Monday 19 February 2018

बॉलीवुड मे भोजपुरी लहजा..!!


- मनोज कुलकर्णी


'बद्रिनाथ की दुल्हनिया' (२०१७) के शिर्षक होली गीत में वरुण धवन और आलिया भट्ट!

पिछले साल प्रदर्शित 'बद्रिनाथ की दुल्हनिया' इस फ़िल्म के होली गीत ने बहुत धूम मचाई...जो पुरानी कलासिक फ़िल्म 'तिसरी कसम' (१९६६) के "चलत मुसाफिर मोह लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया.." की धून को लेकर आया था!
'तिसरी कसम' (१९६६) का मूल गाना "चलत मुसाफिर मोह लिया रे.."


'गंगा जमुना' (१९६१) के "नैन लड़ जइ हैं." पर नाचते दिलीप कुमार और साथी!
पचास साल पहले बासू भट्टाचार्य ने निर्देशित की इस 'तिसरी कसम' का वह गाना (फ़िल्म के निर्माता भी रहे) शैलेंद्रजी ने लिखा था और शंकर-जयकिशन ने संगीतबद्ध किया और मन्ना डे जी ने गाया था!..और शशांक खैतान निर्देशित 'बद्रिनाथ की दुल्हनिया' का वह (शब्बीर अहमद ने लिखा) टायटल ट्रॅक तनिष्क बागची ने बनाया था!..तथा देव नेगी, नेहा कक्कर, इक्का सिंग, रजनीगंधा शेखावत, मोनाली ठाकूर ने गाया! हालांकि दोनों गानों का लहजा भोजपुरी लोकसंगीत ही है!

लोकप्रिय हिंदी सिनेमा में भोजपुरी बोली और माहोल का उपयोग देहाती फिल्मो में आम तौर पर होता आ रहा है! इसमें सबसे मशहूर तथा चर्चित (आज भी) रही वह थी अभिनयसम्राट दिलीप कुमार निर्मित १९६१ की 'गंगा जमुना'..जिसमें अपने भाई नासिर खान और वैजयंतीमाला के साथ उन्होने खुद प्रमुख भूमिका निभायी थी!..नौशादजी ने भी उत्तर प्रदेश के लोक संगीत का इसमें बखुबी इस्तेमाल किया था..जिसमें मोहम्मद रफीजी ने गाए हुए (शकील बदायुनी के) "नैन लड़ जइ हैं तो मनवामा कसक होईबे करी.." गाने पर दिलीप कुमार और साथी खूब नाचे थे! इसमें वैजयंतीमाला को "अरे ओ धन्नो.." ऐसी आवाज उन्होंने भोजपुरी लहजे में ही दी थी!

'गंगा की सौगंध' (१९७८) में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और रेखा!

इसके बाद १९७८ में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और रेखा को लेकर सुलतान अहमद ने इस माहोल में 'गंगा की सौगंध' बनायी थी..जो इतनी कामयाब नहीं रही! इसका "रूप जब ऐसा मिला.." यह किशोर कुमारने गाया गाना उसी लहजे में था! बाद में १९८२ मे सचिन और साधना सिंग को लेकर 'राजश्री पिक्चर्स' की 'नदिया के पार' यह संवेदनशील रुमानी फिल्म आयी, जिसमें भोजपुरी भाषा तथा जीवन को दर्शाया गया था! इसका रविंद्र जैन की संगीत मे जसपाल सिंग ने गाया हुआ "साथी कहे तोरे आवन से हमरे.." यह गाना लोकप्रिय हुआ था!

'नदिया के पार' (१९८२) मे सचिन और साधना सिंग!
ऐसी फिल्मे बनती रही और कुछ साल पहले मूल भोजपुरी सिनेमा को भी अच्छे दिन आए!..मनोज तिवारी, रवि किशन और नगमा, उर्वशी चौधरी जैसे स्टार्स वहा उभर आए! फिरसे यह लहजा हिंदी सिनेमा तथा दर्शकों को लुभाने लगा..और जब बॉलीवूड की नौजवान जोडी वरुण धवन और आलिया भट्ट को लेकर करण जोहर की 'बद्रिनाथ की दुल्हनियां' आयी तब तो इसे बड़ी लोकप्रियता हासिल हुई!

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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