Thursday 1 March 2018

मन में 'क्लास', परदेपर 'मास' मनोरंजन..मनमोहन देसाई! 

- मनोज कुलकर्णी



'ब्लफ़ मास्टर' (१९६३) के ''गोविदा.'' गाने में शम्मी कपूर!
आज भारत के मेनस्ट्रीम पापुलर सिनेमा के मशहूर फ़िल्मकार मनमोहन देसाईजी का २४वा स्मृतिदिन है!

आम लोगों का मनोरंजन करनेवाली पारीवारिक सुपरहिट फार्मूला फिल्में बनानेवाले मनमोहन देसाईजी के पिताजी भी फिल्म निर्माता थे और उन्होंने कुछ स्टंट फिल्में बनायी थी। बादमें उनके बड़े भाई सुभाष देसाई निर्माता हुए और उन्होंने १९६० में 'छलिया' फिल्म का निर्देशन करने का मौका मनमोहनजी को दिया..जिसके नायक थे राज कपूर! उसके बाद इन निर्माता-निर्देशक भाईयों की फिल्म 'ब्लफ़ मास्टर' (१९६३) आयी, जिसमें शम्मी कपूर के ''गोविदा आला रे.'' गाने ने धूम मचाई!
'अमर अकबर अन्थोनी' (१९७७) के शिर्षकगीत में..
विनोद खन्ना, ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन..
तथा शबाना आज़मी, नीतू सिंह और परवीन बाबी!


लेक़िन मनमोहन देसाईजी का एक्शन-इमोशन-गाने से भरा हुआ 'लॉस्ट एन्ड फाउंड' फार्मूला असल में शुरू हुआ जब उस ज़माने के सुपरस्टार राजेश खन्ना को लेकर उन्होंने 'सच्चा झुठा' (१९७०) यह हिट फिल्म बनायी। फ़िर १९७७ तक 'परवरिश' और 'अमर अकबर अन्थोनी' जैसी दूसरे सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को लेकर बनायी हई फिल्में ब्लॉकबस्टर रहीं। इन दोनों फिल्मों में विनोद खन्ना भी उसके साथ था और सुपरहिट 'अमर अकबर अन्थोनी' इस मल्टीस्टार रही उनकी फ़िल्म में फिर ऋषि कपूर, नीतू सिंग, शबाना आज़मी, परवीन बाबी जैसे स्टार्स भी आये! अलग अलग मजहब में परवरिश हुए इन तीन किरदारों को मनमोहन देसाईजी ने एकही प्यार के धागो में बांधा है! इसमें दुश्मन के अड्डो पर फाइट करनेवाला अमिताभका सेंडो टी शर्ट-जीन में बेदरकार किरदार तब युवाओं पर असर छोड़ के गया!
अमिताभ बच्चन और मनमोहन देसाई 'कुली' (१९८३) के शूटिंग के दौरान!

अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाने में जिस तरह ('जंजीर' फेम) फ़िल्मकार प्रकाश मेहरा का योगदान रहा, उसी तरह इस पद पर उसको कायम रखने के लिए मनमोहन देसाई की हिट फिल्मों का साथ भी उसको मिला! बिग बी ने इस पर कहा है कि 'उन्होंने हमेशा अपनी फिल्मों में मुझे आम आदमी के किरदार निभाने के लिए दिये है..जिसे जनता ने अपना समझा और वह हिट हो गए!' इसके अलावा बाकी अभिनेताओंके साथ भी मनमोहनजी ने इसी दौरान सफल फिल्मे बनाई..जैसे कि धर्मेंद्र और जीतेन्द्र को लेकर इसी (लॉस्ट एन्ड फाउंड) फार्मूले पर बनायी हुई 'धरम वीर'!
मनमोहन देसाई की फिल्म 'धरम वीर' (१९७७) में धर्मेंद्र और जीतेन्द्र!

इसी दौरान मनमोहन देसाईजी ने अपनी पत्नी श्रीमती जीवनप्रभा देसाईजी ने लिखी कहानी पर 'आ गले लग जा' (१९७३) यह संवेदनशील पारीवारिक फिल्म भी बनायी, जिसमें शशी कपूर, शर्मिला टैगोर और शत्रुघ्न सिन्हा नें प्रमुख भूमिका निभायी थी। इसका "मेरा तुझसे है पहेले का नाता कोई.." यह गाना दिल को छुआ था! इसके अलावा ज्यादा तर प्रयाग राज, के. के. शुक्ला और कादर खान इन्होंने मनमोहनजी के लिए फिल्मे लिखी और शैलेन्द्र, साहिर लुधियानवी, आनंद बक्षी, गुलशन बावरा, कमर जलालाबादी ने उनके लिये गीत लिखे, जिन्हें संगीतबद्ध किया था कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल तथा आर. डी. बर्मन ने! मनजी के मोहम्मद रफ़ी पसंदीदा गायक थे। उनकी 'अमर अकबर अन्थोनी' (१९७७) में ऋषि कपूर के लिए रफ़ीजी ने गायी कव्वाली "पर्दा है पर्दा.." लाज़वाब थी। जहाँ बाकी फ़िल्मकार अमिताभ के लिए किशोर कुमार की आवाज लिया करते थे वहां मनजी ने उसके लिए रफ़ीजी की आवाज ली..जैसे की उनकी फिल्म 'नसीब' (१९८१) का गाना "जॉन जानी जनार्दन.."
'रोटी' (१९७४) का राजेश खन्ना का गांववालों प्रति गीत "यार हमारी बात सुनो."


मल्टीस्टारर 'गंगा जमुना सरस्वती' (१९८८) यह मनमोहन देसाई ने निर्देशित की हुई आखरी फिल्म रही। अपने २९ वर्षों के करिअर में उन्होंने २० फिल्में बनायी, जिसमे १३ सुपरहिट रही! उनको हमेशा हम समीक्षकों द्वारा 'मासेस का सूपर एंटरटेनर' कहा गया है; लेकिन मेरी जानकारी से वह अच्छे जागतिक सिनेमा से वाक़ीफ़ थे! बहोत साल पहले 'एन.एफ.ए.आई.', पुणे के फाउन्डर पी. के. नायरजी ने मुझे बताया था कि ''मनमोहन देसाई एइजेंस्टीन की रशियन फिल्म 'बैटलशिप पोटेमकिन' (१९२५) देखने के लिए उत्सुक है!' इतना ही नहीं, उनकी 'रोटी' (१९७४) फिल्म का एक सीन क्लासिक फिल्म 'झोर्बा द ग्रीक' (१९६४) से प्रेरित है..राजेश खन्ना का गांववालों के प्रति गीत-दृश्य "यार हमारी बात सुनो.."
'देशप्रैमी' (१९८२) के शीर्षकगीत में परीक्षित साहनी, प्रेमनाथ, उत्तमकुमार और शम्मी कपूर!


मनमोहन देसाईजी ने अपनी मनोरंजक फिल्मों के जरिये सामाजिक सन्देश देने की हमेशा कोशिश की है! जैसे की... धर्मनिरपेक्षता ('अमर अकबर अन्थोनी') और राष्ट्रीय एकात्मता.. (''मेरे देशप्रैमीयों आपस में प्रेम करो.." शीर्षकगीत). यहाँ ऐसा कहेना अनुचित नहीं होगा की उनके मन में 'क्लास' था; लेकिन परदे पर 'मास' मनोरंजन था!!

उन्हें अभिवादन!!!

- मनोज कुलकर्णी 
('चित्रसृष्टी', पुणे)

No comments:

Post a Comment