Friday, 25 December 2020


"मक़ाम ‘फ़ैज़’ कोई राह में जचा ही नहीं..
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले.."

कहते है जब हमारे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयीजी (उनके विदेश मंत्री के दौर में) जब मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को पाकिस्तान में मिले, तब फ़ैज़जी का यह शेर उन्होंने दोहराया।

खुद कवि रहे वाजपेयीजी के जनमदिन पर उन्हें आदरांजलि!

- मनोज कुलकर्णी

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