'मत्स्यगंधा' लुप्त हुई!
रंगमंच और सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री आशालता वाबगांवकर जी की निधन की ख़बर सुनकर दुख हुआ!
'दी गोवा हिन्दू असोसिएशन' से प्रस्तुत नाटकों से उनका अभिनय प्रवास शुरू हुआ था। बाद में 'मत्स्यगंधा' से बतौर गायिका-अभिनेत्री वो मशहूर हुई। फिर रंगमंच पर वो कई साल छायी रही!
हिंदी सिनेमा में बासु चैटर्जी की फ़िल्म 'अपने पराये' (१९८०) में उनके काम की प्रशंसा हुई जो शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के बांग्ला उपन्यास 'निष्कृति' पर आधारित थी। बाद में मराठी 'सुत्रधार', 'उंबरठा' (१९८२) और हिंदी 'आहिस्ता आहिस्ता' (१९८१), 'अंकुश' (१९८६) में भी उनकी भूमिकाएं उल्लेखनीय रहीं।
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