Friday 2 November 2018

अमर 'देवदास' और उसका प्यार!

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की मशहूर बंगाली उपन्यास 'देवदास'!

भिन्न परिस्थितियों की वजह से मिल न पाएं बचपन के प्रेमी और उस विरह में मदयाधीन हुए 'देवदास' के किरदार को बंगाली उपन्यासकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने १९१७ में अपनी जवानी में लिखी रूमानी कहानी में अमर किया..जिसे १०० साल पुरे हुएँ!
बंगाली 'देवदास' (१९३५) में प्रमथेश बरुआ और जमुना!

यह 'देवदास' वाकई में मरा नहीं और १९२८ के मूकपट ज़माने से अपने रूपहले परदे पर बार बार आता रहा.. जिसमें १६ से ज्यादा (बंगाली, असामी, तमिल, हिंदी ऐसी) कई भाषाओँ की फ़िल्में शामिल हैं। इस पर मैंने लिखा संशोधन पर बड़ा लेख मेरे 'चित्रसृष्टी' के पहले विशेषांक में २००२ में प्रसिद्ध हुआ था।..और 'देवदास' किरदार सबसे बेहतरीन अदा किए अभिनय सम्राट दिलीप कुमारजी की मैंने ली हुई खास मुलाकात!

'देवदास' पर हुई महत्त्वपूर्ण फिल्मों का ज़िक्र करे तो.. १९३५ में प्रमथेश बरुआ ने बनायी बंगाली 'देवदास' तांत्रिक दृष्टी से बेहतर थी इसमें पैरलल कटिंग पहली बार इस्तमाल करके देवदास और पारो की दुविधाओं को वेधकता से दिखाया गया। इसमें बरुआ खुद देवदास बने थे तथा पारो की व्यक्तिरेखा में थी (उनकी पत्नि) जमुना और चंद्रमुखी बनी थी चन्द्रबती देवी! 
हिंदी 'देवदास' (१९३६) में कुंदनलाल सैगल, ए.एच. शोरी और राजकुमारी!

बादमें उस 'देवदास का हिंदी रूपांतर १९३६ में बरुआ ने निर्देशित किया..जिसमें जमुना ही पारो की भूमिका में थी; लेकिन चंद्रमुखी बनी थी उस ज़माने की गायिका राजकुमारी!..और 'देवदास' के किरदार में आएं उस ज़माने के मशहूर शोकग्रस्त गायक-अभिनेता कुंदनलाल सैगल..जिन्होंने "दुख के अब दिन बीतत नाही.." ऐसा दर्दभरा गाकर अपने ही अंदाज़ में इसे जिया!

बिमल रॉय की फ़िल्म 'देवदास' (१९५५) में वैजयंती माला, दिलीप कुमार और सुचित्रा सेन!
१९५५ में आयी प्रतिभाशाली निर्देशक बिमल रॉय की अभिजात हिंदी फ़िल्म 'देवदास'.. जिसमें वह क़िरदार बख़ूबी पेश किया था.. ट्रैजेडी किंग दिलीप कुमारने! साथ में पारो हुई थी मशहूर बंगाली अभिनेत्री सुचित्रा सेन और चंद्रमुखी की भूमिका में थी नृत्यकुशल तमिल अभिनेत्री वैजयंती माला! इन तिनों के भावपूर्ण प्रसंग अच्छे तरीकेसे चित्रित हुएँ थे और इन तिनों ने अपनी भूमिकाओं में जान डाली थी! प्रथितयश पंजाबी लेखक राजिंदर सिंघ बेदी ने इसके संवाद लिखें थे.. 
इसमें यादगार रहा "कौन कम्बख़्त हैं जो बर्दाश्त करने के लिए पिता हैं.." जिसे अपनी चोटी की अभिनय से दिलीप कुमार ने लाजवाब साकार किया। यह मेरा पसंदीदा 'देवदास' है!
भंसाली की फ़िल्म 'देवदास' (२००२) में माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय और शाहरुख खान!
इसके कई साल बाद २००२ में संजय लीला भंसाली ने इस ज़माने के सुपरस्टार्स शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित को (देवदास, पारो और चंद्रमुखी में) लेकर अपने तरीके से 'देवदास' बनाई! इस बॉलीवुडवाली फ़िल्म में "डोला रे डोला.." पर पारो और चंद्रमुखी साथ नाचीं जो कभी सोचा नहीं था। इसकी दॄष्यात्म भव्यता में 'देवदास' की रूह जैसी दब गयी!

भारत से बांग्लादेश तक 'देवदास' रूपहले परदे पर छा गया..जिसकी पुरानी बांग्ला फ़िल्म की प्रिंट अपने 'राष्ट्रीय चित्रपट संग्रहालय' को बांग्लादेश से ही प्राप्त हुई! तो पाकिस्तान में 'देवदास' रंगमंच पर भी आयी!..अब सुना हैं हमारे यहाँ भी 'देवदास' की हिंदी नाट्य प्रस्तुति की तैयारी हो रहीं हैं!

'देवदास' तो ऐसे बनतें रहेंगे..जब तक समाज की दीवारें मोहब्बत को सफल नहीं होने देती..देवदास हक़ीक़त में अंदर घुटन महसूस करेंगे और अपना दर्द इस कलाकृति के जरिये व्यक्त होना चाहेंगे!

- मनोज कुलकर्णी
   ['चित्रसृष्टी']

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