बी.आर.चोपड़ा और 'नया दौर'!
रंगीन 'नया दौर' के २००७ में प्रदर्शन समय बी.आर.चोपड़ाजी के साथ वैजयंतीमाला, रवि चोपड़ा और दिलीपकुमार! |
अपने भारतीय सिनेमा के दिग्गज फ़िल्मकार बी. आर. चोपड़ा जी का आज १२ वा स्मृतिदिन।
'बीआर फ़िल्म्स' के 'नया दौर' (१९५७) का पोस्टर! |
इस वक्त याद आया उनका शायद आखरी बार कैमरा के सामने आना और वह था उनकी ही क्लासिक 'नया दौर' के रंगीन प्रदर्शन पर!
१९५७ में 'बीआर फ़िल्म्स' द्वारा मूल ब्लैक एंड व्हाइट में निर्माण हुई थी 'नया दौर'। मशीन युग में आदमी की अहमियत को उजाग़र करनेवाली इस फ़िल्म को लिखा था.. अख़्तर मिर्ज़ा और क़ामिल रशीद इन्होंने! गांव के गरीब टाँगेवालें और जमींदार की मोटर के बीच की रेस इसमें उल्लेखनीय रही। "झगड़ा सिर्फ मशीन और आदमी का है बस!" यह इसका तडफदार नायक दिलीप कुमार का संवाद अब भी याद हैं! अजित, जीवन, जॉनी वॉकर, चाँद उस्मानी और वैजयंतीमाला ने इसमें उसके साथ अहम भूमिकाएं निभाई थी।
'नया दौर' (१९५७) फ़िल्म के "मांग के साथ तुम्हारा.." गाने में दिलीपकुमार और वैजयंतीमाला! |
हालांकि, इस फ़िल्म में पहले मधुबाला ने बतौर नायिका काम शुरू किया था; लेकिन उसके वालिद अताउल्लाह ख़ान की वजह से उसे इसमें से बाहर आना पड़ा। कहा गया है की तब दिलीपकुमार-मधुबाला रिलेशनशिप में थे और यह बात ख़ान साहब को ग़वारा नहीं थी! तब चोपड़ाजी ने नायिका के रूप में लिया वैजयंतीमाला को, जिन्होंने पहले 'देवदास' (१९५५) फ़िल्म में दिलीपकुमार का अच्छा साथ दिया था। यह जोड़ी हिट हो गई और उनका गाना "मांग के साथ तुम्हारा.." आज भी लुभावना लगता है।
'नया दौर' (१९५७) के "ये देश है
वीर जवानों का.." गाने में दिलीपकुमार और अजित! |
'नया दौर' फ़िल्म बहुत कामयाब रही और दिलीपकुमार को 'सर्वोत्कृष्ट अभिनेता' का पुरस्कार भी मिला। इसे पचास साल पुरे होने के समय २००७ में बी.आर. और पुत्र रवि चोपड़ा जी ने इसे रंगीन बनाकर प्रदर्शित किया।
चोपड़ाजी और उनकी इस लैंडमार्क फ़िल्म को आदरांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
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