मक़बूल पाकिस्तानी शायर..क़तील शिफ़ाई!
शायर..क़तील शिफ़ाई! |
इस अवसर पर..उन्हीकी शायरी याद करते है...
विसाल की सरहदों तक आ कर जमाल तेरा पलट गया है
वो रंग तू ने मेरी निगाहों पे जो बिखेरा पलट गया है
कहाँ की ज़ुल्फ़ें कहाँ के बादल सिवाए तीरा-नसीबों के
मेरी नज़र ने जिसे पुकारा वही अँधेरा पलट गया है
न छाँव करने को है वो आँचल न चैन लेने को हैं वो बाँहें
मुसाफ़िरों के क़रीब आ कर हर इक बसेरा पलट गया है
मेरे तसव्वुर के रास्तों में उभर के डूबी हज़ार आहट
न जाने शाम-ए-अलम से मिल कर कहाँ सवेरा पलट गया है
मिला मोहब्बत का रोग जिस को 'क़तील' कहते हैं लोग जिस को
वही तो दीवाना कर के तेरी गली का फेरा पलट गया है!
शिफ़ाई साहब को सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
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