Tuesday 20 November 2018

मौसम आशिक़ाना!

फ़िल्म 'हाथी मेरे साथी' के "सुन जा आ ठंडी हवा.." गाने में राजेश खन्ना और तनुजा!

"सुन जा आ ठंडी हवा....
कुछ प्यारी प्यारी बातें हमारी.."

उस दिन रूमानी गीतों का लुत्फ़ उठाते समय..पहला सुपरस्टार राजेश खन्ना का तनुजा के साथ का यह गाना सामने आया और मन कोमल अतीत में जा पहुंचा।..फिर याद आएं ऐसेही ठंडी के मौसम से जुड़े अपनी फिल्मों के कुछ रूमानी गीतों के लम्हें!
फ़िल्म 'नौजवान' (१९५१) के "ठंडी हवाएँ..लहेराके आएँ.." 
गाने में शोख़ ख़ूबसुरत नलिनी जयवंत!
इसमें पहले याद आया शायर साहिर लुधियानवी का शुरुआत का मशहूर गीत.. जो उन्होंने 'नौजवान' (१९५१) फ़िल्म के लिए लिखा था और लता मंगेशकरने गाया था..
"ठंडी हवाएँ..लहेराके आएँ....
रुत हैं जवाँ..तुमको यहाँ कैसे बुलाएँ.."

प्रेमनाथ नायकवाले इस फिल्म मे शोख़ अदाकारा नलिनी जयवंत ने इसे बड़े रूमानी तरीके से साकार किया था!

१९५५ में फिल्म 'सितारा' के लिए मोहम्मद रफ़ी ने जब गाया "ठंडी हवा..." तब इस में वाकई ठंड महसूस हुई और इस गाने के ही "दिल हैं बेक़रार" में आखरी शब्द पर उन्होंने जो जोर दिया..वह प्यार का जुनून भरा था! इसी साल आयी फ़िल्म 'बहु' के लिए गीता दत्त ने तलत महमूद के साथ प्यार की तरलता भरा गीत गाया था..
'झुमरू' (१९६१) के "ठंडी हवा ये चाँदनी सुहानी.."  
गाने में अवलिया किशोर कुमार!

"ठंडी हवाओं में तारों की छाँव में..
आज बालम मेरा डोले जिया.."

फिर मजरूह सुल्तानपुरी का..अवलिया किशोर कुमार ने अपने अंदाज में गाकर परदे पर सादर किया 'झुमरू' (१९६१) का "ठंडी हवा ये चाँदनी सुहानी..ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी.." जिसकी शुरुआत ख़ूबसुरत मधुबाला पियानो की धुन पर गुनगुनाती करती हैं! तो मजरूह का "उफ़ कितनी ठंडी है ये रुत..सुलगे है तनहाई मेरी.." यह गीत फ़िल्म 'तीन देवियां' (१९६५) में सिम्मी ग्रेवाल ने देव आनंद को याद करते बड़ी उत्तेजकता से साकार किया था!

'दो बदन' (१९६६) के "जब चली ठंडी हवा.."
 गाने में आशा पारेख!

ठंडी हवा ऐसीही प्यार की याद दिलाती है! फ़िल्म 'दो बदन' (१९६६) में आशा पारेख हसीन वादियों में प्रेमी मनोज कुमार को "जब चली ठंडी हवा.." इस गाने से कहती हैं "मुझको ऐ जान-ए-वफ़ा तुम याद आएँ.." इसमें शकील बदायुनी ने भी खूब लिखा था..

"ये नज़ारे, ये समां..
और फिर इतने जवाँ
फ़िल्म 'प्रिन्स' (१९६९) के "ठंडी ठंडी हवा में.." गाने में वैजयंतीमाला और शम्मी कपूर!
हाय रे ये मस्तियाँ.."

उसके बाद हसरत जयपुरी का "ठंडी ठंडी हवा में दिल ललचाय.." फ़िल्म 'प्रिन्स' (१९६९) में वैजयंतीमाला ने शम्मी कपूर को देखकर शोख़िया अंदाज़ में पेश किया था! इससे अलग अभिजात फ़िल्म 'पाकीज़ा' (१९७२) का तरल रूमानीपन था..जिसमें अदाकारा मीना कुमारी अपने दिलदार ("जानी") को याद करते समय जो गाती है..वह इसके फ़िल्मकार कमाल अमरोही ने ही लिखा था..
'पाकीज़ा' (१९७२) के "मौसम हैं आशिक़ाना.." 
 गाने में बेहतरिन अदाकारा मीना कुमारी!

"मौसम हैं आशिक़ाना....
ऐ दिल कहींसे उनको ऐसे में ढूंढ लाना..
कहेना के रुत जवाँ हैं और हम तरस रहें हैं.."

प्यार की गरमाहट के लिएं फिल्मों में प्रेमी युगुल दीवानें होने लगे..जैसे 'मै सुंदर हूँ' (१९७१) के आनंद बक्षी ने लिखे "मुझ को ठंड लग रही हैं मुझसे दूर तू न जा.." गाने में प्यारीसी लीना चंदावरकर और बिस्वजीत का नटखट अंदाज था!..इस दौरान उभर रहा सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की (मेहमूद द्वारा) फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' (१९७२) में किशोर कुमार ने पेश किया "ओ महकी महकी ठंडी हवा ये बता.." भी आम रुमानियत का अलग तरीका दिखा कर गया!
फ़िल्म 'मै सुंदर हूँ' (१९७१) के "मुझ को ठंड लग रही हैं.." 
गाने में बिस्वजीत और प्यारीसी लीना चंदावरकर!


लेकिन एंग्री यंग मैन के सुपरस्टार होने के बाद..ठंडी का मौसम, हसीन वादियाँ और रूमानी जज़्बातों को इतना तवज्जो नहीं दिया गया! फिर भी हिल स्टेशन्स और खास कर कश्मीर का लोकेशन फिल्मों में ऐसी रूमानियत जगाता रहा..जैसे अमिताभ ने ही 'बिमिसाल' (१९८२) में सादर किया..
'बिमिसाल' (१९८२) के "ये कश्मीर हैं.. " गाने में अमिताभ बच्चन और राखी!
"कितनी ख़ूबसूरत ये तस्वीर हैं..
मौसम बेमिसाल..बेनज़ीर हैं
ये कश्मीर हैं..."

ख़ैर, हम जैसे रूमानी मिज़ाज रखनेवाले बरसात और ठंडी के मौसम में कुछ ज्यादा रोमैंटिक हो जाते हैं! 



इसके मद्देनज़र, जैसे ठंड महसूस हुई मैंने यह शेर लिखा..

"गुलाबी ठंड की आहट क्या हुई..
रूमानी अरमानों ने ली अंगड़ाई!"

- मनोज कुलकर्णी 
  ['चित्रसृष्टी']

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