Sunday 25 April 2021

एक्सक्लुजिव्ह!

'बेकेट' से 'नमक हराम' और 'बेईमान' तक!


'बेकेट' (१९६४ ) इस पीटर ग्लेनविल्ले निर्देशित
फिल्म में पीटर ओ'टूले और रिचर्ड बर्टन!

मशहूर फ़्रांसीसी लेखक जाँ अनौइल्ह ने 'बेकेट' यह नाटक लिखा था। वह स्टेज पर आकर अब ६० साल हुएं हैं! इस पर बहोत अर्से पहले उसी नाम की अंग्रेजी फिल्म भी बनी।..और हमारे यहाँ 'नमक हराम' यह सफल हिंदी फ़िल्म और 'बेईमान' यह मराठी नाटक भी!

'बेकेट' इस मूल फ्रेंच नाटक के लेखक जाँ अनौइल्ह!
'बेकेट' या 'द ऑनर ऑफ़ गॉड' यह नाटक राजा हेनरी द्वितीय और थॉमस बेकेट के बीच संघर्षों का एक पुन: प्रवर्तन है! पहले राजा का अच्छा दोस्त बेकेट बाद मे कैंटरबरी का आर्च बिशप बनने के बाद राजा की शक्ति के खिलाफ चर्च के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए प्रयास करता है। ऐसा अनौइल्ह ने लिखे इस 'बेकेट' का मूल सार था। इसे पहली बार मूल फ्रेंच भाषा में ही ८ अक्टूबर, १९५९ में 'थिएटर मोंत्पर्नास्से' में मंचित किया गया।

उसके बाद इसका पहला 'ब्रॉडवे प्रॉडक्शन' ५ अक्टूबर,१९६० में 'सेंट जेम्स थिएटर' में सादर हुआ। डेविड मेर्रिक ने इस का निर्माण किया था और पीटर ग्लेनविल्ले ने निर्देशन। इसमें मेक्सिकन अभिनेता एंथोनी क्विन ने किंग हेनरी द्वितीय का किरदार निभाया था और थॉमस बैकेट की शिर्षक भूमिका की थी ब्रिटिश अभिनेता लॉरेंस ओलिवियर ने। दोनों मंजे हुएं कलाकार होने के कारन उसे सराहा गया और प्रतिष्ठित 'टोनी अवार्ड्स' भी मिले!

'नमक हराम' (१९७३) इस हृषिकेश मुख़र्जी निर्देशित 
फिल्म में रेखा, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन!
फिर १९६४ में यह नाटक फिल्म के रूप में परदेपर आया। इसे मूल संहिता के अनुसार नहीं बल्कि कुछ काल्पनिक कथा के रूप में पेश किया गया था। इसके लिए एडवर्ड अनहल्ट ने अतिरिक्त सीन्स लिखें। अमेरिकन हल वॉलिस निर्मित इस फिल्म का निर्देशन ब्रिटिश पीटर ग्लेनविल्ले ने किया था। अतिभव्य आउटडोअर में चित्रित कॉश्चुम ड्रामा की तरह ही यह था! इसमें पीटर ओ'टूले ने किंग हेनरी द्वितीय और हैंडसम रिचर्ड बर्टननें थॉमस बैकेट ये किरदार प्रभावी तरीके से साकार किएं। इसे कई अवार्ड्स मिले जिसमे अनहल्ट को 'बेस्ट अडाप्टेड स्क्रीनप्ले' का 'ऑस्कर', ब्रिटिश सिनेमैटोग्राफर जेओफ्री उन्सवर्थ को 'उत्कृष्ट फिल्मांकन' का 'बाफ्टा' और पीटर ओ'टूले को 'बेस्ट एक्टर' का 'गोल्डन ग्लोब' शामिल हैं!

इसके बाद 'बेकेट' हमारे भारतीय सिनेमा के परदेपर नहीं आता तो आश्चर्य होता; क्यों की इसका बॉलीवुड जॉनर में बैठनेवाला प्लॉट! १९७३ में जानेमाने फ़िल्मकार हृषिकेश मुख़र्जी जी ने 'नमक हराम' नाम से इसे बनाया..जिसके लिए उन्होंने गुलज़ार जी के साथ इसकी पटकथा लिखी। इसमे उन्होंने 'बेकेट' को अमीर और गरीब दोस्तों की कहानी में डालकर उसे पूंजीवाद और समाजवाद के संघर्ष का रंग दिया! उद्योजक का बेटा विकी अपने पिता की मिल की समस्या सुलझाने के लिए अपने गरीब जरूरतमंद दोस्त सोमू को वहां लाता है। लेकिन बाद में वो वहां यूनियन लीडर बनता है और फिर इस दोस्ती में दरार पैदा होता है। इसमें अमिताभ बच्चन ने अमीर विकी और राजेश खन्ना ने इमानदार सोमू ये किरदार बख़ूबी निभाएं थे! उनके साथ सिम्मी ग्रेवाल, रेखा और विशेष भूमिका में रज़ा मुराद थे।

'नमक हराम' (१९७३) फिल्म के चित्रीकरण दौरान अभिनेते..
राजेश खन्ना-अमिताभ बच्चन से चर्चा करते निर्देशक हृषिकेश मुख़र्जी!
'नमक हराम' ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल की। इसके आनंद बक्षी ने लिखें और आर. डी. बर्मन ने संगीत दिए "नदिया से दरिया.." और "दिएँ जलतें हैं फूल खिलतें हैं..बड़ी मुश्किल से मगर दुनियाँ में दोस्त मिलतें हैं.." जैसे किशोर कुमारने गाएं गानें हिट हुएं। इसके लिए राजेश खन्ना को 'बी एफ जे ए' का 'सर्वोत्कृष्ट अभिनेता' और अमिताभ बच्चन को 'फ़िल्मफ़ेअर' का 'सर्वोत्कृष्ट सहायक अभिनेता' पुरस्कार मिलें!
 
आगे विख्यात मराठी नाटककार वसंत कानेटकर ने भी 'बेकेट' से प्रेरणा लेकर 'बेईमान' नाटक लिखा। प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रभाकर पणशीकर ने सफलता से उसे रंगमंच पर लाया। मुझे याद है इन दोनों नाट्यकृतिओं की तुलना पर पुणे में कानेटकर जी और पणशीकर जी की हुई संगोष्ठी!

'नमक हराम' (१९७३) के "मैं शायर.." गाने में रज़ा मुराद!
लेकिन 'नमक हराम' फिल्म अपनी अलग पहचान बनाते एक क्लासिक होकर रह गई। इसकी ख़ास बात यह थी की सुपरस्टार राजेश खन्ना से उभरते 'एंग्री यंग मैन' (आने वाले सुपर स्टार) अमिताभ बच्चन का हुआ कड़ा  मुक़ाबला! इन दोनों की अभिनय विशेषताओं को दर्शातें इसके सीन्स मुझे याद हैं..जैसे नाराज़ अमिताभ की तरफ़ देखकर उसकी मंगेतर सिम्मी को राजेश का अपनी धीमी आवाज़ से कहना "आज कल हमारी कट्टी हैं!" और जब राजेश पर 'मैनेजमेंट का आदमी' समझकर हमला होता है, तब अमिताभ का वहा ग़ुस्से से आकर कहना.."मेरे सोमू को कुछ हो गया तो मै पूरी बस्ती को आग लगा दूंगा!"..दोनों अपनी जगह बराबर थे! 

फिर भी मुझे पूछे तो, इसमे ज़िंदगी से हारे शायर की भूमिका में रज़ा मुराद उनपर काफ़ी हावी हुए! एक बार यहां 'फिल्म इंस्टिट्यूट' में जब वह मिले तो मैंने उनसे कहा, "रज़ा साहब आप ने तो 'नमक हराम' में दोनों सुपरस्टार्स को खा लिया!" यह सुनकर उन्होंने प्यारसे मेरा हाथ दबाया था!!

- मनोज कुलकर्णी

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