Thursday 22 February 2018

"ये आँखें उफ़ युम्मा.."


साऊथ की फ़िल्म की नवयुवा नायिका का आयब्रौं को दोनों तरफ ऊपर-नीचे हिलाकर, आँख मार कर नवयुवा प्रेमी को प्रतिसाद देना देखकर..आँखों पर लिखे गए और रूमानी तरीके से परदे पर साकार हुए कुछ फ़िल्मी गानें याद आए!
'जब प्यार किसीसे होता है' (१९६१) के "ये आँखें." गाने में देव आनंद और आशा पारेख!
सबसे पहले मन में गूँजा नासिर हुसैन की पसंदीदा रोमैंटिक म्यूजिकल 'जब प्यार किसीसे होता है' (१९६१) का गाना "ये आँखें उफ़ युम्मा..ये सूरत उफ़ युम्मा.." जिसमें ख़ूबसूरत शोख़ अदाकारा आशा पारेख ने एक जगह उसी तरह आयब्रौं को दोनों तरफ हलकासा ऊपर-नीचे हिलाया है..(गौर करें) जब देव आनंद इस गाने की यह पंक्तियाँ उसकी आँखों में आँखे डालकर कहता है "ये काजल उफ़ युम्मा..ये चितवन उफ़ युम्मा.." 
'चिराग़' के "तेरी आँखों.." गाने में सुनिल दत्त और आशा पारेख!


देव आनंद ने इससे पहले फ़िल्म 'सी. आय. डी.' (१९५६) में भी शकीला के साथ "आँखों ही आँखों में इशारा हो गया.." गाना ऐसे ही रूमानी तरीके से साकार किया था जो काफी मशहूर हुआ। तथा 'चिराग़' (१९६९) फ़िल्म में "तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है.." यह मजरुह सुलतानपुरी का गाना मोहम्मद रफी ने बख़ूबी गाया था और सुनील दत्त ने उसी उत्कटता से आशा पारेख के साथ साकार किया था।
'तराना' (१९५१) के "नैन मिले.." गाने में मधुबाला और दिलीप कुमार!

रोमैंटिक म्यूजिकल्स के शुरुआत के दिनों में 'आर.के.' की 'बरसात' (१९४९) में नर्गिस का "मेरी आँखों में बस गया कोई रे.." गाकर प्यार जताना भावोत्कट था। ट्रैजडी किंग दिलीप कुमार भी पियानो पर नौशाद की धुन पर "मिलतें ही आँखे दिल हुआ दीवाना किसी का.." ऐसा इज़हार भी करते रहे और (वाकई में उनकी मेहबूबा रही) मलिका-ए-हुस्न मधुबाला के साथ तो 'तराना' (१९५१) में "नैन मिले नैन हुए बावरे.." गातें हुए दोनों का प्यार खूब रंग लाता गया!
'प्यासा' (१९५७) के "हम आप की आँखों.." में माला सिन्हा और गुरुदत्त.

गुरुदत्त ने अपनी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म 'प्यासा' (१९५७) में मोहम्मद रफी की रूमानी आवाज में "हम आप की आँखों में इस दिल को बसा ले तो.." गाकर  हसीन माला सिन्हा से मोहब्बत का इज़हार किया! फिर क्लासिक 'वोह कौन थी' (१९६४) में साधना के लिए लता मंगेशकर ने गाया हुआ "नैना बरसे.." उनके खुद के पसंदीदा गानों में से एक रहा!
'प्यार ही प्यार' (१९६९) के शिर्षक गीत में धर्मेंद्र और वैजयंतीमाला!

ही मैन धर्मेंद्र ने भी 'प्यार ही प्यार' (१९६९) के शिर्षक गीत में "देखा हैं तेरी आँखों में.." गाकर वैजयंतीमाला से प्यार जताया था और उसने भी आँखों से वह बख़ूबी बयां किया था। बाद में बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार राजेश खन्ना ने १९७० में ही एक तरफ "ग़ुलाबी आँखे जो तेरी देखीं.." ऐसा नंदा के लिए गाकर 'दी ट्रैन' में रोमैंटिक इमेज बरक़रार रखी; तो दूसरी तरफ 'सफ़र' में ख़ूबसूरत शर्मिला टैगोर की तस्वीर बनातें हुए "जीवन से भरी तेरी आँखे मजबूर करे जीने के लिए.." ऐसा भावूक होकर गाकर दिल को छुआ था!
'दी ट्रैन' (१९७०) के "ग़ुलाबी आँखे." में पहला सुपरस्टार राजेश खन्ना और नंदा!

१९७८ में 'राजश्री प्रोडक्शन' की अच्छी फ़िल्म आयी थी 'अखियों के झरोखों से'..युवा प्रेम कहानी को रूंह से जोडती इसकी भावुक कहानी में सचिन के साथ रंजीता का (इसके शिर्षक गीत से बयां होता) बेहतरीन अभिनय आँखे नम कर गया!
'अखियों के झरोखों से' (१९७८) के शिर्षक गीत में सचिन और रंजीता!


इसी साल आयी 'घर' इस पारिवारिक हादसे पर आधारित फ़िल्म में 'ख़ूबसूरत' रेखा का अभिनय भी आकर्षण रहा..इसमें विनोद मेहरा के साथ उसके "आप की आँखों में कुछ.." गाने में प्यार की गहराई थी! बाद में मुझफ्फ़र अली की फ़िल्म 'उमराव जान' (१९८१) में तो उसने उच्च कोटी का अभिनय दर्शाया जिसके लिए उसे राष्ट्रीय सम्मान भी मिला! इसके आशा भोसले ने गाए "इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं.." इस मुज़रे में रेखा का मुद्राभिनय और अदा कमाल की थी!
'उमराव जान' (१९८१) के "इन आँखों की मस्ती के.." मुजरे में रेखा!

ऐसे आँखों के संदर्भ में मुख़्तलिफ़ गाने हमारी फ़िल्मों में लिखे, गाए और साकार होते रहें है..जैसे की इस दौर के सुपरस्टार शाहरुख़ खान ने भी दीपिका पादुकोण के लिए 'ओम शांति ओम' (२००७) में गाए "आँखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं हैं.."
'हम दिल दे चुके सनम' (१९९९) के "आँखों की.." गानेमें ऐश्वर्या राय और सलमान खान!

यह सब पीढ़ी दर पीढ़ी बदलता प्यार को जताना है बस्स..इससे प्यार ही फैलेगा! इसी लिए शायद संजय लीला भंसाली की रोमैंटिक हिट फ़िल्म 'हम दिल दे चुके सनम' (१९९९) में ऐश्वर्या राय के साथ सलमान खान का यह गाना रखा गया हो..."आँखों की गुस्ताखियाँ माँफ हो.."

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]


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