! |
इसकी ख़ासियत यह थी..शुरु गुनगुनाते लताजी करती हैं और हर पंक्ति का पहला भाग वो गाती हैं, फिर दूसरा भाग आशाजी गाती हैं, जैसे "मन क्यूँ बहका.." लताजी ने और "बेला महका.." आशा जी ने गाया! यह दोनों ने अपने अंदाज़ में गाया!
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| 'उत्सव' (१९८४) में ख़ूबसूरत रेखा! |
आज आशाजी के ९२ वे जन्मदिन पर, जब की अब लतादीदी इस दुनिया में नहीं हैं, ऐसे वक़्त मुझे यह गीत याद आया हैं। इसके संगीतकार (लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल में से) प्यारेलाल शर्मा जी का ८५ वा जन्मदिन पिछले हफ्ते ही संपन्न हुआ!..और यह गीत जिनपर फ़िल्माया गया वो रेखा जी अब ७० की उम्र में भी वही रुतबा संभाली हुई हैं! मेरा सौभाग्य की मैं इन सबको मिला हूँ!!
- मनोज कुलकर्णी



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