Thursday, 31 October 2024


शुभ दीपावली!


दिये में ज्ञान की लौ जले हर तरफ..
दिल में प्यार की लौ जले हर तरफ!


- मनोज 'मानस रूमानी'
(मनोज कुलकर्णी)

Wednesday, 16 October 2024


कोजागरी का चाँद आज आसमाँ में
हमारा चाँद भी निखरे पूरे शबाब में!

- मनोज 'मानस रुमानी'

Sunday, 13 October 2024

'शायर-ए- महफ़िल' से सम्मानित!

आदाब/नमस्कार!

आपको यह जानकारी देते हुए ख़ुशी होती है कि, हाल ही में मुझे 'अंजुमन' की जानिब से (हिंदी-उर्दू काव्य में उत्कृष्टता के लिए) 'शायर-ए-महफ़िल' ख़िताब से नवाज़ा गया!

'अंजुमन'की चौथी वर्षगांठ पर पुणे में आयोजित समारोह में मान्यवर शायर श्री.असलम हसन जी के हाथों से यह पुरस्कार मुझे दिया गया!
इस लिए 'अंजुमन' के अध्यक्ष श्री. महेश बजाज (शायर अंजुम लखनवी) जी का मै शुक्रगुज़ार हूँ!

- मनोज कुलकर्णी
(मानस रूमानी)

Saturday, 12 October 2024

Friday, 11 October 2024

'मधुशाला' नहीं..!

ऐसा मालूम हुआ था, एक सम्मेलन में ख्यातनाम कवि हरिवंशराय बच्चन जी को पुछा गया, "आप की सर्वोत्तम रचना किसे कहेंगे?"
तब सभी को लगा वे "मधुशाला" बताएँगे!
लेकिन उन्होंने कहाँ, "अमिताभ मेरी सर्वोत्तम रचना हैं!"

पसंदीदा विश्वविख्यात अभिनेते अमिताभ बच्चन जी की आज ८२ वी सालगिरह!
उनसे मिलना, बात करना याद आ रहा हैं!
(यहाँ माता-पिता के साथ उनकी तस्वीर!)

शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी
(मानस रूमानी)

Thursday, 10 October 2024


आईने में दिखे छवि से ख़ूबसूरत रहें..
उम्र की रेखाएं कभी न दिखें आप पर
अदाकारी के और भी जलवें दिखाने..
उमराव जान यूँ ही रहे आप परदे पर!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(हमारे लोकप्रिय भारतीय सिनेमा की पसंदीदा ख़ूबसूरत अदाकारा रेखा जी को ७० वी सालगिरह की मुबारक़बाद!..याद आ रही है उनसे मुलाकात!)

- मनोज कुलकर्णी


जिस साल आप यह जहाँ छोड़ गए,
उसी साल हम इस जहाँ में आएं थे!
संजीदगी, बेरुख़ी क्या हमें छोड़ गए;
शायद इसलिए हम ख़फ़ा ख़फ़ा रहते!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(हमारे अज़ीज़ श्रेष्ठ अभिनेता एवं निर्देशक गुरुदत्त जी को उनके ६० वे स्मृतिदिन पर मेरी यह शब्द-सुमनांजलि!)

- मनोज कुलकर्णी
"इन्साफ़ का मंदिर है ये
भगवान का घर है!"

शकिल बदायुनी जी ने लिखा और नौशाद जी के संगीत में मोहम्मद रफ़ी जी ने गाया यह गीत मेरे पसंदीदा उदात्त गीतों में से एक!

महबूब ख़ान जी की क्लासिक 'अमर' (१९५४) में निम्मी जी, मधुबाला जी और दिलीप कुमार जी पर बड़ी भावुकता से फ़िल्माया यह गीत आता हैं क्लाइमैक्स में!

आज के दौर में इसकी ये पंक्तियाँ बहुत मायने रखती हैं...
"है पास तेरे जिसकी अमानत उसे दे दे
निर्धन भी है इंसान, मोहब्बत उसे दे दे
जिस दर पे सभी एक हैं बन्दे, ये वो दर है
इन्साफ का मंदिर है..!"

और जब भी यह देखता/सुनता हूँ आँखें नम हो जाती हैं..
"दुःख दर्द मिले जिसमे वोहीं प्यार अमर है!"

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday, 8 October 2024

अपने जीवन में दख़लंदाज़ी की लोगों की बुरी आदत होती हैं। इससे कैरियर डिस्टर्ब होता है। ऐसे लोगोंसे (विशेषकर रिश्तेदारों से) दूर रहना!