Tuesday 25 September 2018

थम गयी उपहास की कलम!


पत्रकार एवं लेखक अरुण साधु जी!

सामाजिक तथा राजकीय दांभिकता पर अपनी कलम द्वारा पुरजोर टिप्पणियां करने वाले पत्रकार-लेखक अरुण साधु जी गुज़र जाने को अब एक साल हो गया!

अरुण साधु जी की कादंबरी पर बनी फिल्म 'सिंहासन' (१९७९) में 
निळु फुले, अरुण सरनाईक, डॉ. श्रीराम लागु  और सतीश दुभाषी!
उनकी 'मुंबई दिनांक' जैसी कादंबरी पर 'सिंहासन' (१९७९) यह फिल्म डॉ.जब्बार पटेलजी ने बनायी थी..उस तरह का "राजकीय थरार" मराठी सिनेमा के परदे पर पहली बार दिखायी दिया!

२००८ में सांगली में हुए 'मराठी साहित्य सम्मेलन' के वह अध्यक्ष थे और उस वक्त उनका राजकीय हस्तियों की मंच पर उपस्तिथी पर कड़ा विरोध जताना चर्चा में रहा!


सामाजिक लेखन के लिए उन्हें काफी सम्मान मिले और 'साहित्य अकादमी' का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ!

मुझे याद आ रही है उनसे हुई मुलाकातें और चर्चाएं.!!

उन्हें मेरी भावांजली!!

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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