Wednesday 20 February 2019

दिग्गज संगीतकार खय्याम 'उर्दू मरकज़' से सम्मानित!

खय्यामजी और पत्नि जगजित कौरजी के साथ (बाएं से) तलत अज़ीज़, उत्तम सिंह, भूपेंद्र सिंह!

हाल ही में 'उर्दू मरकज़' की जानिब से 'मोहसिन-ए-उर्दू' से संगीतकार खय्याम साहब को सम्मानित किया गया! हालांकि मौजूदा हालातों के मद्देनज़र उन्होंने अपनी ९२ वी सालगिरह नहीं मनायी!

गायक सोनू निग़म और खय्याम साहब!
इस समय उनकी गायिका पत्नि जगजित कौर, संगीतकार उत्तम सिंह और ग़ज़ल गायक तलत अज़ीज़ तथा भूपेंद्र सिंह मौजूद थे!

खय्याम साहब ने संगीतबद्ध की हुई अभिजात गज़लें इस वक्त याद आयी..
जैसे की..

'रज़िया सुलतान' (१९८३) की जाँ निसार अख़्तर जी की लता मंगेशकर जी ने गायी..
"ऐ दिल-ए-नादान आरज़ू क्या है.."

'उमराव जान' (१९८१) के "ज़िंदगी जब भी तेरी.." गाने में रेखा और फ़ारुक़ शेख़!
'उमराव जान' (१९८१) की शहरयार जी की तलत अज़ीज़ जी ने गायी..
"ज़िंदगी जब भी तेरी.. 
बज़्म में लाती है हमें.."

और उनकी पत्नि जगजीत कौर जी ने 'शगुन' (१९६४) के लिए साहिर जी की गायी..
"तुम अपना रंज-ओ-ग़म, अपनी परेशानी मुझे दे दो.."

साथ ही याद आयी खय्याम साहब से हुई मेरी मुलाकातें!

उनको मुबारकबाद!!

- मनोज कुलकर्णी

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