Thursday, 25 February 2021

"ज़िंदगी और..." : कवि संतोष आनंद!


"एक प्यार का नगमा है.."
 मेरे पसंदीदा जज़्बाती गानों में से यह एक!

'इंडियन आइडल १२' के मंचपर व्हीलचेयर पर गीतकार संतोष आनंद जी। 
उनके साथ संगीतकार प्यारेलाल शर्मा जी और गायिका नेहा कक्कड़!
इसके रचयिता कवि संतोष आनंद जी हाल ही में 'इंडियन आइडल १२' के मंच पर व्हील चेयर पर दिखाई दिए। 

उनकी नाजुक हालत देखकर उपस्थित सद्गदित हुएं। इसमें थे अतिथि के रूप में उपस्थित उस गाने को संगीतबद्ध करने वाले (लक्ष्मी-प्यारे में से).. प्यारेलाल शर्मा जी।

इस वक़्त जजों में से नेहा कक्कड़ ने खुद वह गाना गाया और बाद में भावुक होकर.. संतोष आनंद जी को आर्थिक सहायता जाहिर की।
 
'शोर' (१९७२) फ़िल्म के "एक प्यार का नगमा है.." गाने में नंदा और मनोजकुमार!
इस पर सोशल मीडिया में - नकारात्मक प्रतिक्रिया आयीं। यह ठीक नहीं लगता! समझता है की, संतोष आनंद जी ने इस का निराकरण 'नेहाने पोती कह के वैसा किया' बताकर किया और अपनी आत्मनिर्भरता ज़ाहिर की!

ख़ैर, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आए संतोष आनंद जी के गीतकार की हैसियत से सफ़र को अब पचास साल हो गएँ हैं। 

उनको पहली बार १९७० में, देशभक्ति पर फ़िल्में बनानेवाले अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार ने अपनी फिल्म 'पूरब और पश्चिम' में गीत लिखने का मौका दिया। पश्चिम की तुलना में पूरब सभ्यता और संस्कृति में कैसा महान है यह बयां करनेवाला वह गीत था "पुरवा सुहानी आयी रेs."

'क्रांति' (१९८१) के "ज़िंदगी की ना टूटे लड़ी.." गाने में मनोजकुमार और हेमा मालिनी!
उसके बाद मनोज कुमार जी की फ़िल्मों के ऐसे आदर्श गीत संतोष आनंद जी की ही कलम से ज़्यादातर आनें लगें। इसमें था 'शोर' (१९७२) का नंदा और मनोजकुमार पर फ़िल्माया, लता मंगेशकर और मुकेश जी ने गाया वह संस्मरणीय गीत "एक प्यार का नगमा है.." इसके लिए संगीतकार - प्यारेलाल शर्मा जी ने खुद वायलिन बजाया था। फिर लक्ष्मी-प्यारे की ही संगीत में 'रोटी, कपड़ा और मकान' (१९७४) के उनके सभी गीत लाजवाब रहें। जिसमे एक तरफ था "मैं ना भूलूँगा..मैं ना भूलूँगी.." जैसा तरल प्रेमगीत, तो दूसरी तरफ था "बाकि कुछ बचा तो महंगाई मार गई" जैसा वास्तवता कथन करनेवाला गीत! इसके बाद 'क्रांति' (१९८१) के उनके गीत कमाल के थे जिसमे था मनोजकुमार और हेमा मालिनी पर फ़िल्माया, नितिन मुकेश और लता मंगेशकर जी ने गाया "ज़िंदगी की ना टूटे लड़ी.." जो दिल हिला गया!

'प्यासा सावन' (१९८१) के "मेघा रे मेघा रे s.." गाने में जितेंद्र और मौसमी चटर्जी!
दूसरे फिल्मकारों के लिए भी उन्होंने भावपूर्ण गीत लिखें। इसमें था दासरी नारायण राव की पारीवारिक फ़िल्म 'प्यासा सावन' (१९८१) का "मेघा रे मेघा रे s.." जो जितेंद्र और मौसमी चटर्जी पर तरलता से फ़िल्माया गया। फिर राज कपूर की फ़िल्म 'प्रेम रोग' (१९८२) का "मोहब्बत हैं क्या चीज़.." ऋषि कपूर और पद्मिनी कोल्हापुरे पर फ़िल्माया गया था। दोनों गीत लक्ष्मी-प्यारे के संगीत में सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर जी ने गाएं और यादगार रहें! 'संगीत' (१९९२), 'तिरंगा' (१९९३) और आख़री 'प्रेम अगन' (१९९८) इन फ़िल्मों के उनके गीत भी उल्लेखनीय रहें। 
 
'प्रेम रोग' (१९८२) के "मोहब्बत हैं क्या चीज़.." गाने में पद्मिनी कोल्हापुरे और ऋषि कपूर!
२०१६ में 'यश भारती' से संतोष आनंद जी सम्मानित हुए। इस से पूर्व १९७४ में 'रोटी, कपड़ा और मकान' के लिए और १९८३ में 'प्रेम रोग' के लिए उनको 'सर्वोत्कृष्ट गीतकार' 
के 'फ़िल्मफ़ेअर' पुरस्कार भी प्राप्त हुएं। 


 
उनकी स्थिति पर मुझे "एक प्यार का नगमा है" गीत की पंक्तियाँ याद आती है और आँखें नम होतीं हैं..
"आँखों में समंदर है..
आशाओं का पानी है..
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी है..!"

अच्छी सेहत के लिए उन्हें शुभकामनाएं!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 21 February 2021

नूतन की सर्वश्रेष्ठ 'सुजाता'!


"जलते हैं जिसके लिये, 
तेरी आँखों के दिये.."

तलत ने गायी यह मजरूह की ग़ज़ल टेलीफोन के ज़रिये सुनील दत्त जब सुनाता हैं, तब उसपर संवेदनशील नूतन के 'सुजाता' की मनोव्यथा को व्यक्त करनेवालें भाव दिल हिलां देतें है।..आज यह याद आकर मेरी आँखें नम हो गई!

अपने भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से एक...नूतन जी का आज ३० वा स्मृतिदिन।

फ़िल्मकार बिमल रॉय
ऐसे वक़्त उनकी बेहतरीन व्यक्तिरेखाओं में से  इस वास्तवदर्शी 'सुजाता' को आज याद किया! श्रेष्ठ फ़िल्मकार बिमल रॉय की यह चित्रकृति साठ साल पहले प्रतिष्ठित 'कांन्स फ़िल्म फेस्टिवल' में दिखाई गयी थी।

अपने देश की जाती व्यवस्था पर भाष्य करनेवाली सुबोध घोष की इसी नाम की बंगाली कथा पर नबेंदु घोष ने इसकी पटकथा लिखी थी।

हालांकि, इससे पहले 'बॉम्बे टॉकीज' ने देविका रानी को लेकर अपनी क्लासिक फ़िल्म 'अछूत कन्या' (१९३६) से यह मुद्दा उठाया था; लेकिन 'सुजाता' (१९५९) में बिमल रॉय का प्रखर वास्तव निर्देशन और नूतन की अति स्वाभाविक प्रतिमा से इस सामाजिक विषय को अधिक प्रभावी बनाया।

मुझे अब भी याद है इसका एक श्रेष्ठ्तम सीन..महात्मा गांधीजी के स्टैचू के पास बैठी सुजाता की व्यथा को चोटी पर ले जाने वाला! सिनेमैटोग्राफर कमल बोस की कल्पकता और नूतन के गहरे हावभाव से यह बहुत असरदार हुआ था।

'फ़िल्मफ़ेअर' पुरस्कारों के साथ इसे 'राष्ट्रीय' सम्मान प्राप्त हुआ।

लेकिन इस परिस्तिथी में अब भी कुछ परिवर्तन नहीं आया है!

प्रतिभाशाली अभिनेत्री नूतन जी को भावांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday, 18 February 2021

दानानीर का कमाल!



महज़ चार सेकंड की यु ट्यूब क्लिप से सोशल मीडिया के ज़रिये मशहूर होना क्या होता है, यह "पॉरी हो री है.." की चुलबुली ख़ूबसूरत लड़की ने हाल ही में दिखाया।

पाकिस्तान के पेशावर की उन्नीस साल की.. दानानीर मोबीन का अपने फ्रेंड्स के साथ का यह छोटा वीडियो और उसका उसमे (हिंग्लिश अंदाज़ में) बोलना सभी को प्यारा लगा। सोशल मीडिया जानकारी के अनुसार, यह आर्ट्स की स्टूडेंट् ब्यूटी और फैशन की कंटेंट क्रिएटर भी है। 

वहां लॉलीवूड और यहाँ बॉलीवुड के कलाकारों पर भी दानानीर छा गयी है। रैपर यशराज मुखाटे ने भी उसपर म्यूजिक के साथ मैशअप/रीमिक्स बनाया।

वह यु ट्यूब क्लिप तो वैसे इनफॉर्मल था। लेकिन अब दानानीर ने इंस्टाग्राम पर "तेरा मेरा रिश्ता पुराना.." यह बॉलीवुड फ़िल्म 'आवारापन' (२००७) का पाकिस्तानी सिंगर मुस्तफ़ा ज़ाहिद का गाना बख़ूबी गाया है।
 
उम्मीद है परफॉर्मिंग आर्ट्स में वो उभर आए!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday, 16 February 2021


हमारे भारतीय सिनेमा के पितामह.. दादासाहब फालके जी का आज ७७ वा स्मृतिदिन!

१९१३ में उन्होंने 'राजा हरिश्चंद्र' यह हमारे भारत की पहली फ़ीचर फ़िल्म बनाई!

उन्हें प्रणाम!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday, 15 February 2021


हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन..
दिल को बहलाने को ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है।

अपनी कलम से निकलें नायाब अल्फ़ाज़ों से ज़मीन पर ही जन्नत का अहसास दिलानेवाले..
उर्दू तथा पर्शियन शायरी के अज़ीम-ओ-शान शख्सियत..
मिर्झा ग़ालिब साहब को उनके स्मृतिदिन पर सलाम.!

- मनोज कुलकर्णी
  (मानस रूमानी)

 

Wednesday, 10 February 2021


चिम्पू..राजीव कपूर..
अब भी यकीन नहीं होता..तुम यह जहाँ छोड़ गए!

मेरी फ़िल्म पत्रकारिता का (३५ साल पहले) शुरुआती लेख मैंने उसपर लिखा था..
हूबहू अपने चाचा शम्मी कपूर की शक्ल और अंदाज़ में आया था तब वो!

अब भी याद हैं शुरूआती मिलना!!
अलविदा!!!

- मनोज कुलकर्णी

परदे की कथित 'क्वीन' की उत्तराखंड त्रासदी पर कोई संवेदना दिखाई/सुनाई नहीं दी।

बड़ी फ़िक्र है अपने प्रदेश की उसे!

कुदरत भी कमाल करती है
इसकी वादियों के ये नज़ारें..
कभी होतें हैं हसीन लुभावनें
तो कभी ऐसे आपदा से घिरे!

- मनोज 'मानस रूमानी'

[उत्तराखंड की त्रासदी दुखदायक!
पीड़ितों के प्रति संवेदना!!]

 

Wednesday, 3 February 2021

'शगुन' (१९६४) के "पर्बतों के पेड़ों पर.." गीत में कमलजीत और वहीदा रहमान!

"पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है .."

मोहम्मद रफ़ी और सुमन कल्याणपुर ने गाया यह फ़िल्म 'शगुन' (१९६४) का गीत..
साहिर ने लिखा और पहाड़ी राग में ख़ैयाम ने संगीतबद्ध किया हुआ।

'शगुन' (१९६४) फ़िल्म में कमलजीत और वहीदा रहमान!
इस फ़िल्म का और एक गीत ख़ैयाम जी की पत्नी जगजीत कौर ने गाया जो दिल को छूनेवाला था..
"तुम अपना रंज-ओ-ग़म..
अपनी परेशानी मुझे दे दो.."

अपने भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा वहीदा रहमान की सालगिरह पर आज यह याद आया!

इसकी ख़ासियत यह थी की, इसमें उनके नायक बने कमलजीत याने शशी रेखी बाद में उनके शौहर हुएँ!

किसी ख़ुशी के मौके पर..पति-पत्नी कमलजीत और वहीदा रहमान!
'किस्मत का खेल' (१९५६) और 'सन ऑफ़ इंडिया' (१९६२) जैसी कुछ फिल्मों में नायक रहे कमलजीत ने कुल १३ फिल्मों में काम किया। लेकिन वहीदा के साथ सिर्फ़ 'शगुन' में नायक थे।

अब बीस साल गुज़र गए हैं..कमलजीत जी यह दुनिया छोड़ कर!

और वहीदा रहमान जी की आज ८३ वी सालगिरह हैं!

ख़ैर, मुबारकबाद!!

- मनोज कुलकर्णी

 

"चौदहवीं का चाँद हो...
या आफताब हो...
जो भी हो तुम..
खुदा की कसम ..
लाजवाब हो..!"

अपने भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अदाकारां वहीदा रहमान पर फ़िल्माया यह रूमानी गीत!

गुरुदत्तजी ने अपनी फ़िल्म 'चौदवीं का चाँद' (१९६०) में यह उनकी तरफ देखकर पेश किया था।

इस फ़िल्म को अब ६० साल हो गएँ हैं, और..
बुजुर्ग अभिनेत्री वहीदा रहमानजी की आज ८३ वी सालगिरह!


याद आ रहा है कुछ साल पूर्व फिल्म समारोह के दौरान उनसे मिलकर हुई बातचीत!

उन्हें मुबारक़बाद!!

- मनोज कुलकर्णी