Sunday, 30 August 2020

दो "ज़िंदगी.." गाने मुकेश पिता-पुत्र और मनोज कुमार!

दर्दभऱी आवाज के मुकेश जी!

"ज़िंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी हैं.."
मेरा एक पसंदीदा गाना (जो अपने भी किसीको याद करके) आँखें नम कर देता हैं!

'शोर' (१९७२) इस मनोज कुमार जी की फ़िल्म के लिए दर्दभऱी आवाज के मुकेश जी ने यह गाया था।
हालांकि इसके दो वर्शन्स थे..एक डुएट जिसमे लता मंगेशकर जी के साथ उन्होंने गाया और बादमे सैड सोलो ख़ुद!

अपनी 'शोर' (१९७२) फ़िल्म के उस गाने में मनोज कुमार!
 
 
 
पहले में संजीदा अदाकारा नंदा के साथ मनोज कुमार और बेटे (उसकेही) पर और बाद में नंदा की याद में मनोज जी पर यह फ़िल्माया गया था।
इसकी खास बात यह थी की इसके संगीतकार (लक्ष्मी-प्यारे जोड़ी के) प्यारेलाल शर्मा जी ने ख़ुद इसमें व्हायोलिन बजाया था।

गायक नितिनजी मुकेश!


 

लगभग एक दशक बाद, संजोग ऐसा हुआ की 'क्रांति' (१९८१) इस मनोज कुमार जी की ही फ़िल्म में "ज़िंदगी की ना टूटे लड़ी प्यार करले घडी दो घडी.." यह गाना मुकेश जी के बेटे नितिनजी ने गाया और वोभी लता मंगेशकर जी के साथ। मनोज कुमार और हेमा मालिनी पर यह दर्दनाक तरीके से फ़िल्माया गया था।

अपनी 'क्रांति' (१९८१) फ़िल्म के उस गाने में मनोज कुमार!

 इन दोनों "ज़िंदगी.." गानों को लिखा था संतोष आनंद जी ने ही। 

मुकेश जी के स्मृतिदिन पर यह याद आया!

उन्हें यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday, 18 August 2020

सालगिरह पर गुफ़्तगू गुलज़ारजी से!

सरलता से मुख़ातिब होते आपके अल्फ़ाज़
जाड़ों की नर्म धुप या ग़र्मी में पत्तों की सरसराहट
क़तरा क़तरा ज़िंदगी में देते हैं सुकून!

अब आपसे कुछ विनम्रता से कहना हैं..

ग़ालिब के शेर का सहारा न ले, जैसे आपने "दिल ढूंढता हैं.." गीत में लिया।
बर्गमन का प्लॉट अपने सिनेमा में न लाएं, जैसे 'मौसम' में ही लाया।
तथा 'साउंड ऑफ़ म्यूजिक' का यहाँ 'परिचय' न दे।
और हाँ, "बीड़ी", "गोली" जैसे गाने भी शोभा नहीं देतें!

आपका जो अपना सादगी सा हैं वही आपसे आएं यह गुज़ारिश!

शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी

 


Sunday, 16 August 2020

मुबारकां पचास!

अपने लोकप्रिय सिनेमा के नवाब सैफ़ अली ख़ान की आज ५० वी सालगिरह!

यूँही अपनी हरफ़नमौला इमेज से परदेपर रूमानी रंग भरते रहो सैफ़!

इस वक़्त याद आती हैं उसके कैरियर के शुरूआती दौर में हुई हमारी मुलाक़ात!
१९९५ में 'सिनेमा के सौ साल' मनाते बम्बई में हुए सेलिब्रेशन का हिस्सा रहे 'सिनेमा सिनेमा' प्रोग्रॅम में हम मिले।

२५ साल पुरानी यह तस्वीर धुंदली सी क्यूँ न हो, लेकिन वो हसीन यादें अब भी ताज़ा हैं।

- मनोज कुलकर्णी