Wednesday 20 April 2022

अज़ीम शायर-नग़्मानिगार..शकील बदायूँनी जी!

उर्दू के मशहूर शायर..शकील बदायूँनी जी!

'लीडर' (१९६४) में ताज-महल के गाने में वैजयंतीमाला और दिलीपकुमार!
"इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल..
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है.!"


अपने भारतीय सिनेमा के परदे पर आएं मेरे पसंदीदा रूमानी नग्मों में से एक, जिसे लिखा था उर्दू के मशहूर शायर..शकील बदायूँनी जी ने!

फ़िल्म 'लीडर' (१९६४) में ताजमहल के आगोश में खूबसूरत वैजयंतीमाला जी और अपने अदाकारी के शहंशाह युसूफ ख़ान याने दिलीपकुमार जी ने इसे पेश किया था।

संगीतकार नौशाद जी, गायक मोहम्मद रफ़ी जी और गीतकार शकील बदायूँनी जी!
शकील जी ने पहली बार कारदार जी की फ़िल्म 'दर्द' (१९४७) के लिए गीत लिखा, जिसे नौशाद अली जी ने संगीतबद्ध किया था! फिर गीतकार शकील जी और संगीतकार नौशाद जी की बाकमाल जोड़ी ने कई अविस्मरणीय गीत दिए.. जिन्हे मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, तलत महमूद और शमशाद बेगम जैसों ने गाया, इसमें थे "मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसिका .." ('बाबुल'/१९५०), "तू गंगा की मौज मैं जमुना का धारा.." ('बैजू बावरा'/१९५२ ), "दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा.." ('मदर इंडिया'/१९५७), "जब प्यार किया तो डरना क्या.." ('मुगल-ए-आज़म'/१९६०) और फ़िल्म 'मेरे महबूब' (१९६३) के शायराना अंदाज़ में इज़हार-ए-मोहब्बत करनेवालें नग्में जो मुझे बहुत पसंद हैं।

मुशायरे में अपनी शायरी पेश करतें शकील बदायूँनी जी!
शकील जी ने अन्य संगीतकारों के लिए भी कुछ लाजवाब गीत लिखें, जैसे की रवि जी के लिए 'चौदहवीं का चाँद' (१९६०) के और हेमंत कुमार जी के लिए 'साहिब बीबी और ग़ुलाम' (१९६२) के!..उन्होंने कुल ८९ फ़िल्मों के लिए गीत लिखें।

"मैं ‘शकील’ दिल का हूँ तर्जुमान,
कि मोहब्बतों का हूँ राजदान
मुझे फ़ख़्र है मेरी शायरी..
मेरी ज़िंदगी से जुदा नहीं!’’


ऐसे बयां होनेवाले शकील जी ने कुछ ग़ज़लें भी लिखीं, जिन्हें बेगम अख़्तर जी ने गाया, जिसमें हैं लोकप्रिय "ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया.."

शकील साहब ने इस जहाँ को अलविदा करके अब ५० साल से ज़्यादा अर्सा बीता हैं!
आज स्मृतिदिन पर उन्हें सुमनांजलि!!


- मनोज कुलकर्णी

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