Monday, 31 March 2025


ईद की दिली मुबारक़बाद!

अमन, भाईचारे का समाँ हर तरफ़ हो
प्यार की शमा रोशन हर दिल में हो!

- मनोज 'मानस रूमानी'

Sunday, 23 March 2025

जब भगत सिंह जी की माताजी से मिले मनोज कुमार!

अपने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद हुए भगत सिंह जी, सुखदेव जी और राजगुरु जी इनकी स्मृति को नमन करने का यह दिन!

हर साल इस दिन उन्हें सलाम करते हुए, मुझे उनपर बनी फ़िल्म 'शहीद' (१९६५) याद आती हैं। अब इसे ६० साल हो गए हैं। इसमें मनोज कुमार जी ने भगत सिंह जी का किरदार निभाया था, जो यादगार रहा। उनसे मेरी मुलाकातों में इसके बारें में उन्होंने ख़ूब कहा था!

१९६६ में राष्ट्रीय पुरस्कार से यह फ़िल्म 'शहीद' सम्मानित होते हुए, एक बड़ा सम्मान मनोज कुमार जी और "ऐ वतन हमको तेरी कसम.." जैसे इसके गीत लिखकर संगीतबद्ध करनेवाले प्रेम धवन जी को मिला..वह था भगत सिंह जी की माताजी श्रीमती विद्यावती जी को मिलकर गौरवान्वित होने का!
उसी सुनहरे पल की यह दुर्लभ तस्वीर!!


उन्हें मेरा विनम्रता पूर्वक सलाम!!!

- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी')

Wednesday, 19 March 2025

होली/रंगपंचमी शुभकामनाएँ!

कुदरत ने भर दिए हैं हसीन रंग
हम पर हैं ज़िन्दगी कैसे दे रंग!

- मनोज 'मानस रूमानी'

Friday, 14 March 2025

ऐ मेरे हमसफ़र..! दोनों अब ६० पर!!


'मामी' के शुरूआती 'मुंबई फिल्म फेस्टिवल' के दौरान मैं और अभिनेता आमिर ख़ान!
आज अपने पॉपुलर भारतीय सिनेमा के मशहूर अभिनेता आमिर ख़ान का ६० वा जनमदिन हैं!


कल हमारे रूमानी फ़िल्मकार नासिर हुसैन जी का २३ वा स्मृतिदिन था! उन्ही का भतीजा आमिर पहली बार एक बालकलाकार के रूप में उनकी फ़िल्म 'यादों की बारात' (१९७३) से परदेपर आया। बाद में उन्ही के बेटे मंसूर ख़ान की फ़िल्म 'क़यामत से क़यामत तक' से वो नौजवान हीरो बना।

मैंने आमिर की नौजवान होने के बाद की फ़िल्म कैरियर रूबरू देखी हैं! १९८४ में केतन मेहता की आर्ट फ़िल्म 'होली' की शूटिंग पुणे के फ़िल्म इंस्टिट्यूट ('एफटीआयआय') में हुई थी और इसमें आमिर एक अहम भूमिका में काम कर रहा था। तब मै कॉलेज में पढता था और मैंने सिनेमा पर लिखना शुरू किया था! फ़िल्म इंस्टिट्यूट में मेरा अक्सर जाना होता था। तब मैंने वहां उस फ़िल्म की शूटिंग देखी। साथ में केतन जी और आमिर से बातें भी हुई!

इसके चार साल बाद, मैंने जर्नलिज्म '(बीसीजे') कोर्स होते ही..आमिर की बतौर हीरो पहली मेनस्ट्रीम बॉलीवुड फ़िल्म देखी 'क़यामत से क़यामत तक' (१९८८) जो हिट रही। फिर इंटरव्यूज भी हुए, उसके गायक उदित नारायण के साथ भी! इसी दौरान मैंने फ़िल्म इंस्टिट्यूट में ('एनएफएआई' द्वारा) 'फ़िल्म एप्रिसिएशन कोर्स' किया और मैं फ्री लांस फ़िल्म जर्नलिस्ट हुआ!

तब से लेकर आमिर ख़ान का परफेक्शनिस्ट एक्टर होने तक सफर सराहनीय रहा हैं! उसके फ़िल्म कैरियर के ५० साल पुरे हुएँ और उम्र ६०! मुझे भी फ़िल्म जर्नलिज्म में ४० साल हो गएँ और उम्र ६० हैं!!

ख़ैर, आमिर खान को सालगिरह मुबारक़!!

- मनोज कुलकर्णी