Tuesday 27 February 2024

उदास छोड़ गए उधास!

मशहूर गज़ल गायक पंकज उधास जी!
"ओ परदेस को जाने वाले..
लौट के फिर ना आने वाले.."


मशहूर गज़ल गायक पंकज उधास जी रुख़्सत हुए इस जहाँ से..तब से उन्होंने गाये "चिट्ठी आई है.." गीत की ये पंक्तियाँ जैसे उनको पुकारती..आँखें नम कर रहीं हैं!

उन्होंने हिंदुस्तानी मुखर शास्त्रीय संगीत की तालीम गुलाम कादिर खान साहब से हासिल की थी और ग़ज़ल गायकी के लिए बाक़ायदा उर्दू भी सीखी। १९८० में उनका पहला ग़ज़ल एल्बम 'आहट' रिलीज़ हुआ। फिर 'मुक़र्रर', 'तरन्नुम', 'महफ़िल', 'हमनशीं', 'आफ़रीन' से २०१० में 'शायर' तक तीन दशकों में उनके कई एल्बमस रिलीज़ हुएं!

फ़िल्मों के लिए उनका गाना वैसे १९७२ में 'कामना' से शुरू हुआ था। पर १९८६ में महेश भट्ट की फ़िल्म 'नाम' के "चिट्ठी आई है.." गीत से वे पार्श्वगायक के तौर से उभर आए! फिर 'साजन' (१९९१) के "जीये तो जीये कैसे.." और 'फिर तेरी कहानी याद आई' (१९९३) की क़तील शिफाई की "दिल देता है रो रो दुहाई.." से उन्होंने फ़िल्मों में ग़ज़ल गायिकी को नया आयाम दिया!

'आदाब अर्ज़ है' के मशहूर गज़ल गायक पंकज उधास जी और खूबसूरत एंकर रक्षंदा खान जी!
'हसरत', 'इन सर्च ऑफ मीर' जैसे उनके एल्बमस को अवार्ड्स मिले। साथ ही ग़ज़ल गायकी के लिए उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों से नवाज़ा भी गया! इसमें २००६ में वे 'पद्मश्री' से सम्मानित हुए!

इस वक़्त मुझे ख़ास कर याद आ रहा हैं उन्होंने 'सोनी' टीवी पर सादर किया हुआ कार्यक्रम 'आदाब अर्ज़ है' जो मेरा सबसे पसंदीदा था।

अब ऐसा लगता हैं जैसे ग़ज़ल प्रेमियों को उदास छोड़ गए हैं उधास!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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