मेरे इस ब्लॉग पर हमारे भारतीय तथा पूरे विश्व सिनेमा की गतिविधियों पर मैं हिंदी में लिख रहा हूँ! इसमें फ़िल्मी हस्तियों पर मेरे लेख तथा नई फिल्मों की समीक्षाएं भी शामिल है! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
Friday, 30 April 2021
Thursday, 29 April 2021
तोशिरो म्यूफुन या विनोद खन्ना!
![]() |
अकीरा कुरोसावा की तोशिरो म्यूफुन अभिनीत 'हाई एंड लौ' (१९६३) का सीन! |
![]() |
राज एन. सिप्पी ने बनाई विनोद खन्ना स्टार्रर बॉलीवुड रीमेक 'इन्कार' (१९७७) का सीन! |
Wednesday, 28 April 2021
ख़ूबसूरत राजश्री.."तेरे ख़यालों में हम!"
अपने रूमानी हिंदी सिनेमा में मशहूर रही, एक मराठी ख़ूबसूरत अभिनेत्री याद आयी (हालांकि उसे भुला तो नहीं था) वो है राजश्री..जो अमरीकन से शादी करके वहां हमेशा के लिए चली गयी!
![]() |
अपने दिग्गज फ़िल्मकार पिता व्ही. शांताराम के साथ राजश्री! |
![]() |
पिता व्ही. शांताराम की 'गीत गाया पत्थरों ने' (१९६४) फ़िल्म में जिंतेंद्र के साथ राजश्री! |
उसमें राजश्री की अदाकारी की तारीफ़ हुई। वैसे पहले ही - मनोज कुमार, बिस्वजीत जैसे अभिनेताओं के साथ आकर वो सफल अभिनेत्री हो ही गयी थी! फिर धर्मेंद्र से राज कपूर तक (उम्र से बड़े) अभिनेता के साथ वो नायिका के रूप में नज़र आयी! इसमें उसकी 'जानवर' (१९६५) यह रिबेल स्टार शम्मी कपूर के साथ रोमैंटिक म्युज़िकल हिट रही। उस ज़माने का फेमस इंग्लिश बैंड 'बीटल्स' के "आय वांना होल्ड यूअर हैंड.." इस हिट धून पर "देखो अब तो किस को नहीं है खबर.." इस गाने में शम्मी-राजश्री का डांस आकर्षक रहा! इससे अलग "मेरी मोहब्बत जवाँ रहेगी.." इस रफ़ी जी ने गाए संजीदा रूमानी गाने में इन दोनों की प्रेमभावनाएँ दिल को छू गयी!
![]() |
रोमैंटिक म्युज़िकल 'जानवर' (१९६५) में राजश्री और रिबेल स्टार शम्मी कपूर! |
![]() |
'ब्रह्मचारी' (१९६८) के उस गाने में भावुक राजश्री! |
Monday, 26 April 2021
यार पे कर दे सब क़ुर्बान.."
'क़ुर्बानी' (१९८०) में ऐसी ख़ूब यारी दिखानेवाले फ़िरोज़ - खान का पहले (२००९ में) और विनोद खन्ना का उसके बाद (२०१७ में) इसी २७ अप्रैल को जहाँ को अलविदा करना..
इसको कैसा संजोग कहे..वाकई में यारी निभाना!
'क़ुर्बानी' फ़िल्म को अब ४० साल हो गएँ हैं।इनको सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
Sunday, 25 April 2021
इन्सानियत ही वृद्धिंगत हो!
![]() |
'धुल का फूल' (१९५९) के "इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा.." गाने में छोटे बच्चे के साथ मनमोहन कृष्ण जी! |
श्रेष्ठ कवि और गायक परिवारों का मिलाप!
![]() |
भारतीय सिनेमा की जानीमानी ख़ूबसूरत अदाकारा..शर्मिला टैगोर! |
अपने रूमानी भारतीय सिनेमा के सुवर्ण काल की जानीमानी ख़ूबसूरत अदाकारा..शर्मिला टैगोर जी को 'मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार' जाहीर हुआ हैं।
![]() |
स्वरसम्राज्ञी..लता मंगेशकर जी! |
![]() |
'मेरे हमदम मेरे दोस्त' (१९६८) के "चलो सजना.." गाने में शर्मिला टैगोर! |
एक्सक्लुजिव्ह!
एक्सक्लुजिव्ह!
'बेकेट' से 'नमक हराम' और 'बेईमान' तक!
![]() |
'बेकेट' (१९६४ ) इस पीटर ग्लेनविल्ले निर्देशित फिल्म में पीटर ओ'टूले और रिचर्ड बर्टन! |
मशहूर फ़्रांसीसी लेखक जाँ अनौइल्ह ने 'बेकेट' यह नाटक लिखा था। वह स्टेज पर आकर अब ६० साल हुएं हैं! इस पर बहोत अर्से पहले उसी नाम की अंग्रेजी फिल्म भी बनी।..और हमारे यहाँ 'नमक हराम' यह सफल हिंदी फ़िल्म और 'बेईमान' यह मराठी नाटक भी!
![]() |
'बेकेट' इस मूल फ्रेंच नाटक के लेखक जाँ अनौइल्ह! |
![]() |
'नमक हराम' (१९७३) इस हृषिकेश मुख़र्जी निर्देशित फिल्म में रेखा, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन! |
![]() |
'नमक हराम' (१९७३) फिल्म के चित्रीकरण दौरान अभिनेते.. राजेश खन्ना-अमिताभ बच्चन से चर्चा करते निर्देशक हृषिकेश मुख़र्जी! |
![]() |
'नमक हराम' (१९७३) के "मैं शायर.." गाने में रज़ा मुराद! |
Friday, 23 April 2021
दिल है कि मानता नहीं!
![]() |
संगीतकार (नदीम-श्रवण में से) श्रवण राठौड़! |
१९९० के दशक में रोमैंटिक बॉलीवुड म्यूजिक पर एक संगीतकार जोड़ी का जैसे राज था, वो थी..
एकमात्र फ़िल्म के दो सितारें साथ!
![]() |
फ़िल्मकार एस. एस. वासन की 'इंसानियत' (१९५५) |
अपने भारतीय सिनेमा के सुनहरे काल के..ट्रैजेडी किंग युसूफ ख़ान याने दिलीप कुमार और एव्हरग्रीन रोमैंटिक हीरो देव आनंद..इन्होने सिर्फ़ एक ही फ़िल्म में साथ काम किया था। वह थी साऊथ के दिग्गज फ़िल्मकार एस. एस. वासन की 'इंसानियत' (१९५५)..जो एक कॉश्चुम ड्रामा था और उसमें बीना रॉय उनके साथ थी!
ताजमहल पर मुख़्तलिफ़ राय के दो शायर!!
Wednesday, 21 April 2021
ओ दूर के मुसाफ़िर..!
![]() |
रूमानी शायर और गीतकार शकील बदायूनी जी! |
![]() |
'लीडर' (१९६४) के "ताजमहल.." गाने में वैजयंतीमाला-दिलीपकुमार! |
"एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल
सारी दुनिया को मुहब्बत की निशानी दी है.."
मैं अक्सर देखता हूँ यह लाजवाब रूमानी गीत..और तसव्वुर में हसीन ताजमहल के आग़ोश में अपनी मोहब्बत!
तो कभी शायराना मिज़ाज में अपनी माशूक़ा को याद करके यह भी..
"ऐ हुस्न ज़रा जाग तुझे इश्क़ जगाये.."
![]() |
'मेरे मेहबूब' (१९६३) के "इज़हार.." गाने में राजेंद्र कुमार-साधना! |
मेरे ऐसे पसंदीदा रूमानी गीत शायर शकील बदायूनी जी की कलम से आएं थे
कल उनके स्मृतिदिन पर ऐसे उन्होंने लिखें मुख़्तलिफ़ जज़्बातों के गीत याद आतें रहें।
उत्तर प्रदेश के बदायूँ में जन्मे शकील मसऊदी के वालिद क़ादिरी साहब ने उन्हें अरबी, उर्दू, फ़ारसी की अच्छी तालीम दिलवाई। उनके एक रिश्तेदार ज़िया-उल-कादिरी बदायूनी मज़हबी किस्म के शायर थे। उनसे शुरू में वे मुतासिर हुए और साथ ही बदायूँ का माहौल अपनी शायरी लिखने को उन्हें प्रेरित कर गया।
१९३६ में जब वे 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय' में आएं तब वहां के मुशायरों में शरीक हुएं, जिसमें उन्हें काफी सराहा गया। (बाद में उनकी शायरी से सजी रूमानी मुस्लिम सोशल फ़िल्म 'मेरे मेहबूब' में
जैसा दिखाया, कुछ वैसा ही माहौल उन्हें असल में यहाँ मिला ऐसा कह सकते हैं!) ख़ैर, यहाँ उन्होंने अब्दुल वहीद 'अश्क' बिजनौरी से बाक़ायदा उर्दू कविता सीखी।
![]() |
मुशायरे में अपनी शायरी पढ़ते शकील बदायूनी जी! |
"मैं शकील दिल का हूँ तर्जुमा
कि मोहब्बतों का हूँ राजदान
मुझे फख्र है मेरी शायरी..
मेरी ज़िंदगी से जुदा नहीं"
![]() |
संगीतकार नौशाद अली, गायक मोहम्मद रफ़ी और गीतकार शकील बदायूनी! |
![]() |
'चौदवीं का चाँद' (१९६०) के शीर्षक गीत में रूमानी गुरुदत्त-वहीदा रहमान! |
![]() |
गायक मोहम्मद रफ़ी, गीतकार शकील बदायूनी और संगीतकार रवि! |
शकील जी ने कुल ८९ फ़िल्मों के लिएं गीत लिखें। इसके अलावा उन्होंने गैर-फिल्मीं ग़ज़लें भी लिखीं जो मशहूर बेग़म अख़्तर और पंकज उधास जैसों ने गायी।
२० अप्रैल, १९७० में महज़ ५३ साल की उम्र में शकील जी यह जहाँ छोड़ गए।
वे रुख़सत होकर अब पचास साल हो गएँ हैं!
उन्हें यह सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
एक्सक्लुजिव्ह!
![]() |
'बहारें फिर भी आएंगी' शुरू करते समय क्लैपरबॉर्ड के साथ गुरुदत्त! |
![]() |
'बहारें फिर भी आएंगी' शुरू हुई तब प्रमुख भूमिका में माला सिन्हा और गुरुदत्त पर चित्रित प्रसंग! |