पाक़ की नज़रिया से..'मंटो'!
पाक़िस्तानी उर्दू फ़िल्म 'मंटो' (२०१५) का पोस्टर जिसपर इसके सभी कलाकार मौजूद हैं! |
सआदत हसन मंटो..नाम था उस शख़्सियत का..जिसकी क़लम को ना ही कोई सरहद थी और ना ही.. बेझिझक बयां होने में कोई दिक़्क़त! उनकी लघुकथाएं और शाहकार इसकी मिसाल थे! समाज का आइना होकर बस वह लिखती गयी!..इसीलिए सरहद के दोनों तरफ़ वे मक़बूल रहे।
पाक़िस्तानी परदे पर 'मंटो' (२०१५) बयां करते सरमद सुल्तान खुसत! |
मंटो जी ने अपने यहाँ के फ़िल्मोद्योग में बड़ा योगदान दिया था। उस वक़्त उनकी कुछ समकालिन लघुकथाओं पर यथार्थवाद को दर्शानेवाली फिल्में बनी। जिसमें थी १९३७ में बनी पहली रंगीन हिन्दोस्तानी फ़िल्म 'किसान कन्या'! फिर 'अपनी नगरिया' (१९४०) से 'काली सलवार' (२००२) - तक कई फ़िल्में उनकी कथाओं पर यहाँ बनी। अब उनकी दास्ताँ परदे पर आनी यह तो ज़ाहिरसी बात थी।
पाक़ उर्दू फ़िल्म 'मंटो' में नूरजहाँ हुई सबा क़मर और 'मंटो' बने सरमद खुसत! |
तो इस पाक़ फ़िल्म 'मंटो' को निर्देशित किया..वहां के मशहूर टीवी धारावाहिककार तथा फ़िल्म अभिनेता सरमद सुल्तान खुसत ने..और मंटो का अहम क़िरदार भी ख़ुद बख़ूबी निभाया! इस फ़िल्म की और एक ख़ास बात थी की इसमें मंटो के (दोनों मुल्क़ों में) मशहूर.. गायिका-अभिनेत्री नूरजहाँ से रिश्ते को उजाग़र किया है! वहां उर्दू टीवी की जानीमानी अदाकारा (जिन्होंने अपने यहाँ भी इरफ़ान ख़ान के साथ 'हिंदी मीडियम' फ़िल्म में काम किया) सबा क़मर ने यह भूमिका की है। तो टीवी होस्ट सानिया सईद ने साफ़िया मंटो का क़िरदार साकार किया है। साथ में टीपू शरीफ़ ने पाकिस्तानी दिग्गज अभिनेता-फ़िल्मकार (यही से गए) शौक़त हुसैन रिज़वी की भूमिका की है।..और अदनान जफ़र ने उर्दू लेख़क क़ुद्रत उल्लाह शाहब का क़िरदार निभाया है।
जमाल रहमान ने इस फ़िल्म में संगीत दिया है और मुहम्मद हनीफ़ ने इसके गानें लिखें हैं। (ग़ौरतलब की भारतीय कवि शिवकुमार बतलवी का एक गीत भी इसमें शामिल किया है!) जिसमें मशहूर "क्या होगा.." गाने में वहां की ख़ूबसूरत..
अदाकारा माहिरा ख़ान ने अपने जलवें दिखाएं हैं! लेकिन इससे अलग़ मंटो के
सामाजिक जीवन को दर्शातें प्रसंगों में ग़ालिब साहब की "आह को चाहिए इक उम्र
असर होने तक.." ग़ज़ल इस्तेमाल की है, जिसे अली सेठी ने गाया है।
पाक़ 'मंटो' (२०१५) के पोस्टर पर ख़ूबसूरत अदाकारा माहिरा ख़ान और सरमद खुसत! |
मंटो जी के गुज़र जाने की ६० वी वर्षगाठ पर यह फ़िल्म पाकिस्तान में प्रदर्शित हुई..जिसे काफ़ी सराहना मिली। इसके लिए 'दूसरे गैलेक्सी लॉलीवूड अवार्ड्स' में सरमद सुल्तान खुसत को 'बेस्ट एक्टर' और सबा क़मर को 'बेस्ट एक्ट्रेस' से नवाज़ा गया। तो हमारे यहाँ भी 'जयपुर इंटरनेशल फ़िल्म फ़ेस्टिवल' में सरमद खुसत को 'उत्कृष्ट अभिनेता' का सम्मान दिया गया!
हमारे यहाँ भी बाद में २०१८ में बेहतरिन अभिनेत्री-निर्देशिका नंदिता दास ने 'मंटो' फ़िल्म बनायी और ज़बरदस्त कलाकार नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी ने वह क़िरदार जी जान से निभाया! (जिसपर मैने पहले यहाँ लिखा है!) लेक़िन पाक़ उर्दू फ़िल्म 'मंटो' को आप नज़रअंदाज नहीं कर सकतें!!
तो 'मुस्लिम सोशल' सीरीज़ में मेरा आज का यह आठवां लेख़ उसपर हैं।
- मनोज कुलकर्णी
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