अज़ीम शायर-नग़्मानिगार..शकील बदायूँनी जी!
उर्दू के मशहूर शायर..शकील बदायूँनी जी! |
'लीडर' (१९६४) में ताज-महल के गाने में वैजयंतीमाला और दिलीपकुमार! |
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है.!"
अपने भारतीय सिनेमा के परदे पर आएं मेरे पसंदीदा रूमानी नग्मों में से एक, जिसे लिखा था उर्दू के मशहूर शायर..शकील बदायूँनी जी ने!
फ़िल्म 'लीडर' (१९६४) में ताजमहल के आगोश में खूबसूरत वैजयंतीमाला जी और अपने अदाकारी के शहंशाह युसूफ ख़ान याने दिलीपकुमार जी ने इसे पेश किया था।
संगीतकार नौशाद जी, गायक मोहम्मद रफ़ी जी और गीतकार शकील बदायूँनी जी! |
मुशायरे में अपनी शायरी पेश करतें शकील बदायूँनी जी! |
"मैं ‘शकील’ दिल का हूँ तर्जुमान,
कि मोहब्बतों का हूँ राजदान
मुझे फ़ख़्र है मेरी शायरी..
मेरी ज़िंदगी से जुदा नहीं!’’
ऐसे बयां होनेवाले शकील जी ने कुछ ग़ज़लें भी लिखीं, जिन्हें बेगम अख़्तर जी ने गाया, जिसमें हैं लोकप्रिय "ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया.."
शकील साहब ने इस जहाँ को अलविदा करके अब ५० साल से ज़्यादा अर्सा बीता हैं!
आज स्मृतिदिन पर उन्हें सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
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