Friday 30 November 2018

गायक मोहम्मद अज़ीज़ नहीं रहे!

रफीसाहब की याद दिलातें गायक मोहम्मद अज़ीज़!
रफीसाहब के बाद उनकी याद अपनी आवाज के ज़रिये कायम रखने की क़ामयाब कोशिश करनेवालें.. लोकप्रिय पार्श्वगायक मोहम्मद अज़ीज़ अब इस दुनिया से रुख़सत हो गएँ!

'खुदगर्ज़' (१९८७) फिल्म में साधना सरगम के साथ मोहम्मद अज़ीज़ ने गाया..
गोविंदा और नीलम पर फिल्माया "दिल बहलाता हैं मेरा आप के आ जाने से.." हीट रहा!
पश्चिम बंगाल के गुमा 
से आएं सईद मोहम्मद अज़ीज़-उन-नबी ने बांग्ला फिल्म 'ज्योति' से अपना पार्श्वगायन शुरू किया और १९८४ के दौरान वह बम्बई आए। यहाँ 'अंबर' फिल्म के लिए गाने के बाद संगीतकार अनु मलिक ने उनको बड़ा ब्रेक दिया..मनमोहन देसाई की फिल्म 'मर्द' (१९८५) में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के लिए गाने का!


इसके बाद मोहम्मद अज़ीज़ सफलता की सीढ़ी चढ़ते गएँ..इसमें जानेमाने संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी ने उनसे ज्यादा गानें गवाएँ। कहतें थे वह सातवें सूर में गाते थे..जो दुर्लभ होता हैं! इसकी मिसाल थी लक्ष्मी-प्यारे के संगीत में उन्होंने गाया समीर का गाना "सारे शिकवे गिले भुला के कहो.."
'ख़ुदा गवाह' (१९९२) फिल्म में मोहम्मद अज़ीज़ ने कविता कृष्णमूर्ती के साथ गाया 
"तू मुझे कुबूल मैं तुझे कुबूल.." परदे पर साकार करते अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी!


उन्होंने लता मंगेशकर और आशा भोसले से तब उभरती गायिकाओं के साथ कमाल के डुएट्स गाएँ। जैसें की राकेश रोषन की फिल्म 'खुदगर्ज़' (१९८७) के लिए उन्होंने साधना सरगम के साथ गाया "दिल बहलाता हैं मेरा आप के आ जाने से.." गोविंदा और नीलम पर फिल्माया यह गाना इतना हीट रहा की हाल ही में एक शख्स का उसपर डांस सोशल मीडिया पर छा गया!..इसके बाद मुकुल आनंद की फिल्म 'ख़ुदा गवाह' (१९९२) के लिए उन्होंने कविता कृष्णमूर्ती के साथ गाया "तू मुझे कुबूल मैं तुझे कुबूल.." अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी पर लाजवाब फिल्माया गया।

मोहम्मद अज़ीज़ जी ने लगभग २००० से ऊपर गानें गाएं..जिसमें बांग्ला और हिंदी के साथ ओड़िआ भाषाओँ में गाएं गानें भी शामिल हैं।
'आखिर क्यों?' (१९८५) फिल्म में मोहम्मद अज़ीज़ ने गाया..
"एक अँधेरा लाख सितारें.." परदे पर पेश करते राजेश खन्ना!

उनको सुमनांजली देते हुए..उन्होंने 'आखिर क्यों?' (१९८५) फिल्म के लिए गाया इंदिवर जी का अर्थपूर्ण गीत याद आता हैं..जो राजेश खन्ना और स्मिता पाटील पर संज़ीदगी से फिल्माया गया था..आज इनमें से कोई इस दुनियाँ में नहीं!

"एक अँधेरा लाख सितारें
एक निराशा लाख सहारें
सबसे बड़ी सौगात हैं जीवन
नादाँ हैं जो जीवन से हारें.."


- मनोज कुलकर्णी
   ['चित्रसृष्टी']

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