Tuesday 17 April 2018

'राजकमल' की फिल्म 'दहेज़' (१९५०) का पोस्टर!

'दहेज़' चित्र समकालिन! 

- मनोज कुलकर्णी


दहेज़ की समस्या अब भी कितनी भयंकर है इसका अहसास समाचारों के जरिये हमेशा होता आ रहा है! इसके मद्देनजर मुझे पुरानी सामाजिक फिल्म 'दहेज़' (१९५०) और उसका हृदयद्रावक प्रसंग याद आया!

'दहेज़' (१९५०) के फ़िल्मकार व्ही. शांतारामजी!
जानेमाने फ़िल्मकार व्ही. शांताराम ने बनायी इस फिल्म का लेखन शम्स लखनवीजी ने किया था! इसमें श्रेष्ठ कलाकार पृथ्वीराज कपूर पिता और जयश्री बेटी ऐसे किरदार में थे! (साथ में करन दीवान और ललिता पवार भी थे!)
  
उनके बीच फिल्म के क्लाइमैक्स में हुआ संवाद इस तरह था..
'दहेज़' (१९५०) में जयश्री, करन दीवान, पृथ्वीराज कपूर और ललिता पवार!
बेटी कहती है "पिताजी, आपने दहेज़ में सबकुछ दे दिया; लेकिन एक चीज देना भूल गए!"
 

तब पिता पुँछते है "वह कौनसी?"

उसपर बेटी कहती है "कफ़न!"

पृथ्वीराजसाहब और जयश्रीजी ने यह प्रसंग ऐसे स्वाभाविकता से साकार किया था कि वह हालात असल में जी रहें है!..यह देख कर आँखे नम हो गयी थी!!

- मनोज कुलकर्णी
 ['चित्रसृष्टी, पुणे]

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