Friday, 11 October 2019

सालगिरह मुबारक़!

पिता हरिवंशराय बच्चन जी और माँ तेजी बच्चन जी के साथ सुपरस्टार अमिताभ बच्चन!

एक कवि सम्मेलन में हरिवंशराय बच्चन जी को पुछा गया था, "आपकी सर्वोत्तम रचना किसे कहेंगे?"

सभी को लगा था वे "मधुशाला" बताएँगे!

लेकिन उन्होंने कहाँ, "अमिताभ मेरी सर्वोत्तम रचना हैं!"

टीवी के एक मशहूर कार्यक्रम में माता-पिता की आवाज़ सुनके भावुक हुए अमिताभजी को देखकर मुझे यह याद आया!

आज ७७ वी सालगिरह पर उन्हें मुबारक़बाद!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday, 10 October 2019

"वक़्त ने किया क्या हसीं सितम
तुम रहे ना तुम..हम रहे ना हम.."

अपने भारतीय सिनेमा के एक श्रेष्ठ कलाकार गुरुदत्त जी के 'कागज़ के फूल' (१९५९) फ़िल्म का यह अभिजात गीतदृश्य याद आया!

कैफ़ी आज़मी जी ने लिखी यह नज़्म गीता दत्त जी ने गायी थी और..गुरुदत्त-वहिदा रहमान पर सिनेमेटोग्राफर व्ही. के. मूर्ति जी ने लाजवाब फिल्मायी थी!

इस गाने की एक अजीब ख़ासियत मुझे लगती हैं..गीता दत्त जी का दर्द इसमें सुनायी देता हैं तथा गुरुदत्त और वहिदा रहमान का एक दूसरे के लिए तड़पना! 

इस फ़िल्म को अब ६० साल पुरे हुएँ..और गुरुदत्त जी का आज ५५ वा स्मृतिदिन हैं!

उनके स्मृति को अभिवादन!!

- मनोज कुलकर्णी

















"मन क्यों बहका रे.." का अहसास देखनेवालों को अब भी देनेवाली अपनी पसंदिदा ख़ूबसूरत अदाकारा रेखाजी को उनकी ६५ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!


- मनोज कुलकर्णी

Monday, 7 October 2019


"फ़ूल हसीं के तुम ने मुख़ पर डाल दिएँ तो मै बलिहारी.."

हाल ही में हुए 'वर्ल्ड स्माइल डे' पर..ख़ूबसूरत मधुबाला की यह मुस्कुराती छबि देखकर मुझे हरिवंशरायजी की उपरोक्त पंक्ति याद आयी!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday, 2 October 2019

"मेरी आवाज़ ही पहचान है.."


अपने संगीत जीवन के अमृत महोत्सव पर..स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी!

पूरे संगीत विश्व की एक सर्वश्रेष्ठ और आदरणीय..अपने भारत की स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी का ९० वा जनमदिन संपन्न हुआ। इस के साथ ही उनके पार्श्वगायन के ७५ साल पुरे हुएं हैं!

शुरुआत के दिनों में मराठी सिनेमा के परदेपर..
छोटी भूमिका में नज़र आयी लता मंगेशकर!
१९४२ के दौर में महज़ १३ साल की उम्र में मराठी सिनेमा से अपना पार्श्वगायन शुरू करनेवाली लता मंगेशकर की आवाज़ को सही माने में परखा संगीतकार ग़ुलाम हैदर ने! बंबई में आने के बाद उनके संगीत में 'मजबूर' (१९४८) फ़िल्म के लिए गाए "दिल मेरा तोडा.." से लताजी को पहली बड़ी सफलता मिली। बाद में 'महल' (१९४९) फ़िल्म के लिए खेमचंद-प्रकाश के संगीत में 'मलिका-ए-हुस्न' मधुबाला के लिए गाए "आएगा आनेवाला.." गाने से लताजी को बहोत शोहरत मिली।

इसके बाद अनिल बिस्वास, नौशाद अली, सज्जाद हुसैन, शंकर-जयकिशन, रोषन, एस. डी. बर्मन, सी. रामचंद्र, मदन मोहन, सलील चौधरी, ख़य्याम, वसंत देसाई से लेकर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, आर. डी, बर्मन और आगे बहोत नयें संगीतकारों के लिएँ भी लताजी ने गाएं गाने यादगार रहें। मराठी, हिंदी से लेकर अन्य विविध प्रादेशिक भाषाओँ में भी उन्होंने कई गानें गाएं।

संगीतकार ग़ुलाम हैदर और गायिका लता मंगेशकर!
अपने सहगायकों के साथ लताजी के डुएट्स भी रूमानी रहें..जिसमें प्रमुख गायकों में मुकेश के साथ गाया 'आवारा' (१९५१) का "दम भर जो उधर मूँह फ़ेरे.." हो, मोहम्मद रफ़ी के साथ गाया 'कोहीनूर' (१९६०) का "दो सितारों का जमीं पर हैं मिलन.." हो, तलत महमूद के साथ गाया 'जहाँ आरा' (१९६४) का "ऐ सनम आज ये क़सम खालें.." हो, या किशोर कुमार के साथ गाया 'आँधी' (१९७५) का "तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिक़वा.." नए पीढ़ी के गायकों के साथ भी उन्होंने गाया..जैसे की यश चोपड़ा की फ़िल्म 'दिल तो पागल है' (१९९७) का उदित नारायण के साथ गाया शीर्षक गीत!

लताजी की ताज़गी सालों साल बरक़रार रहीं..बदलतीं नायिका उसके लिए उनका आवाज़ चाहती थी और वह भी उस अभिनेत्री के अंदाज़ में उसे आवाज़ देती थी। 'आरके' की 'बरसात' (१९४९) में नर्गिस के लिए उन्होंने गाया "मुझे किसी से प्यार  हो गया..", 'गाईड' (१९६५) में वहिदा रहमान के लिए उन्होंने गाया "आज फिर जिने की तमन्ना है..", 'सरस्वती चंद्र' (१९६८) में नूतन के लिए उन्होंने गाया "छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए..", 'रज़िया सुलतान' (१९८३) में हेमा मालिनी के लिए उन्होंने गाया "ऐ दिल-ए-नादान.." तो 'हम आप के है कौन' (१९९४) में माधुरी दीक्षित के लिए उन्होंने गाया "दीदी तेरा देवर दीवाना.." और 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (१९९५) में काजोल के लिए गाया "मेरे ख्वाबों में जो आएं.."

संगीतकार शंकर और गायक मोहम्मद रफ़ी के साथ गाती लता मंगेशकरजी!
लताजी ने सभी प्रकार के गानें गाएं हैं..इसमें नंदा के लिए 'हम दोनों' (१९६१) फिल्म में गाया "अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम.." यह भजन है, 'दिल तेरा दीवाना' (१९६२) फ़िल्म का शम्मी कपूर-माला सिन्हा का रूमानी शीर्षक गीत हैं, मीना कुमारी के लिए 'पाकीज़ा' (१९७२) में गाया "इन्ही लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा.." मुजरा हैं, तो 'इंतक़ाम' (१९६९) में हेलन के कैबरे डांस के लिए उन्होंने गाया "आ जाने जा.." हैं! 'वोह कौन थी' (१९६४) इस मनोज कुमार-साधना की फ़िल्म के लिए उन्होंने गाया "लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो ना हो.." गाना तो आज की नई गायिकाओं को ही नहीं, बल्कि अभिनेत्रियों को भी लुभाता हैं. हाल ही में परीणिती चोपड़ा ने भी इसे अच्छे तरीके से गाकर दिखाया!

अपने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी के साथ स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी!
लताजी के गाने से अपने पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी की आँखें भी नम हुई थी..जब उन्होंने लाल किले से "ऐ मेरे वतन के लोगों.." गाया था!

लताजी को बहोत सम्मान मिले। इसमें 'फ़िल्मफ़ेअर' और नेशनल अवार्ड्स हैं। इसके साथ ही उन्हें सर्वोच्च 'दादासाहेब फालके अवार्ड' से भी नवाज़ा गया..और 'भारत रत्न' से भी!

सुरों के माहौल में मेरी उनसे हुई मुलाक़ात याद आ रही है!!

स्वरसम्राज्ञी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!

- मनोज कुलकर्णी
मेरा 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी को दिखाकर 
उनसे बात करने का मेरा सुनहरा पल!