Tuesday, 26 July 2022


अपने भारत देश की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का अभिनंदन और शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 24 July 2022

"है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहां के गाता हूँ..
भारत का रहने वाला हूँ..
भारत की बात सुनाता हूँ.."

कहकर अपनी देशभक्तीपर फिल्मों में आदर्शवादी किरदार निभानेवाले 'भारतकुमार' याने की हमारे मनोज कुमार साहब का आज ८५ वा जनमदिन!
उनको हार्दिक शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी

(कुछ साल पहले मेरे 'चित्रसृष्टी' के लिए मुलाकात लेने के बाद उनके साथ मेरी यह तस्वीर!)

Wednesday, 20 July 2022

ग़ज़ल गायक भूपिंदर सिंह जी!


"करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी..
गुज़रते वक़्त की हर मौज ठहर जायेगी.."


यह ग़ज़ल लिखनेवाले शायर बशर नवाज़ जी का स्मृतिदिन हाल ही में था..

..और 'बाज़ार' (१९८२) फ़िल्म के लिए यह गानेवाले भूपिंदर सिंह जी परसों इस जहाँ से रुख़सत हुए!

संगीत के अपने शुरूआती दौर में 'आकाशवाणी' तथा 'दूरदर्शन' के लिए वे गिटार बजाया करते थे। दिल्ली में एक समारोह में मशहूर संगीतकार मदन मोहन जी ने उन्हें सुना और फिर चेतन आनंद जी की फ़िल्म 'हक़ीकत' (१९६४) में गाने का मौका दिया। इस में "होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा.." यह कैफ़ी - आज़मी जी का नग़्मा उन्होंने मोहम्मद रफ़ी, तलत मेहमूद और मन्ना डे जैसे मंजे हुए गायकों के साथ गाया।

इसके बाद संगीतकार ख़य्याम जी ने उनसे चेतन साहब की ही 'आख़री ख़त' (१९६६) का कैफ़ी जी का ही गीत "रुत जवान, जवान रात, मेहरबान छेड़ो कोई दास्तान.." गवाया। यह आगे सुपरस्टार हुए राजेश - खन्ना जी की डेब्यू फ़िल्म थी! (इत्तिफ़ाक़ ऐसा की कल उनका स्मृतिदिन था।)

फिर पंचम याने संगीतकार आर. डी. बर्मन ने भूपिंदर जी से अपनी कई फ़िल्मों में गिटार बजवाया। जैसे की नासिर हुसैन की 'यादों की बारात' (१९७३) का ज़ीनत अमान पर फ़िल्माया "चुरा लिया है तुमने जो - दिल को.." और लीजेंडरी फ़िल्म 'शोले' (१९७५) का हिट "मेहबूबा ओ मेहबूबा.."


भूपिंदर सिंह जी गाते हुए!

दरमियान गुलज़ार जी की कुछ फ़िल्मों में उन्होंने बेहतरीन गीत गाएं। जैसे की 'परिचय' (१९७२) का पंचम जी ने संगीतबद्ध किया "बीती ना बिताई रैना.." और 'मौसम' (१९७५) का मदन मोहन जी ने संगीतबद्ध किया "दिल ढूंढ़ता है..!" संवेदशील अभिनेता - संजीव कुमार जी को भूपिंदर जी की आवाज़ अच्छी जची!
 

बाकी भी कुछ समकालिन और कलात्मक फ़िल्मों के लिए उन्होंने गाएं गीत यादगार रहें। जैसे की 'घरौंदा' (१९७७) का जयदेव जी ने संगीतबद्ध किया "एक अकेला इस शहर में.." और 'ऐतबार' (१९८५) का बप्पी - लाहिड़ी ने सगीतबद्ध किया "किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है.."

बाद में भूपिंदर जी ने ग़ज़ल गायकी की तरफ ही ध्यान दिया। इसमें उन्होंने पत्नी मिताली सिंह के साथ गाएं गीतों के 'आरज़ू', 'चांदनी रात', 'गुलमोहर' और 'ग़ज़ल के फूल' जैसे एलबम्स प्रसिद्ध हुएं।

आखिर फ़िल्म 'किनारा' (१९७७) का उन्होंने गाया गीत उनके लिए भी याद आता हैं। जैसे वे कह रहें हैं..
"नाम गुम जाएगा..चेहरा ये बदल जायेगा..
मेरी आवाज़ ही पहचान है..गर याद रहे..!"


उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday, 13 July 2022

"बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ..s
सब गुनी जन पे तुमरा राज..
मन तड़पत हरि दर्शन को आज!"

आज गुरुपूर्णिमा के दिन यह गीत फिर से याद आया..
इसे लिखा था शकिल बदायुनी जी ने और नौशाद जी के संगीत में इसे तन्मयता से गाया था मोहम्मद रफी जी ने..

'बैजू बावरा' (१९५२) इस विजय भट्ट जी की संगीत आराधना पर अलौकिक फिल्म में इसे सादर किया था भारत भूषण जी ने, जिन्होंने इससे कामयाबी हासिल की!

सत्तर वर्षं हुएं इसे, लेकिन अब भी गुरु के प्रति आत्मीय भावना व्यक्त करने को यही मन में आता हैं!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday, 9 July 2022


वो महताब रही तो वो आफ़ताब थे..
'प्यासा' रहा 'चौदहवीं का चाँद' थे!


- मनोज 'मानस रूमानी'


(अपने भारतीय सिनेमा के मेरे एक अज़ीज़ लाजवाब अभिनेता-फ़िल्मकार गुरुदत्त साहब को उनके ९७ वे जनमदिन पर याद करतें!)

- मनोज कुलकर्णी

Thursday, 7 July 2022

अदाकारी के बेताज़ बादशाह थे वो
हमारे सिनेमा के कोहिनूर थे वो
यूसुफ़-ए-हिन्दोस्ताँ थे वो!

- मनोज 'मानस रूमानी'

अपने भारत के अभिनय सम्राट यूसुफ़ ख़ान याने दिलीपकुमार साहब का आज प्रथम स्मृतिदिन!

याद आ रहीं हैं मेरे 'चित्रसृष्टी' के लिए मैंने ली हुई उनकी मुलाकातें!!

उन्हें सुमनांजलि!!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday, 3 July 2022

'पोएट्री यूनिवर्स' फेसबुक ग्रुप में हमें 'लौरेल ऑफ दी पोएट्री यूनिवर्स' का सम्मान प्राप्त!

- मनोज 'मानस रूमानी'