Tuesday 16 April 2019

रूमानी शायर-गीतकार हसरत!


जवानी में और बुजुर्ग..मरहूम शायर-गीतकार हसरत जयपुरी!

"सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था
आज भी हैं..और कल भी रहेगा.."
'जब प्यार किसीसे होता है' (१९६१) के "सौ साल पहले." गाने में देव आनंद और आशा पारेख!

इस तरह के रूमानी गीत लिखनेवाले शायर हसरत जयपुरी जी का ९७ वा जनमदिन अब हुआ
इसके साथ ही अपनी मशहूर रोमैंटिक फिल्मों के लिए उनके गीत सफर के अब ७० साल पूरे हुएँ!

उर्दू और पर्शियन में तालीम हासिल की हसरत जी का असल में नाम था..इक़बाल अहमद! जवानी की दहलीज़ पर उन्होंने शायरी करना शुरू किया। हुस्न और इश्क़ हर शायर को प्रेरणा देता हैं..उनका भी वैसा हुआ, जिसका ज़िक्र उन्होंने अपनी मुलाकातों में किया था! 'राधा' नाम की ख़ूबसूरत लड़की से उन्हें तब प्यार हुआ था; लेकिन वह बयां नहीं कर सकते थे..तो उन्होंने ख़त का सहारा लिया..और उसे लिखा "ये मेरा प्रेमपत्र पढ़ कर के तुम नाराज़ ना होना..के तुम मेरी ज़िन्दगी हो, के तुम मेरी बन्दग़ी हो!" फिर कई साल बाद राज कपूर ने अपनी फ़िल्म 'संगम' (१९६४) में इसे लिया; हालांकि वह गेय रूप में नहीं था!..इतना ही नहीं इसमें अपनी नायिका वैजयंतीमाला का नाम भी उन्होने 'राधा' रखा था!
'संगम' (१९६४) के "ये मेरा प्रेमपत्र पढ़ कर.." गाने में राजेंद्र कुमार और वैजयंतीमाला!

१९४० में नौकरी करने इक़बाल अहमद जयपुर से बम्बई आए और बस कंडक्टर बने! लेकिन तब भी मुशायरा में शिरकत करते थे; जहाँ एक जगह पृथ्विराज कपूर जी ने उन्हें सुना और बाद में राज कपूर से मिलवाया..जो उस वक़्त अपनी फ़िल्म 'बरसात' (१९४९) का निर्माण कर 
रहे थे..तब उन्होंने शंकर-जयकिशन के संगीत में उनका गाना रिकॉर्ड किया..
'हसरत जयपुरी' नाम से लिखा उनके फ़िल्म कैरियर का वह पहला गाना था..

गायक मुकेश, गीतकार हसरत जयपुरी और फ़िल्मकार राज कपूर!
"जिया बेक़रार हैं छाई बहार हैं
आजा मोरे बालमा तेरा इंतज़ार हैं"

फ़िल्म में निम्मी जी पर फ़िल्माया और लता मंगेशकर जी ने गाया वह गाना हिट हुआ! इससे हसरत जी का रूमानी गीत लिखने का सफर शुरू हुआ। बाद में उन्होंने 'आरके फिल्म्स' के लिए शैलेन्द्रजी के साथ काफ़ी गानें लिखें जो मशहूर हुएं। इसके अलावा उन्होंने बाकी निर्माताओं की फिल्मों के लिएं भी अच्छे रूमानी गीत लिखें!

हसरत जी के निज़ी ज़िन्दगी से जुड़े और भी कुछ गानें फिल्मों में आएं..जैसे 'ससुराल' (१९६१) में राजेंद्र कुमार और बी.सरोजादेवी पर फ़िल्माया "तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसीकी नज़र ना लगे चश्म-ए-बद्दूर.." जो दरअसल हसरत जी ने अपने नन्हे बेटे के लिए लिखा था..इसका ज़िक्र वह कर चुके हैं!
गीतकार हसरत जयपुरी, गायिका लता मंगेशकर, 
संगीतकार जयकिशन और गायक मोहम्मद रफ़ी!

इसके साथ ही रूमानी गीत लिखने के लिए हसरत जी को वैसे ही माहौल में निर्माता रखतें थे ये भी उन्होंने कहाँ हैं! इसमें 'आरज़ू' (१९६४) के गानें लिखने के लिए इसके निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर जी ने उन्हें कश्मीर में रखा था! फिर उस माहौल में उनके गानें आएं "ऐ नर्गिस-ए-मस्ताना.." जो मोहम्मद रफ़ी जी ने उसी रूमानी अंदाज़ में गाएं थे.. और कश्मीर की ख़ूबसूरत वादियों में राजेंद्र कुमार और साधना पर फिल्माएं गएं थे!

हसरत जी के गीतों से अपने नायकों पर अलग ही रूमानी ख़ुमार चढ़ा! जैसे 'जब प्यार किसीसे होता है' (१९६१) के "ये आँखे उफ़ युम्मा..ये सूरत उफ़ युम्मा.." में देव आनंद, 'लव इन टोकियो' (१९६६) के "ओ मेरे शाह-ए-खुबां..ओ मेरी जान-ए-जनाना.." में जोय मुखर्जी, 'प्रिन्स' (१९६९) के "बदन पे सितारें लपेटें हुएं ऐ जान-ए-तमन्ना किधर जा रही हो.." में शम्मी कपूर और 'प्यार ही प्यार' (१९६९) के शीर्षक गीत "देखा हैं तेरी आखों में.." में धर्मेंद्र!..इसमें रफ़ीजी की मीठी आवाज़ की ख़ुमारी भी थी!

'अंदाज़' (१९७१) के "ज़िंदगी एक सफ़र हैं सुहाना." गाने में राजेश खन्ना और हेमा मालिनी!
उल्लेखनीय था की गीतकार शैलेन्द्र जी ने जब 'तीसरी कसम (१९६६) फिल्म का निर्माण किया तब उसके कुछ गानें लिखने के लिए हसरत जी को बुलाया था..और उन्होंने भी उसमे ख़ूब लिखा था "मारे गए गुलफ़ाम.." दरमियान उन्होंने के. आसिफ निर्मित 'हलचल' (१९५१) फिल्म की पटकथा लिखी थी..जिसमें दिलीप कुमार और नर्गिस की भूमिकाएं थी!

१९८५ में प्रदर्शित 'राम तेरी गंगा मैली' फ़िल्म तक हसरत जी ने 'आरके फिल्म्स' के लिए गीत लिखें..इसके "सुन साहिबा सुन.." जैसे गानें हिट हुएं! बाकी फिल्मों के लिएं भी आगे कुछ साल वह लिखते रहे..लेकिन आखिर तक उसमें रूमानियत बरक़रार रही!
पुरस्कारोंसह संगीतकार शंकर-जयकिशन और गीतकार हसरत जयपुरी!

हसरत जी को कुछ सम्मान भी प्राप्त हुएं..इसमें १९६६ में 'सूरज' फ़िल्म के "बहारों फ़ूल बरसाओं.." और १९७२ में 'अंदाज़' फ़िल्म के "ज़िंदगी एक सफ़र हैं सुहाना.." के लिएं उन्हें 'सर्वोत्कृष्ट गीतकार' के 'फ़िल्मफ़ेअर' पुरस्कारों से नवाज़ा गया!..इसके अलावा 'उर्दू कॉन्फरेंस' में उन्हें 'जोश मलीहाबादी सम्मान' भी दिया गया!

हसरतजी को मेरा सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी

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