Tuesday 6 October 2020

विनोद खन्ना और प्रतिद्वंदी!

अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ डिनर करते विनोद खन्ना..सुप्रीम कौन!

दिलीप कुमार-देव आनंद-राज कपूर इनके बाद अपने लोकप्रिय भारतीय सिनेमा में जिन तीन समकालिन अभिनेताओं का बोलबाला था वे थे..अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा! हालांकि अमिताभ बच्चन सुपरस्टार थे लेकिन बाकि दोनों भी खुदको इसी पोजीशन पर मानते थे।

'खून पसीना' (१९७७) फ़िल्म में विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन का मुकाबला!
अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना ने लगभग दस फिल्मों में एकसाथ काम किया। इसमें कभी वे यार, बिछड़े भाई थे; तो कभी प्रतिद्वंदी। पहली बार वे सुनील दत्त ने बनायी फ़िल्म 'रेशमा और शेरा' (१९७१) में नज़र आएँ। फिर बॉलीवुड के दो जानेमाने फ़िल्ममेकर्स की फिल्मों में वे प्रमुख भूमिकाओं में साथ आएँ। वे थी प्रकाश मेहरा की 'हेरा फेरी' (१९७६), 'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) और मनमोहन देसाई की 'अमर अकबर अन्थोनी', 'परवरिश' (१९७७)..इन सुपरहिट फिल्मों में दोनों ने अपना वजूद बराबर रखा। लेकिन अपनी पॉपुलर 'एंग्री यंग मैन' इमेज और अभिनय में सहजता की वजह से अमिताभ छाये रहें। दरअसल 'मुकद्दर का सिकंदर' का उसका इंटेंस कॅरेक्टर तो वाकई दिलों को छू गया! एक फ़िल्म में विनोद खन्ना उसपर अपने सीरियस इंटेंस कॅरेक्टर से हावी रहे, वो थी राकेश कुमार की 'खून पसीना' (१९७७)..इसमें अमिताभ ने (अपने इमेज से अलग) लाइट कैरेक्टर किया था और कॉमेडी भी!

'मेरे अपने' (१९७१) फ़िल्म में शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना का कड़ा मुकाबला!
जबरदस्त आवाज़ में अपनी खास डायलॉगबाजी से फेमस शत्रुघ्न सिन्हा के साथ पहली बार १९७१ में 'दोस्त और दुश्मन' फ़िल्म में विनोद खन्ना दिखाई दिए! इसी साल गुलज़ार की हिट फ़िल्म 'मेरे अपने' में ये दोनों सही मायने में सामने (खुन्नस से) खड़े हुएँ। फिर फ़िल्म 'दो यार' (१९७२) में ये दोनों रेखा के साथ ट्रैंगल में नज़र आएँ। फिरसे 'प्यार का रिश्ता' (१९७३) इस सुल्तान अहमद की फ़िल्म में वे दोनों मुमताज़ के साथ त्रिकोणीय प्रेम में समाएँ! इसके बाद 'श्याम रल्हन की 'पाँच दुश्मन' (१९७३) इस देमार फ़िल्म में वे थे। वो फ़िल्म दस साल बाद 'दौलत के दुश्मन' (१९८३) नाम से फिरसे रिलीज़ हुई! दरमियान ब्रिज की थ्रिलर 'बॉम्बे ४०५ माइल्स' (१९८०) में दोनों ज़ीनत अमान के साथ अलग अंदाज़ में दिखें। हालांकि, 'मेरे अपने' जैसा उन दोनों का कड़ा मुकाबला फिरसे दिखाई नहीं दिया।

विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा..असल ज़िन्दगी में स्नेह!
सौभाग्य से लीजेंडरी त्रयी दिलीप-देव-राज इनको मैं मिला था। वैसे ही अमिताभ-विनोद-शत्रुघ्न इनको भी मैं मिला। हालांकि, उस लीजेंडरी त्रयी में तीनों अलग इमेज के थे और इन तीनों की इमेज एक ही डैशिंग हीरो की! अमिताभ बच्चन असल में अलग, अपना रुतबा सँभालते गंभीरता से बोलनेवाले तो विनोद खन्ना इंट्रोवर्ट और कुछ ईगो संभाले थे और शत्रुघ्न सिन्हा वास्तव में एकदम नरमदिल और सादगी से बात करनेवाले इंसान हैं!

आज विनोद खन्ना के जनमदिन पर इसपर प्रकाश डाला। वैसे उस पर मैंने यहाँ पहले काफी लिखा हैं।
तो यह एक अलग दृष्टिकोन से याद!!

- मनोज कुलकर्णी

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