Friday 13 November 2020

अंदाज़-ए-रफ़ी गातें..!

ख़ालिद बैग़.. मोहम्मद रफ़ी साहब की आवाज़ में गाते!

सुखद बात का पता चला की अपने अज़ीज़ गायक मोहम्मद रफ़ी जी की आवाज़ में गानेवाले पाकिस्तानी सिंगर है..ख़ालिद बैग़! हाल ही में यु ट्यूब पर उनके पर्फोर्मन्सेस के कुछ वीडिओज़ देखनें में आएं।

रफ़ीसाहब की आवाज़ में
गाए अपने अनवर हुसैन
!
हालांकि रफ़ी साहब फिर नहीं हो सकते। वो आसमान से अपनी आवाज़ लेकर आए थे! लेकिन उनकी आवाज़-गायकी के नज़दीक जाने की कुछ हद तक कामयाब कोशिश अपने हिन्दोस्ताँ में भी हुई है। वैसे यह तो फ़िल्मों में उनकी आवाज़ की कमी भरने की बात थी! 

जैसे की "मोहब्बत अब तिज़ारत बन गयी है.." ('अर्पण') गानेवाले अनवर हुसैन हो, या "मुबारक हो तुम सबको.." ('मर्द) गानेवाले शब्बीर कुमार; या फिर "तू मुझे कबूल.." ('खुदा गवाह') गानेवाले मोहम्मद अज़ीज़!

रफ़ीसाहब की आवाज़ में
गाए अपने शब्बीर कुमार!
ख़ैर, तो पाकिस्तान में भी यह कोशिश अच्छी रंग लायी लगा, जब ख़ालिद बैग़ जी ने गायें रफ़ीसाहब के कुछ गानें यहाँ यु ट्यूब पर सुनें! उनके फेसबुक पेज से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने संगीत की बाकायदा तालीम हासिल की है। 

२००६ में 'रॉयल कॉलेज ऑफ़ लंदन' से 'म्युज़िकोलोजी' में ख़ालिद बैग़ जी ने डिग्री प्राप्त की और २०१० में पाकिस्तान में ही संगीत शास्त्र में एम्.ए. किया। फिर उन्होंने वहां टेलीविज़न शोज में अपने गाने के परफॉर्मन्स सादर किए और बाद में विदेशों में भी वे प्रोग्राम्स करते रहे! 

रफ़ीसाहब की आवाज़ में गा कर
गए अपने मोहम्मद अज़ीज़!
यु ट्यूब पर 'आठवां सूर' विडिओ इंटरव्यू में ख़ालिद बैग़ जी ने बयां किया है की 'वे मोहम्मद रफ़ी जी की आवाज़ से मुतासिर हुए और उस अंदाज़ में गाना पसंद किया'! "मैं रफ़ी साहब को ही गाता हूँ और उसी वजह से मेरी शोहरत है!" ऐसा भी उन्होंने इसमें कहाँ है। वैसे उन्होंने वहां इक़बाल जैसे मशहूर शायरों के कलाम भी गाएं है। वे यहाँ बम्बई आकर रफ़ी साहब के घर और क़ब्र पर भी गएँ!

पाकिस्तानी गायक ख़ालिद बैग़!
 

"तुम बिन जाऊ कहाँ के दुनियां में आके कुछ न फिर चाहा.." जैसे ख़ालिद बैग़ जी ने गाएं रफ़ी जी के गानों से ही उनकी इस आवाज़ से मोहब्बत बयां होती है!

रफ़ीसाहब को सलाम और बैग़जी को उनकी आवाज़ में गाने के लिए मुबारक़बाद!

- मनोज कुलकर्णी

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