"कैसी सरहदें..कैसी मजबूरियाँ
मैं यहाँ हूँ..यहाँ हूँ..यहाँ हूँ.."
आज दो मुल्क़ों में गिरफ़्त एक मोहब्बत का वाक़या देख-सुनके मुझे 'यशराज' की फिल्म..
'वीर ज़ारा' (२००४) के शाहरूख़ ख़ान और प्रीति ज़िंटा के यह संज़ीदा लम्हे याद आएं!
मोहब्बत करनेवालें सलामत रहें!!
- मनोज कुलकर्णी
No comments:
Post a Comment