Tuesday, 25 November 2025

मोजार्ट और सलिल चौधरी!


विश्वविख्यात ऑस्ट्रियाई म्यूजिक कंपोजर मोजार्ट और प्रतिभाशाली संगीतकार सलिल चौधरी जी!

अपने भारतीय क्लासिक सिनेमा के प्रतिभाशाली संगीतकार सलिल चौधरी जी की यह जन्मशताब्दी!

'छाया' (१९६१) फ़िल्म के "इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा.." गाने में सुनील दत्त और आशा पारेख!
बंगाली, हिंदी के साथ उन्होंने कई भाषाओँ में गीत संगीतबद्ध किए। "ऐ मेरे प्यारे वतन.." (मन्ना डे/'काबुलीवाला'/१९६१), "तस्वीर तेरी दिल में.." (मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर/'माया'/१९६२), "ज़िंदगी कैसी है पहेली.." (मन्ना डे/'आनंद'/१९७१) जैसे उनके संगीत के कई सुरीले गीत याद आतें हैं।

लोकसंगीत से लेकर पाश्चात्य धुनों का भी सलिलदा पर पड़ा प्रभाव उनके संगीत में महसूस होता हैं। इसमें एक तरफ फ़िल्म 'मधुमती' (१९५८) का फोक "बिछुआ.." जैसे गीत हैं। तो दूसरी तरफ वेस्टर्न क्लासिकल से प्रेरित, जिसमें विशेष रहा "इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा.." जो था विश्वविख्यात ऑस्ट्रियाई म्यूजिक कंपोजर मोजार्ट की फेमस सिम्फनी नंबर ४० पर! राजेन्द्र कृष्ण जी का लिखा वह गीत तलत महमूद जी और लता मंगेशकर जी ने बख़ूबी गाया था जो ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म 'छाया' (१९६१) में सुनील दत्त और आशा पारेख पर फ़िल्माया गया था। एक तरल काव्यात्म प्रेम इसमें नज़र आता है!

सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday, 19 November 2025

प्रतिभाशाली संगीतकार सलिल चौधरी जन्मशताब्दी!

संगीतकार सलिल चौधरी.

अपने भारतीय क्लासिक सिनेमा के प्रतिभाशाली संगीतकार (और कवि, गीतकार भी) सलिल चौधरी जी का आज १०० वा जनमदिन याने जन्मशताब्दी!

"ऐ मेरे प्यारे वतन.." (मन्ना डे/'काबुलीवाला'/१९६१) गीत दृश्य में बलराज साहनी!
बंगाली, हिंदी के साथ उन्होंने कई भाषाओँ में गीत संगीतबद्ध किए। "ऐ मेरे प्यारे वतन.." (मन्ना डे/'काबुलीवाला'/१९६१), "तस्वीर तेरी दिल में.." (मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर/'माया'/१९६२), "दिल तड़प तड़प के कह रहा है.." (मुकेश और लता मंगेशकर/'मधुमती'१९५८), "ज़िंदगी कैसी है पहेली.." (मन्ना डे/''आनंद'/१९७१), "रजनीगंधा फूल तुम्हारे.." (लता मंगेशकर/'रजनीगंधा'/१९७४) जैसे उनके संगीत के कई सुरीले गीत याद आतें हैं।
'मधुमती' (१९५८) के "दिल तड़प तड़प के" गीतदृश्य में दिलीप कुमार और वैजयन्ती माला!

उनको कई पुरस्कार मिले जिसमें 'फिल्मफेयर', 'संगीत नाटक अकादमी' और राष्ट्रीय सम्मान शामिल हैं!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

उलझन में रहे जीवन की अखेर!


गायिका-अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित.

"अपने जीवन की उलझन को कैसे मैं सुलझाऊं.."

ऐसी अपनी फ़िल्म के गीत की तरह ज़िंदगी में उलझी रही खूबसूरत गायिका-अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित जी आखिर में यह जहाँ छोड़ गयी!


संगीत के घराने से आई सुलक्षणा जी का फ़िल्मी सफ़र बतौर गायिका ही शुरू हुआ। 'दूर का राही' (१९७१) फ़िल्म में "बेकरार दिल तू गाए जा.." यह डूएट उसने किशोर कुमार जैसे मंजे हुए गायक के साथ गाया। तब महज़ १७ साल की उम्र में उनकी गायकी में कोमलता के साथ भावुकता भी थी! बाद में "घडी मिलन की आई.." और "जब आती होगी याद मेरी.." जैसे मीठे गीत उन्होंने ग्रेट मोहम्मद रफ़ी जी के साथ गाए! 'संकल्प' (१९७५) फ़िल्म के "तू ही सागर हैं तू ही किनारा.." गाने के लिए उन्हें 'फिल्मफेयर' अवार्ड और 'तानसेन' पुरस्कार मिला!
'उलझन' (१९७५) फ़िल्म में संजीव कुमार और सुलक्षणा पंडित!
१९७५ में रघुनाथ झालानी की फ़िल्म 'उलझन' से बतौर अभिनेत्री सुलक्षणा जी पर्दे पर आई। इसमें उनके नायक थे संजीव कुमार और इस मंजे हुए अभिनेता के साथ इस सस्पेंस थ्रिलर में उनका अभिनय भी कमाल का रहा। बाद में जितेंद्र के साथ अनिल गांगुली की 'संकोच' (१९७६) इस 'परिणीता' उपन्यास पर आधारित फ़िल्म में उन्होंने प्रमुख नायिका लोलिता की भूमिका निभाई। 'बंदी' (१९७८) इस बंगाली फ़िल्म में तो वो राजकुमारी बनी और साथ में थे वहां के महानायक उत्तमकुमार!


फिर राजेश खन्ना, फ़िरोज़ ख़ान, विनोद खन्ना, शशी कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, ऋषि कपूर और जितेंद्र के साथ सुलक्षणा जी ने कई फ़िल्मों में काम किया। पर उनके दिल के करीब संजीव कुमार रहे! लेकिन उनकी मोहब्बत अधूरी रह गई!

 
यह कैसा संजोग, संजीव कुमार जी का निधन १९८५ में ६ नवंबर को हुआ था और अब ४० साल बाद ६ नवंबर को ही सुलक्षणा जी इस जहाँ से रुख़सत हुई!!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday, 10 November 2025

जंग-ए-आज़ादी से खेल के मैदान-ए-जंग तक
जबरदस्त लहराया है नारी शक्ति का परचम!

- मानस रूमानी

('वुमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप', २०२५ की बड़ी जीत पर अपनी भारतीय महिला क्रिकेट टीम को बधाई!)

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 2 November 2025

मोहब्बत और इंसानियत से दिल भरा रहे
परदे पर रूमानियत के जलवें दिखाते रहे

- मनोज 'मानस रूमानी'

('बॉलीवुड के किंग' कहे जानेवाले शाहरुख़ ख़ान को ६० वी सालगिरह की मुबारकबाद!)


- मनोज कुलकर्णी