मुक़ाबला दो इमेजेस का!
'शक्ति' (१९८२) फ़िल्म में दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन! |
'दिलीप-अमिताभ: एक जनरेशन गैप' यह आर्टिकल मैंने लिखा था 'शक्ति' (१९८२) फ़िल्म में अपनी सदी के दो महानायक यूसुफ़ ख़ान याने दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन का परदे पर हुआ आमना-सामना देखकर! उसके जानेमाने निर्देशक रमेश सिप्पी जी की उम्र ७५+ हो गई हैं और आज अमिताभ जी की ८१ वी सालगिरह! तथा दिलीप साहब की जन्मशताब्दी हो गई। इस अवसर पर मुझे उसकी याद आयी, जिसे अब ४० साल हो गएँ हैं।
हालांकि, वह सिर्फ जनरेशन गैप ही नहीं थी, बल्कि अपने भारतीय सिनेमा के नायक को शोकग्रस्त से विद्रोही बनाने का बड़ा परिवर्तन था, जिसका विश्लेषण मैंने उसमें किया था। मेरे फ़िल्म पत्रकारिता के वे शुरूआती (महाविद्यालयीन) दिन थे और मुझपर पहले से अमिताभ की 'एंग्री यंग मैन' इमेज का प्रभाव था। लेकिन परिपक्व इंसान की सोच आती गयी तब महसूस हुआ की दिलीपकुमार के नायक जज़्बाती आम आदमी से काफी मिलते-जुलते थे!..और संवेदनशील होने की वजह से उनसे समरस हो सकता था! साथ ही दिलीप साहब की लाजवाब अभिनय क्षमता से मैं उनका प्रशंसक हुआ! मेरी इन दोनों दिग्गजों से मुलाकातें हुई और उनपर मैंने बहुत लिखा भी!
बहरहाल, समाज में होने वाले अन्याय-अत्याचारों का सामना करने की अमिताभ जी की संतप्त नायक की प्रतिमा निडर बनाने में स्फूर्तिदायी रही! उन्हें शुभकामनाएं!..और सिर्फ ट्रेजडी किंग ही नहीं, बल्कि अदाकारी के शहंशाह रहें यूसुफ़ साहब को सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
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