"आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा है s
दूर हटो ऐ दुनिया वालों s..हिन्दोस्ताँ हमारा है.."
१९४३ में निर्मित 'क़िस्मत' इस 'बॉम्बे टॉकीज' की फ़िल्म का यह तब मशहूर हुआ गीत!
१९४२ के 'ब्रिटिशों भारत छोडो' आंदोलन के अगले साल ही बनी इस फ़िल्म ने स्वातंत्र्य पूर्व काल में इस नारे से बड़ा योगदान दिया।
इसी के साथ दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बनी इस फ़िल्म में जर्मनों के विरुद्ध भी नारा था!
कवि प्रदीप जी! |
देशभक्ति पर गीत लिखनेवाले कवि प्रदीप जी की यह रचना अनिल बिस्वास जी के संगीत में अमीरबाई कर्नाटकी और खान मस्ताना ने बड़े जोश से गायी थी। इसमें मुमताज़ शांति, शाह नवाज़ और बाकी कलाकारों ने अपना अच्छा प्रदर्शन दिखाया!
इस गीत की प्रस्तुति आकर्षक तथा अर्थपूर्ण थी जिसमे अखंड भारत का नक्शा दिखाया हैं।
उर्दू लेखक अगाजानी कश्मीरी ने यह फ़िल्म लिखी जिसे ग्यान मुख़र्जी ने निर्देशित किया।
यह पहली ब्लॉक बस्टर फ़िल्म थी जिसमें पहली बार 'लॉस्ट एंड फाउंड' फॉर्मूला
इस्तेमाल हुआ। तथा अशोक कुमार के ज़रिये इसमें एंटी-हीरो पहली बार दिखायी
दिया।
'क़िस्मत' (१९४३) में अशोक कुमार और मुमताज़ शांति! |
लेकिन यह फिल्म सिर्फ उस जोशभरे गाने से या नारे से याद आती हैं!
अब इस गीत को आज की राजनीति की दृष्टी से कुछ लोगों ने अलग रंग में ढाला हैं वह ठीक नहीं!
- मनोज कुलकर्णी
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