Thursday 1 February 2024

मजमुआ-ए-शायरी कुछ यूँ होगा हमारा..
हुस्न-ओ-इश्क़ की बातें और फ़लसफ़ा;
ग़म-ए-फ़ुर्क़त और हक़ीक़त से वाबस्ता
होगा बयां इससे ज़िंदगी का अफ़साना!


- मनोज 'मानस रूमानी'


हाल ही में 'दीवानखाना' ने पुणे के 'किताबी चाय कैफे' में आयोजित कार्यक्रम में मैंने यह मेरी शायरी पढ़ी!

- मनोज कुलकर्णी

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