Sunday, 2 November 2025

मोहब्बत और इंसानियत से दिल भरा रहे
परदे पर रूमानियत के जलवें दिखाते रहे

- मनोज 'मानस रूमानी'

('बॉलीवुड के किंग' कहे जानेवाले शाहरुख़ ख़ान को ६० वी सालगिरह की मुबारकबाद!)


- मनोज कुलकर्णी

Monday, 27 October 2025

सतीश शाह..अब याद में!


मशहूर फ़िल्म-टीवी एक्टर सतीश शाह जी अचानक इस जहाँ से रुख़सत हुए यह दुख की बात हैं!

'जाने भी दो यारों' (१९८३) जैसी सटायरिकल, 'हातिमताई' (१९८९) जैसी फैंटेसी, 'हम आप के है कौन' (१९९४) जैसी फैमिली ड्रामा ऐसी अलग-अलग जॉनर की हिंदी फिल्मों में और 'गंमत जंमत' (१९८७) जैसी मराठी फिल्मों में उन्होंने अपने किरदार बख़ूबी निभाएँ। तथा 'यह जो हैं ज़िंदगी' (१९८४) और 'साराभाई वर्सेस साराभाई' (२००४) जैसी कॉमेडी टीवी धारावाहिकों में उनकी भूमिकाएं लाजवाब रही और उन्हें अवार्ड्स मिले।

याद आ रहा हैं फ़िल्मी पार्टी में उनसे अच्छा मिलना और बात करना!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी


Tuesday, 21 October 2025


शुभ दीपावली!

दिये में ज्ञान की लौ जले हर तरफ..
दिल में प्यार की लौ जले हर तरफ!

- मनोज 'मानस रूमानी'

Saturday, 11 October 2025

उम्र ८० कब के पार कर चुके..
ये ८० के दशक में लीजेंड बने!
एंग्री यंग मैन के ही जोश में..
अब बिझी ओल्ड मैन हैं रहें!

- मनोज 'मानस रूमानी'


[हमारे भारतीय सिनेमा-टीवी जगत के लिविंग लीजेंड और हम सबके चहेते..(जिन पर मैंने बहुत लिखा) मेगास्टार..अमिताभ बच्चन जी को ८३ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!..याद आ रहा है उनसे हुआ मेरा वार्तालाप और उन्हें मिलकर मेरा 'चित्रसृष्टी' नायक विशेषांक देना!]


- मनोज कुलकर्णी

Friday, 10 October 2025

अदाकारी के और भी जलवें दिखाने..
परदे पर आप उमराव जान यूँ ही रहे!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(हमारे लोकप्रिय भारतीय सिनेमा की पसंदीदा ख़ूबसूरत अदाकारा रेखा जी को ७१ वी सालगिरह की मुबारक़बाद! फ़िल्मकार मुज़फ़्फ़र अली जी की क्लासिक फ़िल्म 'उमराव जान' (१९८१) जिसके लिए रेखा जी को नेशनल अवार्ड मिला, अब फिर से प्रदर्शित हुई।..याद आ रही है उनसे मुलाकात!)

- मनोज कुलकर्णी

Saturday, 4 October 2025

विख्यात अभिनेता-फ़िल्मकार अमोल पालेकर!

दिल्ली में सन २००० में हुए हमारे 'इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया' में
अमोल पालेकर जी की फ़िल्म 'कैरी' की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उनके साथ मैं!

ज्येष्ठ अभिनेता-फ़िल्मकार अमोल पालेकर जी उम्र ८० पर है और कैरियर के ५० साल पुरे कर चुके है। हाल ही में उनकी ऑटोबायोग्राफी 'ऐवज: एक स्मृतिबंध' प्रकाशित हुई!

'घरौंदा' (१९७७) में अमोल पालेकर और ज़रीना वहाब!
१९७० के दशक में 'छोटी सी बात', 'घरौंदा' जैसी हिंदी फिल्मों से शहरी जीवन में मध्यमवर्गीय नायक का किरदार लोकप्रिय करते अमोल पालेकर उभर आए। बाद में १९८१ में वे निर्देशन की तरफ मुड़े और ग्रामीण वास्तवता दिखाती मराठी फ़िल्म 'आक्रीत' बनाकर उसमें प्रमुख भूमिका उन्होंने निभाई। फिर १९८६ में 'अनकही' इस गूढ़ ऑफबीट हिंदी फ़िल्म का निर्देशन उन्होंने किया।

इसके बाद १९९० और २००० इन दशकों में दोनों भाषाओँ में वे सामाजिक तथा कलात्मक फिल्में बनाते गए। इसमें 'बनगरवाड़ी', 'ध्यासपर्व', 'अनाहत', 'समांतर' ये मराठी फिल्में थी और 'थोड़ासा रूमानी हो जाएँ', 'दायरा', 'पहेली' ये हिंदी फिल्में थी।

अभिनेता के तौर पर 'फ़िल्मफ़ेयर' जैसे अवार्ड्स और अपनी निर्देशित फिल्मों के लिए राष्ट्रीय सम्मान उन्हें मिले!

फ़िल्म क्रिटिक की हैसियत से उनकी फिल्मों के प्रदर्शन के समय और फ़िल्म समारोहों में मेरी उनसे मुलाकातें तथा वार्तालाप होते रहें!

उन्हें शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday, 10 September 2025


कुदरत का यह कैसा भयावह मंजर है
सभी के जीने के लिए बरसता पानी..
अब जीवन उजाड़ने पर तुला है!

- मनोज 'मानस रूमानी'

[हिमाचल तथा पंजाब बाढ़ की त्रासदी दुखदायक!
पीड़ितों के प्रति संवेदना!!]

- मनोज कुलकर्णी