Monday 14 March 2022

अद्भुत व्यक्तित्व के संगीतकार..बप्पीदा!


रंगीनमिजाज पॉपुलर म्यूजिक डायरेक्टर..बप्पी लाहिड़ी!
बॉलीवुड को पॉपुलर ट्यून्स देनेवाले सोने के गहनों से लदे रंगीनमिजाज म्यूजिक डायरेक्टर ऐसी पहचान रहे बप्पी लाहिड़ी अब इस दुनिया में नहीं रहें!

कलकत्ता (अब कोलकोता) के धनाढ्य परिवार में ही वे जन्मे उनका असल में नाम था..अलोकेष! माता-पिता भी संगीत क्षेत्र में थे, इसलिए उसका भी झुकाव उस तरफ था। बचपन में उसने तबला सीखा; यह बात अलाहिदा की बाद में उसके म्यूजिक में ड्रम्स की आवाज़ सुनाई दी! उन्नीस साल की उम्र में बप्पी ने पहली बार 'दादु' इस बंगाली फ़िल्म का संगीत दिया।
 
"डिस्को डांसर.." मिथुन चक्रवर्ती और पॉपुलर म्यूजिक डायरेक्टर बप्पी लाहिड़ी!
उसके बाद बॉलीवुड में किस्मत आज़माने वे बम्बई चले आए। उसके मामा गायक किशोर - कुमार ने अपनी (पहली 'चलती का नाम गाड़ी' इस क्लासिक से निकली) 'बढ़ती का नाम दाढ़ी' (१९७४) से उसे हिंदी सिनेमा के संगीत क्षेत्र में प्रवेश दिया! १९७५ में ताहिर हुसैन की एक्शन फ़िल्म 'ज़ख़्मी' में पहली बार संगीतकार की हैसियत से वे उभर आए। फिर १९७७ में विनोद खन्ना स्टार्रर फ़िल्म 'आप की ख़ातिर' में अपने ही संगीत में उन्होंने गाया "बम्बई से आया मेरा दोस्त.." गीत काफी मशहूर हुआ। बाद में 'डिस्को डांसर' (१९८२) फ़िल्म के उनके संगीत और आवाज़ में "आय एम ए डिस्को डांसर.." गाने से मिथुन चक्रवर्ती की वह इमेज बनी और बप्पीदा का उसके साथ हिट एसोसिएशन भी! पहलाज निहलानी की 'हथकड़ी' (१९८२) इस फ़िल्म के उनके संगीत में "डिस्को स्टेशन.." यह आशा - भोसले ने गाया गाना और रीना रॉय का उसपर अनोखा डान्स भी हिट रहा।

भप्पी लाहिड़ी को बॉलीवुड के फ़िल्म म्यूजिक में 'डिस्को ह्रिदम' लाने के लिए जाना जाता हैं; लेकिन तथ्य यह हैं की उनसे पहले इस तरह के म्यूजिक का अपने पॉपुलर सिनेमा में आगमन हुआ था। फ़िरोज़ ख़ान की फिल्म 'क़ुर्बानी' (१९८०) में, पॉप म्यूजिक देनेवाले बिद्दू ने बनाई ट्यून पर "आप जैसा कोई मेरे ज़िंदगी में आए" इस क्लब डान्स-सॉन्ग को पाकिस्तान की पॉप सिंगर नाज़िया हसन ने गाया था, जो हिट हुआ था। बाद में उनके 'डिस्को दीवाने' इस म्यूजिक अल्बम ने भी हंगामा मचा दिया!

म्यूजिक डायरेक्टर बप्पी लाहिड़ी उनके मामा-गायक किशोर कुमार और स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ!
दरमियान डिस्को म्यूजिक और अपना भारतीय संगीत इसका फ्यूजन बनाने का प्रयोग भी हुआ! जैसे की होनहार संगीतकार राजेश - रोशन ने किया। मिसाल की तौर रवि टंडन जी की 'खुद्दार' के उनके "डिस्को १९८२" गाने में आगे "प नि सा" सरगम भी आती है, जो लता मंगेशकरजी ने बख़ूबी गायी! इसी तरह भप्पीदा ने भी प्रकाश मेहरा की फ़िल्म 'नमक हलाल' (१९८२) के "पग घुंगरू बाँध मीरा नाची थी" इस डान्स फ्लोअर पर अमिताभ बच्चन पर फिल्माएं किशोर कुमार के गाने में "सा सा रे रे रे" ऐसी सरगम को पिरोया था! इसी दौरान पहलाज निहलानी की 'हथकड़ी' (१९८२) फ़िल्म का उनका "डिस्को स्टेशन" यह आशा भोसले ने गाया गाना और रीना रॉय का उसपर अनोखा डान्स हिट रहा।

ख़ैर, 'हिम्मतवाला' (१९८३) से 'डर्टी पिक्चर' (२०११) के उन्होंने गाए "उह ला ला.." गाने तक बप्पीदा ने मासेस का मनोरंजन करनेवाले गानें वैसे ही कंपोज़ किएं। लेकिन चंद सुखद आश्चर्य के गीत भी उन्होंने संगीतबद्ध किएं। जैसे की 'राजश्री फिल्म्स' की 'मनोकामना' (१९८०) का उन्होंने तरलता से गाया "तुम्हारा प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए.." और 'ऐतबार' (१९८५) फ़िल्म की भूपिंदर सिंह जी ने गायी "किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है.." ग़ज़ल!

उनके "याद आ रहा हैं.." गाने के साथ मुझे उनसे मिलने का ऐसा ही आश्चर्यकारक लम्हा याद आया! वह था दो दशक पूर्व हमारे 'भारत के अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह' (इफ्फी) में उन्हें मिलना! इस के 'इंडियन पैनोरमा' में उनके द्वारा निर्मित तथा संगीतबद्ध और बुद्धदेब दासगुप्ता ने निर्देशित की हुई 'लाल दर्जा' (१९९७) यह बंगाली फ़िल्म थी और इसके स्क्रीनिंग के बाद इन दोनों से मेरी बातें हुई!

पॉपुलर अवार्ड्स के साथ 'फ़िल्म फेयर' का 'लाइफटाइम अचीवमेंट' भी बप्पीदा को मिला!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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