Friday 4 May 2018


एक्सक्लूजिव्ह!


भारतीय सिनेमा के उन प्रवर्तकों को न भूलें!


- मनोज कुलकर्णी

दादासाहब फालके जी ने बनायी भारतीय फ़ीचर फ़िल्म 'राजा हरिश्चंद्र' (१९१३) का महत्वपूर्ण दृश्य!

१०५ साल हो गए उस ऐतिहासिक घटना को..३ मई, १९१३ को दादासाहब फालके जी ने बनायी पहली भारतीय फ़ीचर फ़िल्म 'राजा हरिश्चंद्र' आम जनता के लिए बम्बई के 'कोरोनेशन सिनेमा' में प्रदर्शित हुई थी! लेकिन इससे पहले भी भारत में फ़िल्म बनाने की सफल-असफल कोशिशें हुई!
१८९४-९५ के दरमियाँन होनेवाला 'शाम्ब्रिक  खारोलिका '.. 'मैजिक लैंटर्न शो'! 

'शाम्ब्रिक खारोलिका '(मैजिक लैंटर्न'). 












सबसे पहले १८९४-९५ के दरमियाँन 'शाम्ब्रिक खारोलिका '(मैजिक लैंटर्न') नाम का इस सदृश चलचित्र का आभास दिलाने वाला खेल कल्याण के महादेव गोपाल पटवर्धन और उनके पुत्रो ने शुरू किया था।
हरिश्चन्द्र भाटवडेकर तथा सावे दादा!


फिर १८९६ में 'लुमीए शो' से प्रेरणा लेकर बम्बई में मूल रूप से छायाचित्रकार रहे हरिश्चन्द्र सखाराम भाटवडेकर तथा सावे दादा ने 'दी रेस्लर्स ' और 'मैन एंड मंकी ' जैसे लघुपट १८९९ में बनाएं। किसी भारतीय ने चित्रपट निर्मिती करने का वह पहला प्रयास था!
'रॉयल बॉयोस्कोप' के हीरालाल सेन और उन्होंने बनायी डॉक्यूमेंटरी 'स्वदेशी मूवमेंट'!


इसके बाद कोलकत्ता में 'रॉयल बॉयोस्कोप' के हीरालाल सेन और उनके बन्धुओने कुछ बंगाली नाटक और नृत्य के दृश्य चित्रित करके फ़रवरी, १९०१ के दरमियाँन वह परदे पर दिखाएं! 


आगे १९०५ तक कोलकत्ता में जे. एफ. मदान इन्होने इस तरहकी चित्रनिर्मिती शुरू की! नाटयसृष्टी से आए हुए मदान ने 'ग्रेट बंगाल पार्टीशन मूवमेंट' जैसे लघुपट निर्माण किएं। इन्हे वो 'स्वदेशी ' कहा करते थे!

जे. एफ. मदान.
इसके बाद ऐसा प्रयास करने वाली व्यक्ति थी श्रीनाथ पाटनकर..उन्होंने १९१२ में 'सावित्री' यह कथा चित्रपट किया तो था...लेकिन उसके निर्मिती प्रक्रिया (प्रोसेसिंग) में समस्याए पैदा हुई और उसकी प्रिंट पूरी तरह से ब्लेंक आ गयी!

१९१२ में ही रामचन्द्र गोपाल तथा दादासाहेब तोरने...इन्होने 'पुंडलिक' यह अपना कथा चित्रपट सफलतासे पूरा किया!...लेकिन वह भारत का पहला कथा चित्रपट नहीं माना गया। इसकी वजहें नमूद की गयी की..वह नाटक का चित्रीकरण था, उसके लिए विदेसी छायाचित्रकार का सहयोग लिया गया..और इसकी प्रक्रिया लन्दन में करायी गयी!..हालांकि इसकी प्रिंट भी उपलब्ध नहीं!
दादासाहेब तोरने और १९१२ में प्रदर्शित उनकी फिल्म 'पुंडलिक' की जाहिरात!

इसी दौरान नाशिक के दादासाहब फालके ने फ़िल्म निर्माण का जैसे ध्यास लिया, जिसे उनकी पत्नि ने भी सक्रिय साथ दिया!..और 'बीज से उगता पौदा' इस लघुपट से शुरू करके १९१३ में 'राजा हरिश्चन्द्र' यह भारत का पहला कथा चित्रपट तैयार करने तक उन्होंने बडा यश संपादन किया! इसका अब बड़ी फिल्म इंडस्ट्री के रूप में वृक्ष हुआ हैं!
पत्नि सरस्वतीबाई के साथ उम्र के आखरी पड़ाव में दादासाहब फालके!
लेकिन मेरा कहना है की भारत में छोटी फिल्म से यह मीडियम लाने का काम (भाटवडेकर) सावे दादा जी ने पहले किया...फिर हीरालाल सेन और मदान इन्होनें कुछ लघुपट (नॉन फ़ीचर कह सकते हैं) बनाकर इसमें अपना योगदान दिया!.और दादासाहब फालके ने पहला कथा चित्रपट (फ़ीचर फ़िल्म) तैय्यार किया!..तो इन सब हस्तियों को भारतीय सिनेमा के जनक में शामिल करना चाहिएं!



भारतीय सिनेमा के इन प्रवर्तकों को मानवंदना!!

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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