समकालिन सामाजिक स्थिती पर उपहासात्मक चित्रभाष्य करनेवाले जानेमाने फ़िल्मकार सईद अख़्तर मिर्ज़ाजी को ७५ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!
मेरी पसंदीदा उनकी फ़िल्म 'नसीम' (१९९५) का क़ैफ़ीसाहब का संवाद अब भी याद है..
"नसीम तू हो ना सीम!"
- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]
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