अद्भुत व्यक्तित्व के संगीतकार..बप्पीदा!
कलकत्ता (अब कोलकोता) के धनाढ्य परिवार में ही वे जन्मे उनका असल में नाम था..अलोकेष! माता-पिता भी संगीत क्षेत्र में थे, इसलिए उसका भी झुकाव उस तरफ था। बचपन में उसने तबला सीखा; यह बात अलाहिदा की बाद में उसके म्यूजिक में ड्रम्स की आवाज़ सुनाई दी! उन्नीस साल की उम्र में बप्पी ने पहली बार 'दादु' इस बंगाली फ़िल्म का संगीत दिया।
"डिस्को डांसर.." मिथुन चक्रवर्ती और पॉपुलर म्यूजिक डायरेक्टर बप्पी लाहिड़ी! |
भप्पी लाहिड़ी को बॉलीवुड के फ़िल्म म्यूजिक में 'डिस्को ह्रिदम' लाने के लिए जाना जाता हैं; लेकिन तथ्य यह हैं की उनसे पहले इस तरह के म्यूजिक का अपने पॉपुलर सिनेमा में आगमन हुआ था। फ़िरोज़ ख़ान की फिल्म 'क़ुर्बानी' (१९८०) में, पॉप म्यूजिक देनेवाले बिद्दू ने बनाई ट्यून पर "आप जैसा कोई मेरे ज़िंदगी में आए" इस क्लब डान्स-सॉन्ग को पाकिस्तान की पॉप सिंगर नाज़िया हसन ने गाया था, जो हिट हुआ था। बाद में उनके 'डिस्को दीवाने' इस म्यूजिक अल्बम ने भी हंगामा मचा दिया!
म्यूजिक डायरेक्टर बप्पी लाहिड़ी उनके मामा-गायक किशोर कुमार और स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ! |
ख़ैर, 'हिम्मतवाला' (१९८३) से 'डर्टी पिक्चर' (२०११) के उन्होंने गाए "उह ला ला.." गाने तक बप्पीदा ने मासेस का मनोरंजन करनेवाले गानें वैसे ही कंपोज़ किएं। लेकिन चंद सुखद आश्चर्य के गीत भी उन्होंने संगीतबद्ध किएं। जैसे की 'राजश्री फिल्म्स' की 'मनोकामना' (१९८०) का उन्होंने तरलता से गाया "तुम्हारा प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए.." और 'ऐतबार' (१९८५) फ़िल्म की भूपिंदर सिंह जी ने गायी "किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है.." ग़ज़ल!
उनके "याद आ रहा हैं.." गाने के साथ मुझे उनसे मिलने का ऐसा ही आश्चर्यकारक लम्हा याद आया! वह था दो दशक पूर्व हमारे 'भारत के अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह' (इफ्फी) में उन्हें मिलना! इस के 'इंडियन पैनोरमा' में उनके द्वारा निर्मित तथा संगीतबद्ध और बुद्धदेब दासगुप्ता ने निर्देशित की हुई 'लाल दर्जा' (१९९७) यह बंगाली फ़िल्म थी और इसके स्क्रीनिंग के बाद इन दोनों से मेरी बातें हुई!
पॉपुलर अवार्ड्स के साथ 'फ़िल्म फेयर' का 'लाइफटाइम अचीवमेंट' भी बप्पीदा को मिला!
उन्हें सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
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