Wednesday 7 March 2018

चाँदनी जो थी बेनज़ीर..श्रीदेवी!

- मनोज कुलकर्णी


बॉलीवुड की पहली फिमेल सुपरस्टार..श्रीदेवी!


'सदमा' (१९८३) में श्रीदेवी और कमल हसन!
'हिम्मतवाला' (१९८३) में श्रीदेवी और जितेन्द्र!
'मुन्द्रम पिराई' (१९८२) इस अपनी प्रशंसीत तामील फ़िल्म का हिंदी रीमेक निर्देशक बालु महेंद्र ने 'सदमा' (१९८३) यह मूल कलाकारों को कायम ऱखकर बख़ूबी किया था..जिसके द्वारा श्रीदेवी के लाजवाब अभिनय से हम वाक़िफ़ हुए।..हालांकि क्लाइमैक्स में प्रभाव दर्शानेवाला कमल हासन का सशक्त किरदार था; लेकिन हादसे में याददाश्त खोकर मासूम बचपने में लौटी युवती की व्यक्तिरेखा निभाना काफ़ी मुश्क़िल था..पर श्रीदेवी ने पूरी समझदारी से उसके हर पहलु को जीकर स्वाभाविकता से वह निभाई..जिसकी भावनओं की गहराई कमल हासन के किरदार पर हावी हो गयी!..मुझे श्रीदेवी के अभिनय ने तब प्रभावित किया!
'पूमबट्टा' (१९७१) इस मलायलम फ़िल्म में बेबी श्रीदेवी!

वैसे 'सदमा' के कुछ महिने पहले ही जीतेन्द्र के साथ 'हिम्मतवाला' (१९८३) यह उसकी हिंदी फ़िल्म प्रदर्शित हुई थी; लेकिन वह महज़ एक साऊथ स्टाइल साधारण मनोरंजन था! बाद में जीतेन्द्र के साथ उसकी जोड़ी हिट हो गयी और उन्होंने एक तरफ व्यावसायिक 'तोहफ़ा', 'अकलमंद' (१९८४) तो दूसरी तरफ पारीवारिक 'सुहागन', 'घर संसार' (१९८६) जैसी लगभग १८ फिल्में की..जिसमें ज्यादातर हिट रही तो कुछ फ्लॉप भी हुई।..दरअसल यह साऊथ की फार्मूला फ़िल्में थी क्यों की वह उस इंडस्ट्री से आयी थी तो शुरुआत में ऐसी हिंदी फिल्में उसे करनी पड़ी!

प्रमुख नायिका श्रीदेवी की पहली फिल्म 'मुन्द्रु मुदिचु' (१९७६)..साथ में रजिनीकांत और कमल हासन!
फ्लैशबैक में जाए तो..तामिलनाडु में जन्मी (अम्मा यंगर अय्यपन) श्रीदेवी ने लगभग ५० साल पहले बतौर बालकलाकार दक्षिण भारतीय सिनेमा में अपना कदम रखा था..पहली प्रदर्शित हुई उस फिल्म का नाम था 'थुनैवन' (१९६९)..एम्. ए. थिरुमुगम निर्देशित यह सफल पौराणिक फ़िल्म राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानीत हुई! बाद में तामील, तेलुगु, मलायलम और कन्नड़ा ऐसी दक्षिण की चारों भाषाओँ की कई फिल्मों में इस बेबी श्रीदेवी ने काम किया..जिसमें 'पूमबट्टा' (१९७१) इस मलायलम फ़िल्म में उसका अभिनय सराहा गया और 'केरला स्टेट का बेस्ट चाइल्ड आर्टीस्ट अवार्ड' उसने जीता।
'ज्यूली' (१९७५) से बॉलीवुड में श्रीदेवी!

बाद में १९७६ में सिर्फ १३ साल की उम्र में श्रीदेवी प्रमुख नायिका बनी..फ़िल्म थी तामील 'मुन्द्रु मुदिचु' जो निर्देशित की थी जानेमाने फ़िल्मकार के. बालचंदर ने! इस लव ट्रायंगल फ़िल्म में उसके साथ वहां के दो प्रसिद्ध नायक थे..कमल हासन और रजिनीकांत..जिनके साथ बाद में उसने कई सफल फिल्मों में काम किया!

१९७५ में ही कमसीन उम्र में श्रीदेवी ने बॉलीवुड में कदम रखा..फ़िल्म थी के. एस. सेतुमाधवन निर्देशित सोशल रोमैंटिक 'ज्यूली'..जिसमें उसने शिर्षक भूमिका करनेवाली अभिनेत्री लक्ष्मी की छोटी बहेन का रोल किया था! इस सुपरहिट फ़िल्म में प्रीती साग़र ने गाए "माय हार्ट इस बीटिंग.." इस मशहूर इंग्लिश गाने में सबके साथ स्टाईलिस्ट डान्स करनेवाली जीन्स -टॉप में चुलबुली लड़की श्रीदेवी थी!
'सोलवा सावन' (१९७९) से हिंदी सिनेमाकी नायिका..साथमें अमोल पालेकर!

'तोहफा'  (१९८४) में श्रीदेवी और जयाप्रदा..अभिनय की जुगलबंदी!

उसके बाद १९७९ में वह हिंदी सिनेमा की नायिका बनी..जिसका नाम था 'सोलवा सावन' जो उसकी उम्र (१६) भी थी और साथ में (मराठी) नायक था अमोल पालेकर! इसके निर्देशक पी. भारथीराजा ने अपनी हिट तामील फिल्म '१६ वयथीनीले' (१९७७/ जिसमें श्रीदेवी ही कमल हासन और रजिनीकांत के साथ थी) का यह हिंदी रीमेक बनाया था!

फिर १९८३ में आयी जितेंद्र के साथ 'हिम्मतवाला' यह कमर्शियल एंटरटेनमेंट वाली ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ने उसका बॉलीवुड का सफल सफर शुरू हुआ..इसके "नैनो में सपना.." गाने ने तथा दोनों के नृत्य ने धूम मचाई! अगले साल 'तोहफा' आयी जिसमें जीतेन्द्र तो था ही लेकिन और एक साऊथ की ख़ूबसूरत अभिनेत्री उसके सामने थी..जयाप्रदा! उस समय इन दो अभिनेत्रियों की अभिनय की जुगलबंदी पर मैंने लेख लिखा था..जिसमें श्रीदेवी का सभी प्रकृति के किरदारों को बख़ूबी निभाना और जयाप्रदा का ज्यादातर गंभीर व्यक्तिरेखाओं में संयत अभिनय यह मैंने अधोरेखित किया था! इन दोनों अभिनेत्रियों ने फिर 'मकसद' (१९८४) और 'औलाद' (१९८७) जैसी करीब १२ फिल्मों में एकसाथ काम किया।
'नगीना' (१९८६) में श्रीदेवी का स्नेक डांस!
तब तक श्रीदेवी ने बॉलीवुड में अपने आप को अच्छी तरह स्थापित कर लिया था। इसी (१९८६-८७) दौरान उसने फैंटसी फिल्म 'नगीना' में जोश से काम किया..जिसमें उसका स्नेक डांस हिट हुआ! फिर सुभाष घई की मल्टी स्टारर 'कर्मा' में भी नायकों के बीच में उसने अपनी तरफ ध्यान खींचा! तो उसकी पॉपुलैरिटी को देखते हुए फ़िरोज़ खान ने 'जाँबाज़' में उसे बतौर गेस्ट अपीयरेंस लिया..और अभिनय में वह नायिका डिंपल कपाड़िया को हावी हो गयी.."हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार जिंदगी में.." इस गाने में उसकी इंटेंसिटी दिखाई दी!
'जाग उठा इंसान' (१९८९) में मिथुन चक्रबर्ती और श्रीदेवी!

इसी दरमियान उसने मिथुन चक्रबर्ती के साथ चार फिल्मों में काम किया..जिसमें के. विश्वनाथ निर्देशित सोशल 'जाग उठा इंसान' (१९८४) यह एकमात्र उल्लेखनीय रहीं। बाकी 'वतन के रखवाले' (१९८७) और 'वक़्त की आवाज़' (१९८९) ऐसी फिल्मों में उसके लिए कुछ खास नहीं था; लेकिन उन दोनों के प्रेम के चर्चे हुए!
'मिस्टर इंडिया' (१९८७) में श्रीदेवी का फेमस "हवा हवाई.." डांस!

फिर आयी (उसके बाद में पति हुए) बोनी कपूर निर्मित फिल्म 'मिस्टर इंडिया' (१९८७) जिसको निर्देशित किया था शेखर कपूर ने! हालांकि यह पूरी तरह नायक प्रधान याने की अनिल कपूर की फ़िल्म थी; लेकिन श्रीदेवी इसमें छा गयी और "बिजली गिराने मैं हूँ आयी..कहते हैं मुझको हवा हवाई.." यह उसका डांस दर्शकों को आकर्षित कर गया..इस हिट फिल्म से उसकी इमेज 'हवा हवाई गर्ल' हुई! फिर आयी 'चालबाज़' (१९८९)..पंकज पराशर निर्देशित यह फिल्म (हेमा मालिनी की) मशहूर 'सीता और गीता' (१९७३) का रीमेक थी और इसमें श्रीदेवी ने वह दो अलग किस्म के किरदार लाजवाब निभाए। इत्तफ़ाक से धर्मेंद्र का लड़का सन्नी देओल इसमें उसका एक नायक था और दूसरा रजनीकांत! श्रीदेवी को अपना पहला 'फ़िल्मफ़ेअर बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड' इसके लिए मिला!
"चाँदनी.." (१९८९) शिर्षक गीत में ऋषि कपूर और श्रीदेवी जो इसमें गायी!



..और इसी समय आयी श्रीदेवी की ख़ूबसूरती को चार चाँद लगाने वाली..रूमानी फ़िल्मकार यश चोपड़ा की 'चाँदनी' (१९८९)..इस ट्रायंगल रोमांटिक फिल्म में ऋषि कपूर और विनोद खन्ना उसके नायक थे।. अपनी रूमानी भावनाओं के गहरे रंग उसने इसमें पिरोए..साथही शिर्षक गीत में अपनी मीठी आवाज़ भी दी! इस सुपरहिट फिल्म से वह चोटी की स्टार हो गई और दर्शकों के दिलों पर राज करने लगी!..'बेस्ट पॉपुलर फिल्म का नेशनल अवार्ड' भी 'चाँदनी' को मिला!! 
 'लमहें' (१९९१) के सेटपर बात करते 'चाँदनी' श्रीदेवी और फ़िल्मकार यश चोपड़ा!


इसके बाद यश चोपड़ा ने हटके प्रेम कहानी पर बनने वाली अपनी 'लमहें' (१९९१) के लिए भी श्रीदेवी को ही चुना! हालांकि उन्होंने कभी अपनी फिल्मों की नायिका को ऐसे रीपीट नहीं किया..[जैसे 'डर' (१९९३) की क़ामयाबी के बाद फिर से जूही चावला को नहीं लिया और 'दिल तो पागल है' (१९९७) हिट होने के बाद माधुरी दीक्षित को रीपीट नहीं किया!]..'नौजवानी में जिससे (असफल) प्यार किया उसी की (हमशकल) लड़की से उम्र होने पर भी फिरसे प्यार होना'..ऐसी 'लमहें' की अनोखी कहानी थी जो हनी ईरानी और राही मासूम रज़ा ने लिखी थी! इसमें दोनों क़िरदार ख़ूबसूरत श्रीदेवी ने बख़ूबी निभाएं और अनिल कपूर दोनों का प्रेमी बना! अपने समय से आगे थी यह..जो यशजी की खुद की बहोत पसंदीदा फ़िल्म रही..इसका ज़िक्र उन्होंने हमसे बात करते हुए किया था!!
'लमहें' (१९९१) के भावुक रूमानी पल में अनिल कपूर और श्रीदेवी!


१९९२ में श्रीदेवी ने फिरसे दोहरी भूमिका निभाई..मुकुल आनंद की मेगा फ़िल्म ' ख़ुदा ग़वाह' में और सामने था सुपरस्टार अमिताभ बच्चन! हालांकि इससे पहले भी उसने अमिताभ के साथ 'इन्किलाब' (१९८४) और 'आखरी रास्ता' (१९८६) इन फिल्मों में काम किया था; लेकिन वह महज नायक प्रधान फिल्में थी! पूरी तरह अफ़ग़ानिस्तान में वेधक तरीके से चित्रित हुई इस फ़िल्म में श्रीदेवी ने स्त्री योद्धा बेनज़ीर की और बाद में उसकी बेटी मेहँदी की भूमिकाएं लाज़वाब साकार की हैं।बादशाह खान बने अमिताभ के सामने (अभिनय सहित) पुरे जोश से श्रीदेवी की बेनज़ीर बड़ी शान से खड़ी हुई!..इसके "तू मुझे कुबूल..मैं तुझे कुबूल." गाने में उसने इस बादशाह के सीने से हाथ ओढ़नेवाली जो अदा दिखाई है उससे अमिताभ भी चौंक गया नजर आया!..इसके बाद तो वह फिमेल सुपरस्टार कहलाने लगी! ' ख़ुदा ग़वाह' यहाँ तो सुपरहिट हुई ही और काबुल में भी दस हफ्ते जोर से चली!
'ख़ुदा ग़वाह' (१९९२) के "तू मुझे कुबूल.." गाने में अमिताभ बच्चन और बेनज़ीर श्रीदेवी!

'जुदाई' (१९९७) में अनिल कपूर और उर्मिला मातोंडकर के साथ श्रीदेवी!

१९९३ में उसकी दो फिल्में उसका सराहनीय काम होने के बावजूद इतनी सफलता हासिल न कर सकी..जिसमें एक थी बोनी कपूर ने निर्माण की हुई बिग बजट 'रूप की रानी चोरों का राजा' (१९९३) यह अनिल कपूर के साथ और महेश भट्ट ने निर्देशित की हुई 'गुमराह' संजय दत्त के साथ! फिर तीन साल के अंतराल के बाद उसने भारतन की मलयालम फिल्म 'देवरागम' (१९९६) में अरविंद स्वामी के साथ काम किया। बतौर नायिका १९९७ में आयी 'जुदाई' उसकी आखरी फ़िल्म रही..अनिल कपूर और उर्मिला मातोंडकर के साथ उसकी यह अलग ही महत्वाकांक्षी पत्नि की भूमिका देखकर सब ताज्जुब हो गए!
टीवी सीरियल 'मालिनी अय्यर' में श्रीदेवी!

फिल्म निर्माता बोनी कपूर के साथ शादी होने के बाद श्रीदेवी सिनेमा से कुछ दूर सी हुई! फिर २००४-२००५ के दरमियान उसने टेलीविज़न के छोटे परदे पर कदम रखा..'मालिनी अय्यर' सीरियल से! कुछ समय 'एशियन अकैडमी ऑफ़ फिल्म एंड टेलीविज़न' के संचालक मंडल पर भी वह रहीं। २००८ से २०१० के दौरान वह 'लैक्मे फैशन शो' में भी शरीक़ हुई! साथ ही अपनी पेंटिंग की कला को भी निखारा..जिसे आंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया!
श्रीदेवी बड़े परदे पर लौट आयी थी 'इंग्लिश विंग्लिश' (२०१२) से! 

२०१२ में श्रीदेवी लौट आयी सिनेमा के बड़े परदे पर..'इंग्लिश विंग्लिश' इस गौरी शिंदे की प्रथम निर्देशन में बनी पारिवारिक फ़िल्म में उसने इंग्लिश की कमी दूर करने वाली समझदार गृहिणी की व्यक्तिरेखा बड़ी स्वाभाविकता से साकार की। फिर उसने तामील फैंटसी फिल्म 'पुली' (२०१५) में एकदम अलग किस्म की भूमिका निभायी!
अपनी ३०० वी फ़िल्म 'मॉम' (२०१७) में श्रीदेवी..साथ में पाकिस्तानी कलाकार सेजल अली!

पिछले साल श्रीदेवी की ३०० वी फ़िल्म प्रदर्शित हुई थी..'मॉम' जिसमें अपनी बेटी पर हुए अत्याचार का बदला लेने वाली करारी स्त्री उसने खड़ी की..इसमें पाकिस्तान की फेमस टीवी कलाकार सेजल अली ने उसकी बेटी का किरदार अदा किया था!

श्रीदेवी पति बोनी कपूर और बेटीयाँ जान्हवी और ख़ुशी के साथ!
अपने देश की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से एक कह जानेवाली श्रीदेवी को बॉलीवुड और साऊथ सिनेमा के लिए कुल पाँच 'फ़िल्मफ़ेअर पुरस्कार' मिले! साथ ही तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल के राज्य सरकारों ने भी उसे सम्मानित किया था।..और अपने भारत सरकार की तरफ से उसे 'पद्मश्री' पुरस्कार दिया गया!

'मॉम' श्रीदेवी की आखरी और बेहतरीन भूमिका रहीं! इस २४ फरवरी को वह खुद की दो बेटियों के साथ लाखों चाहनेवालों को छोड़ कर इस दुनिया से रुख़्सत हो गयी!..यह ख़बर देखते ही दुखभरे मन से मैंने यह दो पंक्तियाँ लिखी..

"आसमाँ से आयी थी..
लौट गयी वहाँ चाँदनी!"

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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