Tuesday 5 May 2020

"ओ दूर के मुसाफ़िर हमको भी साथ ले ले.."

श्रेष्ठ संगीतकार नौशादजी और गायक रफ़ीजी! 
रफ़ी साहब के आर्त सुरों से यह गाना फिर से मन में गुँजा और याद आए.. मौसिक़ी के शहंशाह - नौशाद अली!

आज उनके स्मृतिदिन पर मेरे मन में वाक़ई उनके इस गाने जैसी भावना है!

याद आ रही है उनसे मिलने की 'अनमोल घड़ी'!

उनको सुमनांजली!!

- मनोज कुलकर्णी

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