Saturday 17 February 2024


जाड़ों की नर्म धुप हो या...
ग़र्मी में पत्तों की सरसराहट!
सरलता से मुख़ातिब होते है..
ज़िंदगी पर आपके अल्फ़ाज़!


- मनोज 'मानस रूमानी'

(कवी-गीतकार गुलज़ार साहब को 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' का ऐलान सुनकर अच्छा लगा! उन्हें मुबारक़बाद!)

[इस समय याद आ रहीं हैं उनसे मुलाकातें और मेरे 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक की उन्होंने की सराहना!]

- मनोज कुलकर्णी 

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