मेरे इस ब्लॉग पर हमारे भारतीय तथा पूरे विश्व सिनेमा की गतिविधियों पर मैं हिंदी में लिख रहा हूँ! इसमें फ़िल्मी हस्तियों पर मेरे लेख तथा नई फिल्मों की समीक्षाएं भी शामिल है! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
Friday, 25 December 2020
"मक़ाम ‘फ़ैज़’ कोई राह में जचा ही नहीं..
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले.."
कहते है जब हमारे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयीजी (उनके विदेश मंत्री के दौर में) जब मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को पाकिस्तान में मिले, तब फ़ैज़जी का यह शेर उन्होंने दोहराया।
खुद कवि रहे वाजपेयीजी के जनमदिन पर उन्हें आदरांजलि!
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