Wednesday, 29 December 2021

एक्टिंग किंग शायद कहते होंगे..
"सुपरस्टार बरक़रार रहतें" उन्हें!


अपने लोकप्रिय भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना जी का आज ७९ वा जनमदिन! इसी महिने अपने एक्टिंग किंग दिलीप कुमार जी का ९९ वा जनमदिन था।

उन्हें सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी


"ये जो मोहब्बत है..ये उनका है काम.!"

रुमानी दिलों कि धडकन रहे लोकप्रिय भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार..जतिन खन्ना ऊर्फ राजेश खन्नाजी को उनके जनमदिन पर उन्हीके इस प्यार भरे गीत से याद करते है.. जिसकी वह मिसाल रहे!

 
- मनोज कुलकर्णी

Saturday, 25 December 2021


मौसीक़ी को जिन पर नाज़ था
नौशाद और रफ़ी वे फ़नकार थे!
नज़र उनको फूलों का गुलदस्ता
आसमाँ से आएं जो सितारें थे!

- मनोज 'मानस रूमानी'


हमारे अज़ीज़..गायक मोहम्मद रफ़ी जी का कल ९७ वा जनमदिन था और संगीतकार नौशाद जी का कल १०२ वा जनमदिन हैं!
इस अवसर पर उन्हें मेरी यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday, 21 December 2021


एक ज़माने में 'रेडिओ सीलोन' पर..
हिंदी फ़िल्म संगीत का 'बिनाका गीतमाला'
यह पहला कॉउंटडाउन प्रोग्राम मशहूर करने वाले..'पद्मश्री' अमीन सयानी जी को.. सालगिरह मुबारक़!


- मनोज कुलकर्णी


(यहाँ वे मेरा 'चित्रसृष्टी' विशेषांक सराहते!)

Tuesday, 14 December 2021

'आरके' की फ़िल्म 'मेरा नाम जोकर' (१९७०) और गीतकार शैलेन्द्र जी!

"कल खेल में हम हों न हों
गर्दिश में तारे रहेंगे सदा.."

संवेदनशील गीतकार शैलेन्द्र जी ने लिखा यह आखरी नग़्मा था..

अपने आखरी दिनों में उन्होंने 'आरके' की फ़िल्म 'मेरा नाम- जोकर' के लिए बड़ी मुश्किल से यह लिखा।

गीतकार शैलेन्द्र जी बेटे शैली के साथ!

हालांकि तब उनके १७ साल के बेटे शैली से राज कपूर ने उसे पूरा करवाया जिसने इसका मुखड़ा लिखा और अंतरें शैलेन्द्रजी ने लिखें।
तो "जीना यहाँ मरना यहाँ.." इस गाने से शैली शैलेन्द्र कम उम्र में गीतकार बने!

१४ दिसम्बर,१९६६ को शैलेन्द्र जी ने इस जहाँ को अलविदा किया और उसके चार साल बाद 'मेरा नाम जोकर' (१९७०) प्रदर्शित हुई, जिसे अब ५० साल हुए हैं।

संजोग ऐसा की, राज कपूर के जनमदिन पर शैलेन्द्रजी इस जहाँ से रुख़सत हुए थे!

ख़ैर, आज उनके स्मृतिदिन पर उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 12 December 2021

दो अज़ीम शख़्सियतों की मुलाक़ात!


१९६९ की यह दुर्लभ तस्वीर है जब 'सरहद गाँधी' अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान भारत आएं थे..
तब अपने लाजवाब अदाकार यूसुफ़ साहब (दिलीप कुमार) उनसे बड़ी अदब से मिले थे!

अब अपने अदाकारी के शहंशाह (दिलीप कुमार) की बादशाह ख़ान ('सरहद गाँधी') से जन्नत में मुलाक़ात हुई होंगी!

संजोग ऐसा की, इन दोनों अज़ीम शख़्सियतों की बस दो साल की दूरी रह गयी थी अपनी उम्र के सौ साल पुरे करने में!

ख़ैर, उनको सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday, 11 December 2021


यूँ तो अदाकार ख़ूब हुए, हैं, रहेंगे...
अदाकारी के सरताज़ यूसुफ़ ही रहेंगे

- मनोज 'मानस रूमानी'


(अपने भारतीय सिनेमा के अभिनय सम्राट, हमारे अज़ीज़ दिलीपकुमार जी के ९९ वे - जनमदिन पर!..याद आ रही हैं उनसे हुई मुलाकातें!)

- मनोज कुलकर्णी

अब विकैट से किसीकी फिर गयी विकेट 🏏

टूट कर घायल भी हुए कई दिल! 💔

- मनोज 'मानस रूमानी'

Thursday, 9 December 2021

ये क्या हुआ..कैसे हुआ..🚁

😔   🙏

Sunday, 5 December 2021

'तस्वीर-ए-हिंद' दिखाती शानदार शख़्सियत!



टेलीविज़न हिंदी समाचार जगत के वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ जी गुज़र जाने की ख़बर से सदमा पहुंचा!

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर एक विश्वसनीय पत्रकारिता का चेहरा थे विनोद दुआ! दूरदर्शन पर प्रणॉय रॉय (अंग्रेजी में) के साथ उनका (हिंदी में) चुनावी विश्लेषण का कार्यक्रम काफी मशहूर हुआ। बाद में उनके 'एनडीटीवी' पर भी वार्तालाप के कई प्रोग्राम होते रहें।

हिंदी समाचार जगत में चार दशकों से ज़्यादा उनका अनूठा सफर रहा। निष्पक्ष और साफ सुधरी पत्रकारिता की वे मिसाल रहे। 'पद्मश्री' से वे सम्मानित हुए थे!

वे एक अनोखी शख़्सियत थे, जिनको राजनीति के अलावा बाकी भी कई विषयों में रूचि थी। जैसे साहित्य, शायरी, सिनेमा से संगीत, नृत्य तक! सफर और खाने के शौकीन उनके 'विनोद दुआ लाइव' के साथ 'ज़ायका इंडिया का' जैसे कार्यक्रम भी रंजक रहें। 
कुछ महिने पहले गुज़र गयी उनकी पत्नी के साथ उनका महफ़िलों में गाना लाजवाब होता था!

मुझे अब भी याद है पच्चीस साल पहले की दिल्ली में हुए अपने आंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह 'इफ्फी' की शानदार पार्टी में उनसे हुई मुलाक़ात और दिलख़ुलास बातें!

अलविदा दुआ जी!!

- मनोज कुलकर्णी

 

Friday, 3 December 2021


"ऐ मेरे हमसफ़र.."

बॉलीवुड की लोकप्रिय आवाज़ गायक उदित नारायण जी, ६६ मुबारक़ हो!

- मनोज कुलकर्णी 

(उनके साथ ३० साल पुरानी मेरी तस्वीर!)

Thursday, 2 December 2021

'संसार' (१९५१) फ़िल्म के इस गाने में मोहना के साथ कॉमेडियन आगा!


"लखनऊ चलो अब रानी
बम्बई का बिगड़ा पानी.!"


हाल ही में हुए अपने प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह 'इफ्फी' के समापन समारोह में जब ऊ. प्र. राज्य को पुरस्कार दिया गया तब उसपर दिखाई चित्रफीत में यह गीत बख़ूबी समाया था!

'जेमिनी' के वासन की १९५१ की फ़िल्म 'संसार' का कॉमेडियन आगा का अपनी माशूका को कहता वह गीत था। पंडित इंद्र ने लिखे इस गीत को शकर शास्त्री और पार्थसारथी के संगीत में गीता दत्त और जी. एम्. दुर्रानी ने गाया था।

अब के हालातों के मद्देनज़र इस गाने को 'सोच समझ कर' उस चित्रफित में डाला हुआ लगा!

'ब्रह्मचारी' (१९३८) इस मराठी फ़िल्म में मीनाक्षी शिरोडकर!

इसके अलावा दूसरी बात, गोवा के कलाकारों का सिनेमा में योगदान में दिग्गज मीनाक्षी शिरोडकर जी का नाम 'इफ्फी' समापन समारोह में नहीं लिया गया! महाराष्ट्र में बड़ी हुई इस अभिनेत्री मीनाक्षी जी का - पारिवारिक मूल (पेडनेकर) गोवन था!

ख़ैर, प्रादेशिक अस्मिता से परे राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने सभी राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर को हम सराहते हैं। और नज़ाकत-नफ़ासत का लखनऊ तो हमारा खास पसंदीदा हैं!

- मनोज कुलकर्णी

गुलाबी ठंड में रूमानी सपनों से..रजाई से बाहर नही आवत हैं!

"यह मुँह और मसूर की दाल" मुहावरा अब किसी के लिए याद आया!

Tuesday, 30 November 2021


हालातों के मद्देनज़र मरहूम, मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ साहब की शायरी हुई याद...

निसार मैं तेरी गलियों के ऐ वतन, कि जहाँ
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले..
जो कोई चाहनेवाला तवाफ़ को निकले..
नज़र चुराके चले, जिस्म-ओ-जाँ बचाके चले

- फैज़ अहमद फैज़

Sunday, 28 November 2021

गोवा कलाकारों का सिनेमा में योगदान में दिग्गज मीनाक्षी शिरोडकर जी का नाम इस 'इफ्फी' समापन समारोह में नहीं सुना! उनका परिवार गोवन मूल का था!

दिल्ली 'इफ्फी', ठण्ड और चाय!


दिल्ली के 'सीरी फोर्ट' में 'इफ्फी' फिल्म्स स्क्रीनिंग के दौरान चाय का लुत्फ़ उठाते!

अब पच्चीस साल पुराना अतीत हुआ यह!

- मनोज कुलकर्णी

बम्बई के फिल्मवालों के साथ 'इफ्फी'!



बम्बई के 'इफ्फी' समारोह दौरान अभिनेत्री आशा पारेख जी के साथ कुछ बातें!

अब पच्चीस साल पुराना अतीत हुआ यह!

- मनोज कुलकर्णी

आशा हैं केसरियाँ आँचल से बाहर आकर 'इफ्फी' खुली हवा में सांस लेंगा!

Saturday, 27 November 2021

डॉ. बच्चन की सर्वोत्तम रचना!



ख्यातनाम हिंदी कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन जी को एक सम्मेलन में पूछा गया..
"आप की सर्वोत्तम रचना किसे कहेंगे?"

तब सब को लगा डॉ. बच्चन 'मधुशाला' कहेंगे; लेकिन उन्होंने कहाँ..
"अमिताभ मेरी सर्वोत्तम रचना हैं!"

आज उनके जनमदिन पर यह याद आया!

उन्हें अभिवादन!!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday, 24 November 2021

रूमानी 'खुशबू' की खूबसूरत शायरा..परवीन शाकिर! 


"हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ..
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं"

ऐसा रूमानी लिखनेवाली वहां पाकिस्तान की मुमताज़ शायरा थी परवीन शाकिर.. जिनका का आज जनमदिन!

"वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है..फूल किधर जाएगा"
ऐसा मोहब्बत के जज़्बे को उन्होंने कोमलता से अपनी स्त्रीवाची शायरी में बयां किया था।

रिवायतों से आज़ाद, आधुनिक संवेदना बयां करनेवाली उनकी 'सदबर्ग', 'ख़ुद-कलामी', 'आँखों में सपना', 'माह-ए-तमाम' और 'ख़ुशबू' ऐसी किताबें मशहूर हुई।

"समंदरों के उधर से कोई सदा आई
दिलों के बंद दरीचे खुले, हवा आई"
ऐसी यहाँ हुए मुशायरे में उनकी शिरकत देखकर उनकी मक़बूलियत सरहद के दोनों तरफ थी इसका अहसास हुआ!

अपनी मुख़्तसर ज़िंदगी में उन्होंने रूमानी शायरी को चार चाँद लगा दिएँ!

उनकी याद में उन्ही का शेर..
"किस मक़्तल से गुज़रा होगा
इतना सहमा सहमा चाँद!"

उन्हें मेरी सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday, 22 November 2021


 

सालों पहले मौसीकार ओ. पी. नय्यर जी ने हमसे खिली हुई महफ़िल में कहाँ.."हमें सिर्फ़ दिलचस्पी हैं रवाब, शराब, कबाब और शबाब में!"


- मनोज कुलकर्णी

Saturday, 20 November 2021

"उतरे थे कभी 'फ़ैज़' वो आईना-ए-दिल में
आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का"

लिखनेवाले दोनों मुल्कों में मक़बूल अज़ीम शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जी का आज ३७ वा स्मृतिदिन!

वह शेर फ़ैज़ साहब और उनकी शायरी बख़ूबी पढ़नेवाले (हाल ही में इस जहाँ से रुख़सत) अपने लाजवाब अदाकार यूसुफ़ ख़ान..दिलीपकुमार जी के लिए याद आया!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

कहीं ऐसा न हो की 'इफ्फी' का उद्घाटन भी पंगा क्वीन करे!

Friday, 19 November 2021

पलटकर केसरिया हुक्मरान कैसे माने
आगामी चुनावी नतीजों की आहट से!

- मनोज 'मानस रूमानी'


(कृषि कानून वापसी पर!)

अब इस पर सीधी 'मेन्टल है क्या' फ़िल्म निकले!

पंद्रह साल पुरे किये 'वो लम्हे' यह इसकी शुरुआती फिल्म का यह दृश्य!

यह अब हक़ीक़त में न बन जाये!

अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे!

कभी पागलपन, कभी ग़ैरजिम्मेदाराना
खेल समझा है अभिव्यक्ति से बोलना!

कोई अज्ञान से बेहूदा बातें करतें
कोई किताबें पढ़कर भी हैं करतें!

Tuesday, 16 November 2021

केसरियाँवालें आने के बाद से..
धर्म-जातिवाद को बढ़ावा मिला हैं!

Sunday, 14 November 2021


"मेरी आवाज़ सुनो..प्यार का राज़ सुनो..
मैंने एक फूल जो सीने पे सजा रखा था..
उसके परदे मैं तुम्हे दिल से लगा रखा था
था जुदा सबसे मेरे इश्क़ का अंदाज़ सुनो.!"

हमारे आज़ाद धर्मनिरपेक्ष भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को उनके १३२ वे जनमदिन पर सलाम!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday, 11 November 2021

"शबाब आप का नशे में खुद ही चूर चूर है..
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या क़ुसूर है"


ऐसा जिनसे मुख़ातिब होकर शायर ने कभी लिखा वह थी..
अपने रूमानी भारतीय सिनेमा की ख़ूबसूरत अदाकारा माला सिन्हा जी!


 

उनको ८५ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday, 9 November 2021

"सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा..
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलसिताँ हमारा!"


यह लिखनेवाले दोनों मुल्कों में मक़बूल अज़ीम शायर अल्लामा इक़बाल जी का आज जनमदिन!

उन्होंने मुख़्तलिफ़ जज़्बातों पर भी शायरी लिखी जैसे की..
"सितारों से आगे जहाँ और भी हैं..
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं.."

और मशहूर..
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है..
बड़ी मुश्किलसे होता है चमनमें दीदावर पैदा


उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday, 4 November 2021

शुभ दीपावली!🪔

मायूस ज़िंदगी से दूर हो अंधियारा
दीप दिवाली के लाए रोशन सवेरा!

- मनोज 'मानस रूमानी'

 
शबाब आपका यूँ बरक़रार रहे
अदाकारी के जलवें दिखाती रहे
जवाँ आशिक़ भी होश खो बैठे
महफ़िल आपकी यूँ शादाब रहे

- मनोज 'मानस रूमानी'

(अपनी ख़ूबसूरत अदाकारा तब्बू की आज ५ वी सालगिरह! इस मौके पर मीरा नायर के 'अ सुटेबल बॉय' में से ईशान खट्टर के साथ उसके इस सीनपर मैंने यह लिखा हुआ।)

 - मनोज कुलकर्णी

 

Monday, 1 November 2021

'हम दिल दे चुके सनम' (१९९९) फ़िल्म में सलमान ख़ान और ऐश्वर्या राय!
 
इश्क़ शायद ही इतना परवान चढ़ा होगा..
इसलिए चाँद भी मजबूरन मुख़ातिब हुआ

- मनोज 'मानस रूमानी'

 
आज भारतीय सिनेमा की एक ख़ूबसूरत अदाकारा ऐश्वर्या राय-बच्चन की वी सालगिरह!
 
'देवदास' (२००२) फ़िल्म में शाहरुख़ ख़ान और ऐश्वर्या राय!

 
 
इस मौके पर मुझे अपने बॉलीवुड के इन दो सुपरस्टार्स (सलमान-शाहरुख़) खानों के साथ उसके ये रूमानी लम्हें याद आएं..और मैंने ऊपर का शेर लिखा!
 
 
शुभकामनाए!
 
 
- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 31 October 2021

एहसास हो रहा है..
आप लौट आयी हैं!

प्रियंका जी में आप..
हमें नज़र आ रही हैं!


- मनोज 'मानस रूमानी'


(आज अपने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के स्मृतिदिन पर उन्हें सलाम करते हुए इस आशावादी चित्र पर मैंने ग़ौर किया है!)


- मनोज कुलकर्णी

Friday, 29 October 2021

गीतकार अंजान जी की याद!

गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी!

'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) फ़िल्म के उस गाने में धर्मेंद्र, तनुजा और माला सिन्हा!

"आप के हसीन रुख़ पे
आज नया नूऱ है..
मेरा दिल मचल गया
तो मेरा क्या कसूर है"


रफ़ी साहब ने गाया मेरा यह पसंदीदा रूमानी गीत फिर से मन में गूंजा..
इसके गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी के हुए ९१ वे जनम दिन पर!

'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) इस फ़िल्म के इस गाने की विशेषताएं ये थी की, अपने टिपिकल (टांगा ट्यून) रिदम से हट कर संगीतकार ओ. पी. नैयर जी ने इसे पियानो पर कम्पोज किया था।..और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की ('डॉन', 'लावारिस', 'याराना' जैसी) हिट फिल्मों से मशहूर गीतकार अंजान जी ने (उससे पहले) इसे तरल रूमानियत से लिखा था।

'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) फ़िल्म में अमिताभ बच्चन!

वैसे जानेमाने फ़िल्मकार प्रकाश मेहरा जी की फ़िल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) के उनके गानें भी बड़े संजीदा थे, जिसके शीर्षक गीत में कहा गया था..

"ज़िन्दगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत मेहबूबा है अपने साथ ले कर जाएगी"


ऐसे अंजान जी को सुमनांजलि!

- मनोज कुलकर्णी

Monday, 25 October 2021

"वो सुबह कभी तो आयेगी..."

यथार्थवादी शायर साहिर लुधियानवी जी का आशावाद अभी भी बरक़रार..!

उनको ४१ वे स्मृतिदिन पर सुमनांजली!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 24 October 2021

"इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैग़ाम हमारा.."


आज भी समकालीन मूल्य रखनेवाला यह कवी प्रदीपजी का गीत उसी उदात्त भावना से गाया था मन्ना डे जी ने.. नका आज ८ वा स्मृतिदिन!

सी. रामचंद्र जी के संगीत में गाये उनके इस गाने की अहम बात ऐसी की, यह एकमात्र अपने लाजवाब अदाकार दिलीपकुमार जी पर बैकग्राउंड फ़िल्माया गया! इसके अलावा मन्नादा का कभी पार्श्वगायन नहीं हुआ दिलीपकुमार जी के लिए!

 

'पैग़ाम' (१९५९) इस सोशल फ़िल्म के उस गाने के सीन में दिलीप कुमार और मोतीलाल परदे पर आतें हैं।

खैऱ, मन्नादा और यूसुफ़साहब..दोनों को इससे सुमनांजलि!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday, 23 October 2021

नृत्यकुशल ख़ूबसूरत शोख़ अदाकारा..मीनू मुमताज़!


ख़ूबसूरत अदाकारा मीनू मुमताज़ जी - जवाँ और बुज़ुर्ग!

भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर की ख़ूबसूरत शोख अदाकारा मीनू मुमताज़ जी इस जहाँ से रुख़सत होने की ख़बर से दुख हुआ।

लीजेंडरी कॉमेडी एक्टर मेहमूद जी की बहन इतना उनका तार्रुफ़ नहीं था। ख़ूबसूरत चेहरा और अभिनय में शोखियत से उन्होंने १९५०-६० के दशकों में परदे पर अपना एक खास मुकाम हासिल किया था।

फ़िल्म 'ब्लैक कैट' (१९५९) के "मैं तुम्ही से पूछती हूँ मुझे तुम से प्यार क्यूँ हैं.."
गाने में मीनू मुमताज़ और जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी!
'बॉम्बे टॉकीज' में कलाकार -
(नृत्य) रहे मुमताज़ अली की वह बेटी थी। उनकी नृत्यकला उसमें भी आयी थी, जिसका प्रदर्शन शुरू में उसने स्टेज पर और बाद में सिनेमा में किया!

मलिकुन्निसा अली उसका असल में नाम था। "मीनू"
नाम से उन्हें जानीमानी अभिनेत्री (और मेहमूद की रिश्तेदार) मीना कुमारी पुकारती थी और वो मीनू - मुमताज़ हुई! शुरुआती दौर में, १९५६ में फ़िल्म 'हलाकू' में मीना जी के साथ ही यह कमसिन मीनू नज़र आयी।

बहरहाल, मीनू मुमताज़ मशहूर हुई परदेपर अपने नृत्य के जलवें दिखाकर! १९५७ में बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्म 'नया दौर' में "रेशमी सलवार कुरता जाली का.." यह उनका नृत्यगीत हिट रहा। फिर दिलीप कुमार अभिनीत बिमल रॉय की फ़िल्म 'यहूदी' में भी वह थी।
 
अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त की फ़िल्म 'चौदहवीं का चाँद' (१९६०) में 
उनके साथ मुज़रा नृत्य में मीनू मुमताज़!
जानेमाने अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त
जी की फ़िल्मों में मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में मीनू मुमताज़ दिखी। 'कागज़ के फूल' (१९५९) में "हम तुम जिसे कहता है शादी.." गाने में कॉमेडियन जॉनी वॉकर के साथ वो मॉडर्न लुक में थी; तो 'साहिब बीवी और ग़ुलाम' (१९६२) में "साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी.." यह मुज़रा नृत्य उसने लाजवाब किया। आगे 'ग़ज़ल' और मीना कुमारी के साथ वाली 'चित्रलेखा' (१९६४) ऐसी फ़िल्मों में भी उसके ऐसे नर्तिका किरदार रहें!

फिर 'प्रीत ना जाने रीत' (१९६६) जैसी फ़िल्मों से सहनायिका की तौर पर और आगे 'पत्तों की बाज़ी' (१९८६) तक चरित्र किरदारों के ज़रिये मीनू मुमताज़ परदे पर बरक़रार रही!

एक इंटरव्यू में बुज़ुर्ग मीनू मुमताज़!
कई साल बाद 'चलो चले परदेस' (१९८२) से टीवी धारावाहिक में आयी मीनू मुमताज़ वाकई में परदेस चली गयी। उनका कनाडा में लिया गया एक इंटरव्यू बीच में देखने में आया, तब अच्छा लगा था! अब तो वो दूसरे जहाँ के लिए रुख़सत हुई हैं!

मुझे हमेशा यह लगता रहा, इतनी ख़ूबसूरत चेहरे की यह अदाकारा मीनू मुमताज़ महज नृत्य जैसी भूमिकाएं निभाती क्यों रह गयी? १९५९ में आयी फ़िल्म 'ब्लैक कैट' में तो जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी की वो नायिका थी। इसमें उनके साथ शायराना अंदाज़ में.. "मैं तुम्ही से पूछती हूँ मुझे तुम से प्यार क्यूँ हैं.." गाने में उसका रूप कितना लुभावना लगा था!

ख़ैर, उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday, 21 October 2021

 
"याssहूँss.."

शायद आसमाँ में भी यह गूँज उठी होंगी..
क्योंकी हमारे रूमानी भारतीय सिनेमा के रिबेल स्टार शम्मी कपूर जी का आज..
९० वा जनमदिन है!


उनसे मिलना याद आ रहा हैं।..और अब उन्हीं के - ('तिसरी मंज़िल' के) गाने से उन्हें पुकारने को मन कर रहां है..
"आsजा आsजा.."

- मनोज कुलकर्णी