दिग्गज संगीतकार खय्याम 'उर्दू मरकज़' से सम्मानित!
खय्यामजी और पत्नि जगजित कौरजी के साथ (बाएं से) तलत अज़ीज़, उत्तम सिंह, भूपेंद्र सिंह! |
हाल ही में 'उर्दू मरकज़' की जानिब से 'मोहसिन-ए-उर्दू' से संगीतकार खय्याम साहब को सम्मानित किया गया! हालांकि मौजूदा हालातों के मद्देनज़र उन्होंने अपनी ९२ वी सालगिरह नहीं मनायी!
गायक सोनू निग़म और खय्याम साहब! |
खय्याम साहब ने संगीतबद्ध की हुई अभिजात गज़लें इस वक्त याद आयी..
जैसे की..
'रज़िया सुलतान' (१९८३) की जाँ निसार अख़्तर जी की लता मंगेशकर जी ने गायी..
"ऐ दिल-ए-नादान आरज़ू क्या है.."
'उमराव जान' (१९८१) के "ज़िंदगी जब भी तेरी.." गाने में रेखा और फ़ारुक़ शेख़! |
"ज़िंदगी जब भी तेरी..
बज़्म में लाती है हमें.."
और उनकी पत्नि जगजीत कौर जी ने 'शगुन' (१९६४) के लिए साहिर जी की गायी..
"तुम अपना रंज-ओ-ग़म, अपनी परेशानी मुझे दे दो.."
साथ ही याद आयी खय्याम साहब से हुई मेरी मुलाकातें!
उनको मुबारकबाद!!
- मनोज कुलकर्णी
No comments:
Post a Comment