Tuesday 18 December 2018


"कैसी सरहदें..कैसी मजबूरियाँ
मैं यहाँ हूँ..यहाँ हूँ..यहाँ हूँ.."

आज दो मुल्क़ों में गिरफ़्त एक मोहब्बत का वाक़या देख-सुनके मुझे 'यशराज' की फिल्म.. 
'वीर ज़ारा' (२००४) के शाहरूख़ ख़ान और प्रीति ज़िंटा के यह संज़ीदा लम्हे याद आएं! 

मोहब्बत करनेवालें सलामत रहें!!

- मनोज कुलकर्णी

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