Wednesday 7 March 2018

"ये हवा, ये रात, ये चाँदनी..
'संगदिल' (१९५२) में "ये हवा." गाने में दिलीप कुमार और अदाकारा  शम्मी!
तेरी एक अदा पे निसार हैं.."
संगीतकार सज्जाद हुसैन!

गायक तलत महमूद!
'संगदिल' (१९५२) इस आर. सी. तलवार निर्देशित फ़िल्म का राजेंद्र कृष्ण जी ने लिखा यह गीत जो तलत महमूद जी ने गाया था सज्जाद हुसैन जी के संगीत में!..और (मधुबाला नायिका की) इस फ़िल्म में दिलीप कुमार ने परदे पर दूसरी अदाकारा शम्मी जी लिए पेश किया था!..यह बुज़ुर्ग अभिनेत्री गुज़र जाने की ख़बर से मुझे आज याद आया!

इसी धुन पर संगीतकार मदनमोहन जी ने बनाया "तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरूबा.." यह गाना फ़िल्म 'आख़री दाव' (१९५८) के लिए रफ़ी जी ने गाया था..और परदे पर शेखर नाम के अभिनेता ने अभिनेत्री नूतन के लिए पेश किया था..इत्तफ़ाक से इसमें भी उसके बगल में शम्मी जी ही थी!
बुज़ुर्ग अभिनेत्री शम्मी जी!

उनका असल में नाम था नर्गिस राबदी! १९५०-६० के दशकों में उन्होंने प्रमुख नायिकाओं के साथ अलग किस्म की भूमिकाएं निभाई और १९९० के दशक तक वह चरित्र अभिनेत्री की तौर पर परदे पर आती रहीं! करीब २०० फिल्मों के अलावा वह टीवी धारावाहीकों में भी नजर आयी!

उनको मेरी सुमनांजली!!

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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