नायिका होने से महरूम ख़ूबसूरत शशिकला!
जवानी की देहलीज पर चंचल ख़ूबसूरत लड़की यह झूमती हुई गाती है..
बिमल रॉय की फ़िल्म 'सुजाता' (१९५९) में यह किरदार बख़ूबी साकार किया शोख़ ख़ूबसूरत शशिकला ने!
उसे इसमें प्रमुख आवाज़ दी थी गीता दत्त ने और बीच में 'सुजाता' नूतन की उसे साथ देती "आ हा हा हा.." गाया था आशा भोसले ने!
हालांकि, फ़िल्म 'सुजाता' पूरी तरह शीर्षक भूमिका में रही नूतन पर केंद्रित थी; लेकिन उसे जिस घर में पनाह मिलती है उस परिवार की लड़की की भूमिका में शशिकला की उसके साथ टूयनिंग रंग लायी। सब इसमें सुजाता से दूरी रखतें है, लेकिन ये उसपर प्यार निछावर करती है!
बहरहाल, शशिकला का वास्तविक बचपन उस गाने की तरह सुहाना नहीं था। महाराष्ट्र के सोलापुर में पैदा हुई उनका जवलकर परिवार कठिनाई से गुज़रा। बचपन में ही नृत्य और गाने में वो तरबेज थी। तो उनके पिता उसे फ़िल्म इंड्रस्ट्री में काम दिलाने हेतु परिवार सहित चल पड़े। नतीजन उसे दर दर की ठोकरें खाने पडी। (दरमियान मुस्लिम परिवार ने उसे सहारा दिया!) बाद में पुणे के 'प्रभात स्टूडियो' में चल रही फ़िल्म में उसे काम मिला, लेकिन वह पूरी न हो संकी।
उसके बाद बंबई में 'सेन्ट्रल स्टूडियो' में ख्यातनाम गायिका-अदाकारा नूरजहां ने उसे परखा। तब उन्हें लगा की अपने बचपन के रोल के लिए यह वैसी दिखने वाली ख़ूबसूरत लड़की सही है। लेकिन उर्दू बोलने में उसे दिक्कत आयी। फिर नूरजहां के शौहर शौकत हुसैन रिज़वी ने वो बना रहें 'ज़ीनत' (१९४५) फ़िल्म की कव्वाली में उसे पेश किया। वह "आहें न भरी शिकवें ना किये.." कव्वाली हिट रही। बाद में नूरजहाँ नायिका वाली उनकी अगली 'जुगनू' (१९४७) फ़िल्म में नायक दिलीपकुमार की बहन की भूमिका शशिकला को मिली। यह फ़िल्म तो बड़ी कामयाब रही, लेकिन इस के तुरंत बाद बटवारे की वजह से नूरजहां और शौकत हुसैन रिज़वी पाकिस्तान चले गएँ।..और उस स्टूडियो की अच्छी तनख्वां की उसकी नौकरी चली गई!
फिर कुछ फिल्मों में छोटे रोल्स करने के बाद, १९५३ में जानेमाने फ़िल्मकार व्ही. शांताराम ने बहु भाषिक परिवारों पर बनी 'तीन बत्ती चार रास्ता' में शशिकला को मराठी बीवी की भूमिका दी। इसके बाद 'शर्त' (१९५४) जैसी फ़िल्मों में वो नायिका भी रही। इसमें 'डाकू' (१९५५) में तो वो शम्मी कपूर की नायिका थी!
१९५६ में आयी वैजयंतीमाला नायिका वाली 'पटरानी' फ़िल्म से वह सह नायिका के किरदार में आने लगी। शमी-सायरा की हिट 'जंगली' (१९६१) में तो उसे अनूप कुमार के साथ "नैन तुम्हारे मज़ेदार.." गाने में आना पड़ा। (दरमियान गुज़रे ज़माने के मशहूर गायक-कलाकार.. कुन्दनलाल सैगल के परिवार से संबधित ओमप्रकाश सैगल से कम उम्र में उनकी शादी हुई!)
'फूल और पत्थर' (१९६६) फ़िल्म में धर्मेंद्र और शशिकला! |
बुजुर्ग अभिनेत्री शशिकला जी! |
२००१ में करन जोहर की पारीवारिक फ़िल्म 'कभी ख़ुशी कभी गम' में शशिकला दादी हुई। बाद में.. टेलीविजन धारावाहिकों में भी वो बुजुर्ग किरदारों में नज़र आती रहीं। लगभग २०० फ़िल्मों में उन्होंने काम किया।
२००७ में शशिकला जी को 'पद्मश्री' से नवाज़ा गया!
एक बात से खेद होता है की, इतनी ख़ूबसूरत अच्छी अदाकारा बतौर नायिका ज्यादा आ नहीं सकी।
उनसे फ़िल्म समारोह के दौरान हुई अच्छी बातचीत अब याद आ रही हैं।
अब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा किया हैं!
उन्हें मेरी सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
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