एक्सक्लुजिव्ह!
"आप के हसीन रुख़ पे आज नया नूऱ हैं.."
'बहारें फिर भी आएंगी' (१९६६) इस फ़िल्म का "आप के हसीन रुख़ पे.." यह रफ़ीसाहब ने गाया रूमानी गाना मुझे बहोत पसंद हैं! परदेपर धर्मेंद्र पियानोपर बैठकर यह पेश करते हैं..सामने होतीं हैं ख़ूबसूरत माला सिन्हा और तनुजा..दोनों वह अपने लिए समझती हैं!
'बहारें फिर भी आएंगी' शुरू करते समय क्लैपरबॉर्ड के साथ गुरुदत्त! |
एक राज की बात बताएं..असल में उसमें गुरुदत्त पियानोपर बैठे नज़र आते! निर्माता गुरुदत्त जी ख़ुद वह भूमिका साकार कर रहे थे! सिनेमैटोग्राफर जी. के. प्रभाकर से अपनी पसंद से माला सिन्हा के कुछ क्लोज-अप्स इस गाने में उन्होंने फिल्माएं भी..जो अब उस गाने में वैसे ही हैं!..पर वो वहां ठहर न सके!
'बहारें फिर भी आएंगी' शुरू हुई तब प्रमुख भूमिका में माला सिन्हा और गुरुदत्त पर चित्रित प्रसंग! |
बाद में धर्मेंद्र को लेकर निर्देशक शाहिद लतीफ़ जी ने वह फ़िल्म १९६६ में पूरी की..जिसपर 'गुरुदत्त टच' का असर दिखता ही हैं! अब इंटरनेट पर (गुरुदत्तजी के पुत्र) अरुण दत्त से इस फ़िल्म की शुरुआती कुछ तस्वीरें आयी हुई देखीं..जो यहां हैं!
कुछ साल पहले पुणे में, हमारे कोरेगांव पार्क एरिया में अरुण दत्तजी ने उनका इंस्टिट्यूट शुरू किया था! तब मेरी उनसे मुलाकातें होतीं थी और 'गुरुदत्त प्रोडक्शन' की फिल्मों पर आस्वादक चर्चाएं भी! हुबहू अपने पिता जैसे दिखनेवाले उनका हाथ एक बार मैंने श्रद्धा से हाथ में लेकर कहां "मुझे गुरुदत्तसाहब को मिलने का अहसास हो रहा हैं!" यह सुनकर वो भी सद्गदित हुएं!!
- मनोज कुलकर्णी
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