Monday, 30 May 2022

'बुकर' सम्मानित गीतांजलि श्री बधाई!


अंतरराष्ट्रीय 'बुकर' पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय तथा हिंदी लेखिका रही गीतांजलि श्री!

उनके हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' के लिए उन्हे यह सम्मान मिला है। अपने मुल्क के भारत और पाकिस्तान विभाजन की पृष्ठभूमि पर बुजुर्ग महिला का आत्मकथन इसमें हैं! 'टॉम्ब ऑफ सेंड' यह इसका अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल जी ने किया था।

'हमारा शहर उस बरस', 'खाली जगह' जैसे उपन्यास और 'प्रतिनिधि कहानियाँ' जैसी गीतांजलिजी की यथार्थ रचनाएं हैं!

उनका हार्दिक अभिनंदन!!

- मनोज कुलकर्णी

Friday, 27 May 2022


अपने भारत के कोहिनूर थे वे
अब आसमाँ में मिले होंगे वे!

- मनोज 'मानस रूमानी'


हमारे पहले प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' पंडित जवाहरलाल नेहरू जी और अपने अदाकारी के शहंशाह युसूफ ख़ान याने दिलीप कुमार जी की यह दुर्लभ तस्वीर!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday, 24 May 2022

"मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया!"


ऐसा जिनका अंदाज़ था वे हमारे अज़ीज़ शायर.. मजरूह सुल्तानपुरी जी का आज २२ वा स्मृतिदिन!


वे पहले गीतकार थे जिन्हे अपने सिनेमा का सर्वोच्च 'दादासाहेब फाल्के पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। १९९३ में अपने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा जी ने उन्हें यह प्रदान किया था!

इन दोनों को प्रणाम!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday, 16 May 2022

"युद्ध नहीं..बुद्ध चाहिए!"🙏
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर
फिर से दुनिया में गूँजे यह!

Wednesday, 11 May 2022

जंग-ए-आज़ादी में बराबर के शरीक थे
केसरियांवालों ने उन्हें ठहराया बेगाने!

- मनोज 'मानस रूमानी'

Tuesday, 10 May 2022


अपने भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम १८५७ की यह १६५ वी वर्षगांठ!

इसके नेतृत्व करनेवालों में प्रमुख झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और आखिरी मुग़ल शहंशाह बहादुर शाह जफ़र थे!

इनको सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी


साम्यवादी संजीदा शायर कैफ़ी आज़मी जी की यह खलिश!

बीसवे स्मृतिदिन पर उन्हें सलाम!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 8 May 2022

पुकारों आई, माँ, अम्मी, मम्मी जो भी
उनके लिए तो हो कलेजे के टुकड़े ही!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(हैप्पी 'मदर्स डे'!)

Tuesday, 3 May 2022

 

ईद मुबारक़!🌹

सभी मुसीबतें, फ़िक्र हो दूर
जहाँ सब हो आबाद मसरूर!

- मनोज 'मानस रूमानी'

इस अक्षय तृतीया और ईद-उल-फ़ित्र..
आब-ए-हयात से खिले जीवन हो इत्र!

- मनोज 'मानस रूमानी'

Monday, 2 May 2022

काश इन दो महान हस्तियों की फ़िल्म होती!

अपने विश्वविख्यात फ़िल्मकार सत्यजीत रे और अभिनय सम्राट युसूफ ख़ान याने दिलीप कुमार की यह दुर्लभ तस्वीर! इसमें चाय लेते हुए उनके बीच अपने भारतीय सिनेमा पर मार्मिक चर्चा हो रही होंगी!

रे साहब ने लगातार बंगाली फ़िल्में ही बनाई। इसमें दो अपवादात्मक विशेष रहीं..उर्दू मूवी 'शतरज के खिलाड़ी' (१९७७) और हिंदी टेली - फिल्म 'सद्गति' (१९८१) दोनों जानेमाने उपन्यासकार प्रेमचंदजी की कथाओं पर ही थी। इन फ़िल्मों के ज़रिये हिंदी सिनेमा के सईद जाफ़री, संजीव कुमार, ओम पुरी, शबाना आज़मी और स्मिता पाटील जैसे मंजे हुएं कलाकारों को उनके साथ काम करने का मौका मिला। 

तो वहीदा रहमान ('अभिजान'/१९६२ में) और जया भादुड़ी-बच्चन ('महानगर'/१९६३ में) ने रे जी की बंगाली फ़िल्मों में भी काम किया।

इसमें शायद दिलीप कुमार जी हिंदी ही नहीं, बल्कि उनकी बंगाली फ़िल्म में भी काम कर सकते! उन्हें बंगाली भाषा अच्छी तरह अवगत थी और उन्होंने तपन सिन्हा की 'सगीना महतो' (१९७०) इस बंगाली फ़िल्म में भी काम किया था, जो हिंदी में 'सगीना' नाम से आई। ऐसी कोई सोशल फ़िल्म रे जी बनातें तो उसमे अपने युसूफ साहब कमाल दिखाते थे!

अब ये दोनों इस जहाँ में नहीं। आज रे जी के १०१ वे जनमदिन पर यह याद आया!
इनको आदरांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 1 May 2022

बलराज साहब की याद!

'ग़र्म हवा' (१९७३) फ़िल्म में बलराज साहनी जी!

अपने भारतीय सिनेमा के महान अभिनेताओं में से एक बलराज साहनी जी का आज जनमदिन!

'दो बीघा ज़मीन' (१९५३), 'काबुलीवाला' (१९६०), 'हक़ीक़त' (१९६४) ऐसी फिल्मों के उनके सशक्त किरदार यथार्थवाद की अनुभूति देतें हैं।

उनका एक अहम यादगार किरदार रहा 'ग़र्म हवा' (१९७३) के सलीम मिर्ज़ा का! मुल्क के बंटवारे की पीड़ा बयां करनेवाली इस्मत चुग़ताई जी की कहानी पर एम्. एस. सथ्यू जी ने निर्देशित की यह फ़िल्म राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुई और 'ऑस्कर' के लिए भेजी गई थी!

मुल्क से ईमान रखनेवाले मिर्ज़ा के किरदार में बलराज साहब इसमें लाजवाब रहें!
उन्हें सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी