शायर फ़ैज अहमद फ़ैज! |
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले"
ऐसा रूमानी लिखनेवाले उर्दू शायरी की शान..फ़ैज अहमद फ़ैज जी का १०८ वा जनमदिन हाल ही में हुआ!
उन्होंने यह भी लिखा था...
"हम से कहते हैं चमन वाले
गरीबान-ए-चमन...
तुम कोई अच्छा सा रख लो
अपने वीराने का नाम.!"
इससे प्रेरित होकर शायद जावेद अन्वरजी ने 'शबनम' (१९६४) फ़िल्म के लिये यह गीत लिखा होगा..
"मैंने रखा है मोहब्बत अपने अफसाने का नाम...
तुमभी कुछ अच्छासा रख दो अपने दीवानेका नाम."
उन्हें सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
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